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अब राजस्थान में भी सत्ता-पलट का खेल!

१३ जुलाई २०२०

राजस्थान के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट का दावा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार अल्पमत में है. क्या मध्य प्रदेश की तरह राजस्थान में भी कांग्रेस की सरकार गिरने के कगार पर है?

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Kongress Leiter  Ashok Gehlot und  Sachin Pilot Pressekonferenz
तस्वीर: IANS

मध्य प्रदेश में सत्ता गंवाने के बस चार महीने बाद, कांग्रेस पार्टी राजस्थान में भी कुछ उसी तरह के हालात में पहुंच चुकी है. उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट सार्वजनिक रूप से दावा कर चुके हैं कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार अल्पमत में है. सबकी निगाहें पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के अगले कदम पर है. बीजेपी पार्श्व-रेखा के पीछे से सारा खेल देख रही है और कोई कदम उठाने के सही मौके का इंतजार कर रही है.

विधान सभा में संख्या-बल

राजस्थान विधानसभा में 200 सीटें हैं, जिनमें से 2018 के विधान सभा चुनावों में कांग्रेस को 99 सीटों पर, उसके घटक दल और बीजेपी को 73 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. राज्य में सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी को कम से कम 101 सीटें चाहिए होती हैं. कांग्रेस इस जादुई आंकड़े से एक सीट पीछे तो थी लेकिन बीएसपी के सभी छह विधायकों के कांग्रेस में आ जाने से कांग्रेस का संख्या-बल 106 हो गया. इसके अतिरिक्त, उसे सीपीएम के दो विधायकों और 12 निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन हासिल हुआ.

पायलट का दावा है कि कम से कम 30 विधायक उनके साथ हैं और उन्हें मुख्यमंत्री गहलोत का नेतृत्व स्वीकार नहीं है. लेकिन सोमवार 13 जुलाई को रात 2.30 बजे आयोजित की गई कांग्रेस विधायक दल की आपात बैठक के बाद कांग्रेस के राजस्थान प्रभारी अविनाश पांडे ने दावा किया कि 109 विधायकों ने गहलोत के नेतृत्व में राज्य सरकार को समर्थन देते हुए एक पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं. उन्होंने यह भी कहा कि कुछ और विधायकों ने भी अपना समर्थन व्यक्त किया है और वो भी जल्द ही समर्थन पत्र पर हस्ताक्षर करेंगे.

Ashok Gehlot  Rajasthan
अशोक गहलोत तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं. 2018 में बीजेपी को सत्ता से बाहर करने के बाद गहलोत और सचिन पायलट दोनों ही मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार थे, लेकिन पार्टी के विधायक दल ने गहलोत को अपना नेता चुना.तस्वीर: Imago Images

क्यों है कांग्रेस में झगड़ा

गहलोत और पायलट दोनों राज्य में पार्टी के बड़े नेता हैं. गहलोत तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं तो पायलट केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं और पिछले छह सालों से राज्य में कांग्रेस के अध्यक्ष हैं. 2018 में बीजेपी को सत्ता से बाहर करने के बाद दोनों ही मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार थे, लेकिन पार्टी के विधायक दल ने गहलोत को अपना नेता चुना. माना जाता है कि पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व भी 69 वर्षीय गेहलोत को मुख्यमंत्री बनाना चाह रहा था, इसलिए अंत में वही हुआ.

पायलट नाराज ना हों इस उम्मीद में उन्हें उप मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया और प्रदेश अध्यक्ष भी रहने दिया गया. लेकिन पायलट असंतुष्ट होने के संकेत बार-बार देते रहे. सितंबर 2019 में जब उन्होंने बयान दिया था कि राज्य में कानून व्यवस्था बिगड़ती जा रही है और इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है तब इस बयान को गहलोत पर कटाक्ष के रूप में देखे गया था.

पायलट की ताजा नाराजगी की वजह राज्य पुलिस के एक विभाग स्पेशल ऑपरेशन्स ग्रुप द्वारा उन्हें भेजे गए नोटिस को बताया जा रहा है. यह विभाग गृह मंत्रालय के तहत आता है जिसका कार्य-भार गेहलोत संभाल रहे हैं. उन्होंने इस विभाग को राज्ये में सरकार गिराने की साजिश की जांच करने का आदेश दिया था और इसी जांच के तहत विभाग ने पायलट को पूछताछ के लिए नोटिस जारी कर दिया.

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​​​​सचिन पायलट केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं और पिछले छह सालों से राज्य में कांग्रेस के अध्यक्ष हैं. अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री बनाए जाने पर पायलट नाराज ना हों इस उम्मीद में उन्हें उप-मुख्यमंत्री बनाया गया और प्रदेश अध्यक्ष भी रहने दिया गया. लेकिन पायलट असंतुष्ट होने के संकेत बार-बार देते रहे.तस्वीर: DW/S. Waheed

गहलोत का कहना है कि ऐसा नोटिस तो उनके नाम से भी जारी हुआ है, लेकिन पायलट मान रहे हैं कि उन्हें निशाना बनाया जा रहा है. वरिष्ठ पत्रकार जावेद अंसारी के अनुसार पायलट ने उन्हें बताया कि वो "इस तरह की बेइज्जती को बर्दाश्त नहीं करते रह सकते हैं, उनके समर्थकों को बहुत चोट पहुंची है और उन्हें उनकी बात सुननी पड़ेगी."

क्या कांग्रेस सरकार गिर जाएगी?

पूरा मामला अभी भी बहुत संवेदनशील बना हुआ है. गहलोत ने सोमवार को सरकार को समर्थन देने वाले विधायकों की एक बैठक बुलाई है लेकिन पायलट दिल्ली में और बैठक में हिस्सा ना लेने की घोषणा कर चुके हैं. प्रभारी अविनाश पांडे ने कहा है कि विधायक दल की बैठक में शामिल ना होने वाले विधायकों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.

लेकिन पायलट ने यह भी कहा है कि वो बीजेपी में शामिल नहीं होने जा रहे हैं. ऐसे में उनके अगले कदम को लेकर कई अटकलें लग रही हैं. यह सवाल भी उठ रहे हैं कि क्या जिस तरह से मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस की सरकार गिराई, पायलट भी कहीं राजस्थान में कांग्रेस की सरकार गिरा तो नहीं देंगे?

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कहा जा रहा है कि राजस्थान बीजेपी में अपनी अहमियत का एहसास दिलाने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे गहलोत सरकार को बचा सकती हैं.तस्वीर: DW/J. Sehgal

कांग्रेस के सूत्रों ने डीडब्लूय को बताया कि पार्टी अपनी सरकार को लेकर आश्वस्त है. सूत्रों ने बताया कि अव्वल तो पायलट के पास सरकार गिराने लायक विधायक है नहीं और अगर हों भी तो बीजेपी की नेता और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपने विश्वासपात्र विधायकों की मदद से गहलोत सरकार को बचाने का आश्वासन दे दिया है.

वसुंधरा को बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा अलग कर दिए गए नेता के तौर पर देखा जाता है और माना जा रहा है कि राज्य में उनके स्थिति के प्रदर्शन के लिए वो ऐसा कर सकती हैं. यह भी कहा जा रहा है कि वो पायलट के बीजेपी में आ जाने की संभावना से भी चिंतित हैं क्योंकि इस से पार्टी में उनकी अपनी स्थिति को चुनौती का सामना करना पड़ेगा.

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