किसानों के भारत-बंद का कितना है असर
८ दिसम्बर २०२०बंद सुबह 11 बजे से दिन के तीन बजे तक लागू किया जाएगा. इस दौरान चक्का-जाम यानी हर तरह के यातायात बंद रहने का आह्वान किया गया है. दिल्ली समेत कुछ राज्यों में यातायात सेवाएं प्रभावित रहने का अंदेशा है. कृषि मंडियां और कुछ स्थानों पर दुकानें और दफ्तर भी बंद रह सकते हैं.
चूंकि राष्ट्रीय राजधानी आंदोलन का केंद्र बनी हुई है, बंद का असर सबसे ज्यादा दिल्ली और एनसीआर में ही रहने की संभावना है. सरकारी बसें और मेट्रो तो चलती रहेंगी लेकिन ऑटो और टैक्सी ना मिलने में समस्या हो सकती है. दिल्ली में कई सीमा बिंदुओं को और राष्ट्रीय राजमार्गों को बंद कर दिया है और कई स्थानों पर ट्रैफिक दूसरे मार्गों की तरफ मोड़ा जा रहा है.
फल, सब्जियों, दूध इत्यादि की आपूर्ति में कमी भी हो सकती है. किसान प्रतिनिधियों ने आश्वासन दिया है कि बंद के दौरान हिंसा नहीं होगी और एम्बुलेंस जैसी आपात सेवाओं को भी रुकने नहीं दिया जाएगा. कई बैंक संघों ने भी कहा है कि उनके सदस्य काम तो ठप्प नहीं करेंगे लेकिन किसानों के समर्थन में हाथों पर काले पट्टे बांध कर काम करेंगे.
किसानों और सरकार के बीच बातचीत के पांच दौर हो चुके हैं और छठे दौर की बातचीत बुधवार को होनी है. पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से आए किसान 12 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं. वे दिल्ली के अंदर धरना देना चाहते हैं लेकिन प्रशासन ने उन्हें शहर की सीमाओं पर ही रोका हुआ है.
किसानों की मांग है कि संसद का विशेष सत्र बुला कर तीनों कानूनों को निरस्त किया जाए. केंद्र सरकार कई बार कह चुकी है कि वो किसानों की मांग के प्रति सहानुभूति रखती है लेकिन उनकी मांगों को मानने के संबंध में अभी तक कोई स्पष्ट घोषणा नहीं की है.
बल्कि सोमवार सात दिसंबर को एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिर संकेत दिया कि उनकी सरकार पीछे नहीं हटेगी. "सुधारों" की बात करते हुए उन्होंने कहा कि पिछली सदी के कानून इस सदी में विकास के रास्ते में अवरोधक हैं और उन्हें बदलना ही पड़ेगा.
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