ईसा मसीह की सूखती गलील झील को भरेगा इस्राएल
६ नवम्बर २०१८बाइबिल के मुताबिक यीशु गलील झील पर रहते थे. यह इस्राएल में मीठे पानी का सबसे बड़ा जलाशय है. लेकिन यहां सूखे और लंबे इस्तेमाल के चलते झील का जलस्तर घटने लगा है. झील के दक्षिणी किनारे पर टापू उभर आया है, कुछ दिनों में ये टापू किनारों से जुड़ कर एक प्रायद्वीप का आकार ले लेगा. यहां छुट्टियां मनाने आए सैलानियों और मछुआरों को अब किनारों तक पहुंचने के लिए दलदली जमीन से गुजरना होता है. गिरते जलस्तर के चलते इस्राएल के सबसे बड़े जलाशय के अस्तित्व पर अब खतरा मंडराने लगा है. अगर स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो जॉर्डन नदी और मृत सागर तक पहुंचने वाले पानी में भी कमी आ जाएगी.
इस्राएल की तकनीक
इस्राएल ने इसका समाधान अब पानी के खारेपन को कम करने वाली तकनीक विलवणीकरण (डिसेलिनेशन) में ढूंढ लिया है. इस तकनीक में इ्स्राएल दुनिया में सबसे आगे है. खारेपन को दूर करने की प्रक्रिया का इस्तेमाल कर अब इस्राएल भूमध्य सागर के पहले से दोगुना पानी को पीने लायक बनाएगा और उसमें से आधे को 75 किमी दूर गलील झील तक भेजेगा.
इस्राएल के ऊर्जा और जल मंत्री युवाल स्टाइनित्स कहते हैं, "हम प्रकृति को बचाने और गलील झील पर ग्लोबल वॉर्मिंग के असर को कम करने के लिए ये कर रहे हैं. इसके साथ ही हमारी कोशिश देश में जल भंडारण करने की भी है." ईसाइयों के लिए भी इस झील का बहुत महत्व है. स्टाइनित्स कहते हैं, "अगर यीशु वापस आते हैं तो कम से कम हमें यह तो सुनिश्चित करना होगा कि वे पानी पर दोबारा चल सकें."
राजनीतिक मायने
पर्यावरणवादियों ने इस कदम का स्वागत किया है. 2004 में आखिरी बार ये झील पानी से लबालब भरी थी. इसके बाद से अब तक जलस्तर करीब 18 फीट नीचे गिर गया है. इस्राएल के लोगों को उम्मीद है कि सर्दियों में होने वाली बारिश झील के जलस्तर को और नीचे नहीं जाने देगी और अगले साल डिसेलिनेशन शुरू होने से पहले तक स्थिति संभली रहेगी.
इस्राएल यदि इस झील को बचाता है तो वह जॉर्डन के साथ 1994 में हुए शांति समझौते के तहत ज्यादा पानी देने की शर्त से मुक्त हो जाएगा. येरुशलम स्थित इंटरनेशनल क्रिश्चियन एम्बेसी के उपाध्यक्ष डेविड पार्सन कहते हैं, "अगर गलील झील में अपरिवर्तनीय क्षति होती है, जॉर्डन या पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को कोई नुकसान पहुंचता है तो इस्राएल के दुश्मन इसे उसके खिलाफ इस्तेमाल करेंगे." उन्होंने कहा कि यह जमीन पर ईसाई टूरिज्म को प्रभावित कर सकता है, लेकिन यह बहुत अच्छा है कि इस्राएल जिम्मेदारी से इस ओर कदम उठा रहा है. स्टाइनित्स उम्मीद जताते हैं कि इस कदम के चलते गलील झील 2026 तक एक बार फिर भर जाएगी.
एए/एमजे (रॉयटर्स)