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किसान मांग रहे हैं संसद का विशेष सत्र

३ दिसम्बर २०२०

आठ दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए किसान अब विवादास्पद कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाए जाने की मांग कर रहे हैं. केंद्र सरकार किसानों को शांत करने के लिए कई प्रस्तावों पर विचार कर रही है.

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Indien Neu Delhi | Protest von Farmern
तस्वीर: Moshin Javed

गुरूवार को किसान संगठनों और केंद्रीय मंत्रियों के साथ चौथी बैठक होनी है और किसानों ने कहा है कि यह बैठक सरकार के पास आखिरी मौका है. किसान संगठनों की मांग है कि केंद्र सरकार संसद का एक विशेष सत्र बुलाए और तीनों नए कृषि कानूनों को रद्द करे.

संगठनों ने कहा है कि जब तक तीनों कानून वापस नहीं लिए जाते उनका आंदोलन तब तक चलता रहेगा. सरकार ने भी संकेत दिया है कि वो गतिरोध का अंत करने के लिए समाधान ढूंढने की इच्छुक है लेकिन कानून वापस लेने या एमएसपी की गारंटी देने जैसी कोई बात अभी तक केंद्र सरकार की तरफ से किसी ने नहीं कही है.

आठ दिन बीत जाने के बाद भी किसानों का आक्रोश कम नहीं हुआ है, बल्कि आंदोलन बढ़ता ही जा रहा है. पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के बाद अब इसमें महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, केरल और तमिलनाडु से भी किसानों के जुड़ने की खबरें आ रही हैं.

Indien Neu Delhi | Protest von Farmern
गतिरोध की वजह से सिंघु, टिकरी, गाजियाबाद, झरोडा, झटीकड़ा और औचंदी सीमा पार करने के स्थान सील कर दिए गए हैं.तस्वीर: Moshin Javed

राष्ट्रीय राजधानी की सभी सीमाओं पर रोक दिए गए किसान बड़ी संख्या में वहीं डटे हुए हैं और सीमा पार कर दिल्ली में प्रवेश करने के लिए रोज पुलिस के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं. इस गतिरोध की वजह से सिंघु, टिकरी, गाजियाबाद, झरोडा, झटीकड़ा और औचंदी सीमा पार करने के स्थान सील कर दिए गए हैं.

पुलिस ने कहा है कि जरूरत पड़ी तो दिल्ली-नोएडा एक्सप्रेसवे भी सील कर दिया जाएगा. दिल्ली-नोएडा की सीमा पर चिल्ला इलाके में पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आए किसानों ने पहले ही डेरा डाल लिया है. वहां भी यातायात पर असर पड़ा है लेकिन सीमा को सील नहीं किया गया है. अगर और भी किसान देश के अलग अलग कोनों से आते हैं तो कहा नहीं जा सकता कि आगे क्या स्थिति होगी.

देखना होगा कि गुरूवार की बैठक में समस्या का कोई हल निकल कर आता है या नहीं. किसान इससे पहले नए कानूनों के विरोध में भारत बंद भी आयोजित कर चुके हैं. ये तीन कानून हैं आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून, कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) कानून और कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार कानून.

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