इमरजेंसी, आपदा, कर्फ्यू: जर्मनी में कौन क्या तय करता है
२३ मार्च २०२०कोरोना संकट के कारण कई देशों में लॉकडाउन हो गया है जबकि कई देश इसे लागू करने की योजना बना रहे हैं. लेकिन जर्मन सरकार इस बारे में बहुत सचेत होकर कदम उठा रही है. वायरस के फैलाव को रोकने के लिए लॉकडाउन की मांगों के बीच केंद्रीय सरकार ने सिर्फ दो से ज्यादा लोगों के एक जगह जमा होने पर रोक लगाई है.
केंद्रीय तौर पर शासित होने वाले देशों के विपरीत संघात्मक शासन वाले जर्मनी में लोगों की सुरक्षा का दायित्व देश के उन अलग अलग राज्यों पर है, जहां वे रह रहे हैं.
बेशक दुनिया के हर देश में कानूनी स्थिति और सीमाएं अलग अलग हैं. चीन में कानून के तहत किसी देशव्यापी आपातकाल की घोषणा नहीं की गई. इसके बजाय क्षेत्रीय स्तर पर कई उपायों को लागू किया गया. वहीं इटली में आपातकाल की घोषणा की गई. पहले सिर्फ उत्तरी हिस्से में इसे लागू किया गया और फिर पूरे देश में.
स्पेन में भी आपातकाल लागू किया गया. ठीक अमेरिका की तरह, जहां राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने 13 मार्च को देशव्यापी इमरजेंसी का एलान किया. इसके तहत संघीय सरकार वित्तीय मदद मुहैया कराएगी. अमेरिकी राज्यों के पास अतिरिक्त शक्तियां हैं जिनके तहत वे नागरिकों की आवाजाही पर पाबंदी लगाने समेत कई कदम उठा सकते हैं.
जर्मनी में कानूनी स्थिति
संघीय गणराज्य जर्मनी 16 राज्यों को मिलाकर बना है और आपातस्थिति में ये राज्य ही जिम्मेदारियां संभालते हैं. कानूनी नजरिए से बात करें तो किसी खतरे या संकट से लोगों की रक्षा करने की जिम्मेदारी इन्हीं राज्यों की है. इसीलिए जर्मनी की राष्ट्रीय सरकार कोरोना से निपटने के तौर तरीकों पर लगातार राज्यों के मुख्यमंत्रियों से सलाह मशविरा कर रही है.
'संकट की स्थिति' की घोषणा
किसी आपातस्थिति से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए राज्य "संकट" की घोषणा कर सकते हैं. संकट से निपटने और लोगों की हिफाजत करने के लिए हर राज्य के पास अपने कानून हैं. इन कानूनों का मकसद विशेष परिस्थितियों में एक ऐसी प्रक्रिया को संभव बनाना है जिसके तहत अधिकारी और फायर ब्रिग्रेड, रेड क्रॉस या फिर तकनीकी राहत के लिए संघीय एजेंसी (टीएचडब्ल्यू) जैसी सेवाएं पूरे तालमेल के साथ आपस में सहयोग कर सकें.
अगर "संकट" की घोषणा की जाती है तो मूल अधिकारों को सीमित किया जा सकता है. इसमें व्यक्तिगत स्वतंत्रता भी शामिल है जो जर्मन संविधान के आर्टिकल 2 के तहत सुनिश्चित की गई है.
संक्रमण से बचाव पर कानून
संक्रमण बचाव कानून जर्मनी में 2001 से लागू है. यह एक संघीय कानून है लेकिन यह राज्य सरकारों के सहयोग पर बहुत निर्भर है. अन्य शब्दों में, राज्य सरकारें भी इसे लागू कर सकती हैं. इस कानून में क्वारंटीन उपायों और घर से बाहर निकलने पर पाबंदियों की अनुमति है. महामारी की स्थिति में कर्फ्यू जैसी स्थिति भी लागू की जा सकती है.
अगर पूरी तरह कर्फ्यू लगाया जाता है तो लोगों को घर से बाहर निकलने की अनुमति नहीं होती. हालांकि कुछ अपवाद हैं जिनमें डॉक्टर के पास जाने, राशन और जरूरी समान खरीदने जाने और जरूरतमंदों की देखभाल करना शामिल है. इसमें साफ तौर पर तय किया जा सकता है कि किसलिए बाहर जाने की अनुमति है और किसलिए नहीं. इससे सामाजिक संपर्क सीमित होना संभव है.
इमरजेंसी कानून
आपात स्थिति में फिलहाल सारी जिम्मेदारी राज्यों के ऊपर दिखाई पड़ती है लेकिन जर्मनी की संघीय सरकार के पास भी कई कानूनी उपाय है जिनका इस्तेमाल वह संकट के समय कर सकती है. 1968 में पारित कानून के मुताबिक वह इमरजेंसी की घोषणा कर सकती है, हालांकि आज तक कभी ऐसा नहीं किया गया है. इमरजेंसी कानून संघीय सरकार को शक्ति देते हैं कि वह राज्य सरकारों को देश भर में संघीय पुलिस और यहां तक कि सेना की तैनाती करने के लिए निर्देश दे. सामान्य तौर पर जर्मन संविधान में देश के भीतर सेना की तैनाती पर बहुत सख्त पाबंदी है.
राज्य सरकारों से मूल अधिकारों को सीमित करने के लिए कहा जा सकता है. इसमें आवाजाही की स्वतंत्रता और पत्राचार की निजता का अधिकार भी शामिल है. शीत युद्ध के दवाब के बीच आपातकाल संबंधी कानूनों को बनाया गया था. जब ये कानून परित किए गए थे तो छात्र आंदोलनों और यूनियनों ने इनका खूब विरोध किया था. इसकी एक वजह यह भी थी कि नाजियों ने इमरजेंसी कानूनों का खूब दुरुपयोग किया था. 1930 के दशक में जब हिटलर के नेतृत्व में नाजियों ने सत्ता हासिल की थी, तो उस समय लागू इमरजेंसी कानूनों को उन्होंने अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया था.
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