इतिहास में आज: 16 जनवरी
१८ दिसम्बर २०१३कर्नाटक के तीन युद्ध हुए. तीनों 1746 से 1763 के बीच हुए. अगस्त 1639 को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने विजयनगर के राजा पेडा वेंकट राय से कोरोमंडल तट चंद्रगिरी में कुछ जमीन खरीदी. वेंकट राय ने अंग्रेज व्यापारियों को यहां एक फैक्ट्री और गोदाम बनाने की अनुमति दी थी. एक साल बाद ब्रिटिश व्यापारियों ने यहां सेंट जॉर्ज किला बनवाया जो औपनिवेशिक गतिविधियों का गढ़ बन गया. लेकिन प्रथम कर्नाटक युद्ध में इंग्लैंड को हराकर फ्रांसीसी फौजों ने 1746 में मद्रास और सेंट जॉर्ज के किले पर अपना कब्जा जमा लिया. इसके बाद अगले दो सालों तक तमाम कोशिशों के बाद भी वे सेंट डेविड किले को अंग्रेजों से नहीं छीन सके. प्रथम युद्ध के अंत में ब्रितानी कंपनी ने 1749 में एक्स ला शापेल सन्धि के तहत मद्रास को हासिल कर लिया.
तत्कालीन पांडिचेरी का फ्रांसीसी गवर्नर डूप्ले था. कर्नाटक के प्रथम युद्ध की सफलता से डूप्ले की महत्वाकांक्षाएं बढ़ गई थीं. द्वितीय युद्ध में फ्रांस ने आसफजाह के खिलाफ दक्कन की सूबेदारी के लिए मुजफ्फरजंग का साथ दिया और उसके पक्ष की जीत भी हुई. फ्रांसीसियों को इस जीत से काफी फायदा मिला और उत्तरी सरकार के कुछ क्षेत्र मिल गए. इससे उनकी हिम्मत काफी बढ़ गई थी. लेकिन कर्नाटक के द्वितीय युद्द के अंत में 1755 में इंग्लैंड और फ्रांस में ‘पांडिचेरी की सन्धि' हुई जिसके अनुसार दोनों पक्ष युद्ध विराम पर सहमत हो गए. कुल मिलाकर इस युद्ध में अंग्रेजों की स्थिति मजबूत रही.
कर्नाटक के तीसरे सप्तवर्षीय (1756-1763) युद्ध में इंगलैंड तथा फ्रांस में फिर से ठन गई थी. इस बार लड़ाई कर्नाटक की सीमा लांघ कर बंगाल तक में फैल गई. 1757 में फ्रांसीसी सरकार ने काउंट लाली को इस संघर्ष से निपटने के लिए भारत भेजा. दूसरी ओर बंगाल पर कब्जा करके अपार धन अर्जित कर लेने के कारण अंग्रेज दक्कन को जीत पाने में सफल रहे. लाली ने 1758 में ‘फोर्ट सेंट डेविड' को तो अपने अधिकार में ले लिया, परन्तु 1760 में अंग्रेजी सेना ने सर आयरकूट के नेतृत्व में वाडिवाश की लड़ाई में फ्रांसीसियों को बुरी तरह से मात दी. 16 जनवरी 1761 को अंग्रेजों ने फ्रांसीसियों से पांडिचेरी को छीन लिया.