ओलंपिक पहुंची हरियाणा की गीता
२१ मई २०१२हरियाणा के भिवाणी की रहने वाली गीता फोगट ने जिंदगी की सारी बाधाओं को पार करते हुए 2012 के लंदन ओलंपिक के लिए क्वालिफाई कर लिया है. वह 55 किलोग्राम वर्ग के लिए होने वाले कुश्ती मुकाबले में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी. गीता कहती हैं, "पहले मेरी दादी मां मेरी जगह पर एक पोता चाहती थीं लेकिन अब वह कहती हैं कि उन्हे मेरे पैदा होने का पछतावा नहीं. मेरी तरह कम से कम सौ बेटियां और चाहिए उन्हें."
पटियाला में ओलंपिक की तैयारी में व्यस्त गीता का कहना है कि उनकी शुरुआत आसान नहीं थी. गांव में ज्यादातर लोग लड़कियों को पढ़ाते ही नहीं. और कॉलेज तक पढ़ाना तो बहुत बड़ी बात है. जब उन्होंने और उनकी बहन रीता ने कुश्ती की प्रैक्टिस शुरु की तब गांव के लोग उन पर हंसते थे. हालांकि अब सब इसे स्वीकार कर चुके हैं.
गीता की सफलता में उनके पिता, महावीर सिंह का काफी योगदान है जो कि खुद एक पहलवान थे और अब उनके कोच हैं. महावीर सिंह कहते हैं, "सरकारी सहायता अब मिली है लेकिन शुरुआती ट्रेनिंग काफी कठिन थी. खुली छत के नीचे गीता और उनकी बहन कुश्ती की प्रैक्टिस करती थीं. " 2010 में कॉमनवेल्थ जीतने के बाद बेटियों की जिद पर महावीर सिंह ने उन्हे ट्रेनिंग के लिए पटियाला भेजा.
जीत की उम्मीदें तो लंदन ओलंपिक में भी हैं, लेकिन थोड़ी घबराहट भी है. गीता कहती हैं, "मैं इससे पहले लंदन कभी नहीं गई. अगर देश के लिए पदक नहीं भी मिला तो भी मेरे इलाके की लडकियों को प्रेरणा जरूर मिलेगी."
23 साल की गीता भारत की पहली महिला खिलाड़ी हैं जिन्होंने ओलंपिक में कुश्ती के लिए क्वालीफाई किया है. कुश्ती की वजह से उनके कानों की शक्ल बिगड़ गई है जिससे शादी में भी समस्या आ सकती है. ये बात अलग है कि इलाके में उनका काफी नाम है. और लोग उन्हें सितारे का दर्जा देते हैं.
गीता कहती हैं, "मेरे गांव में लड़कियों को बहुत कम मौका मिलता है. अगर लोगों को पता चल जाए कि उन्हे लड़की होने वाली है तो लोग गर्भपात करा देते हैं."
आंकड़े भी गीता की बातों की तस्दीक करते हैं. 2011 के जनगणना से पता चला कि हरियाणा का लिंग अनुपात बेहद खराब है. प्रति 1000 हजार लड़कों के मुकाबले लड़कियों की संख्या 877 है जबकि भारत का औसत आंकड़ा प्रति 940 का है.
वीडी/एमजी,(रायटर्स)