ब्राजील भी येरुशलम ले जाएगा अपना दूतावास
२ नवम्बर २०१८ब्राजील के नव निर्वाचित राष्ट्रपति जाइर बोलसोनारो ने कहा कि वह ब्राजीली दूतावास को येरुशलम ले जाना चाहते हैं. उन्होंने ट्वीट किया, "जैसा कि हम अपने चुनाव प्रचार के दौरान कह चुके हैं. हम ब्राजीली दूतावास को तेल अवीव से येरुशलम ले जाना चाहते हैं. इस्राएल एक संप्रभु राष्ट्र है और हम पूरी तरह उसका सम्मान करेंगे."
इस्राएली प्रधानमंत्री बेन्यमिन नेतान्याहू ने बोलसोनारो के बयान का स्वागत किया है. उन्होंने कहा, "मैं अपने दोस्त ब्राजील के नव निर्वाचित राष्ट्रपति जाइर बोलसोनारो को ब्राजीली दूतावास येरुशलम ले जाने की इच्छा के लिए बधाई देता हूं, जो एक ऐतिहासिक, सही और उत्साहवर्धक कदम है."
अगर बोलसोनारो अपने वादे पर अमल करते हैं तो ब्राजील दुनिया का तीसरा देश होगा जिसका दूतावास येरुशलम में होगा. इससे पहले अमेरिका और ग्वाटेमाला अपने दूतावासों को वहां ले जा चुके हैं.
लातिन अमेरिकी देश पैराग्वे ने कुछ समय के लिए अपना दूतावास येरुशलम में रखा था लेकिन जब देश में मारिया अब्दो बेनितेज राष्ट्रपति चुने गए तो उन्होंने पैराग्वे के दूतावास को वापस तेल अवीव लाने का फैसला किया.
सबसे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने अपने दूतावास को येरुशलम ले जाने का फैसला किया. उनके इस कदम का तीखा विरोध हुआ. उन्हें ना सिर्फ मुस्लिम देशों, बल्कि कई पश्चिमी देशों की आलोचना भी झेलनी पड़ी.
फलस्तीनी लोग पूर्वी येरुशलम को अपने भावी राष्ट्र की राजधानी के तौर पर देखते हैं. इस्राएल ने 1967 के मध्य पूर्व युद्ध में पूर्वी येरुशलम पर कब्जा कर लिया. इस्राएल पूरे येरुशलम पर अपना दावा करता है और उसे अपनी राजधानी बताता है. येरुशलम के पूर्वी हिस्से में ईसाईयों, मुसलमानों और यहूदियों के कई धार्मिक स्थल हैं.
दुनिया के ज्यादातर देशों ने अपने दूतावास तेल अवीव में रखे हैं. उनका कहना है कि येरुशलम को लेकर विवाद का हल बातचीत के जरिए होना चाहिए. ब्राजील में कुछ लोगों ने देश के दूतावास को येरुशलम ले जाने के फैसले पर आपत्ति जताई है. उनका कहना है कि इससे मुस्लिम देशों के साथ ब्राजील के रिश्ते खराब हो सकते हैं.
एके/एनआर (एपी, एएफपी)