मध्य प्रदेश में भी विपक्ष से सत्ता में आई बीजेपी
२० मार्च २०२०मध्य प्रदेश में कुछ दिनों से चल रहे राजनीतिक घटनाक्रम पर पर्दा गिर गया है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद विधान सभा में होने वाले शक्ति परिक्षण से पहले ही मुख्यमंत्री कमल नाथ ने एक प्रेस वार्ता में अपने इस्तीफे की घोषणा कर दी. सिर्फ 15 महीने पुरानी उनकी सरकार के गिरने के लिए उन्होंने बीजेपी को दोषी ठहराया और कहा कि सरकार के बनने के पहले दिन से बीजेपी सरकार को गिराने की कोशिश कर रही थी. उन्होंने बीजेपी पर लोकतंत्र की हत्या करने का आरोप लगाया.
10 दिनों तक चला यह घटनाक्रम ठीक कर्नाटक की राह पर चला. कर्नाटक की ही तरह मध्य प्रदेश में भी पहले सत्तारूढ़ पार्टी के कुछ विधायकों ने एक साथ इस्तीफा दिया, फिर सब विधायक किसी रिजॉर्ट में नजरबंद हो गए, फिर सरकार से विश्वास मत का सामना करने को कहा गया, विश्वास मत नहीं हुआ, मामला सुप्रीम कोर्ट गया, अदालत ने शक्ति परिक्षण का हुक्म दिया और फिर सरकार ही गिर गई.
अंतर इतना है कि कर्नाटक में कांग्रेस-जेडी(एस) की मिली-जुली सरकार के मुख्यमंत्री एचडी कुमारास्वामी ने शक्ति परिक्षण में हार जाने के बाद इस्तीफा दिया था और कमल नाथ ने शक्ति प्रशिक्षण में असफल होने की शर्मिंदगी झेलने की जगह खुद ही इस्तीफा दे देना बेहतर समझा.
इसके पहले 19 मार्च की रात में विधान सभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने कांग्रेस के 16 और विधायकों का इस्तीफा मंजूर कर लिया था. छह और विधायकों का इस्तीफा प्रजापति पहले ही स्वीकार कर चुके थे. सभी 22 विधायक पूर्व कांग्रेस महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी माने जा रहे हैं. सभी ने उसी दिन विधान सभा से इस्तीफा दिया था जिस दिन सिंधिया ने कांग्रेस पार्टी से.
मध्य प्रदेश विधानसभा में 230 सीटें हैं और राज्य में सरकार बनाने के लिए 116 सीटें चाहिए होती हैं. 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने 114 सीटें जीती थीं और बीजेपी ने 109. दोनों में से किसी के पास अकेले बहुमत नहीं था. सरकार बनाने के लिए कांग्रेस को समाजवादी पार्टी के एक विधायक, बहुजन समाजवादी पार्टी के दो और चार निर्दलीय विधायकों का समर्थन मिला था और इनके समर्थन से वरिष्ठ नेता कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस ने सरकार बना ली थी.
अब देखना होगा कि बीजेपी के पास कितने विधायकों का समर्थन है और अगर संख्याबल पूरा है तो मुख्यमंत्री कौन बनेगा. कहा जा रहा है कि बीजेपी के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ही एक बार फिर मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे.
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