आधा भारत देता है रिश्वत
९ दिसम्बर २०१०बर्लिन स्थित गैर सरकारी संगठन ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के सर्वे में छोटे मोटे घूस की जांच की गई है, और इसके लिए 86 देशों में 91,000 लोगों से बात की गई है. 2010 के ग्लोबल करप्शन बैरोमीटर के अनुसार पिछले 12 महीनों में हर चौथे आदमी ने 9 संस्थानों में से एक में काम करवाने के लिए घूस दी. इनमें शिक्षा, स्वास्थ्य और टैक्स अधिकारी शामिल हैं.
भारत को इराक और अफगानिस्तान सहित सबसे भ्रष्ट देशों में गिना गया है. रिश्वतखोरी के आधार पर बनाए गए भ्रष्ट देशों की सूची में भारत अफगानिस्तान, कंबोडिया, कैमरून, इराक, लाइबेरिया, नाइजीरिया और सेनेगल जैसे देशों के साथ सबसे ऊपर है जहां हर दूसरे व्यक्ति ने रिश्वत देने की बात मानी है. भारत में 74 फीसदी का कहना है कि पिछले तीन सालों रिश्वतखोरी बढ़ी है. दुनिया में 60 फीसदी ऐसा मानते हैं.
इस रिपोर्ट के अनुसार सबसे भ्रष्ट सरकारी संस्थान पुलिस है. पुलिस विभाग से सरोकार रखने वाले 29 फीसदी लोगों ने कहा कि उन्होंने रिश्वत दी है. अंतरराष्ट्रीय पैमाने पर सबसे ज्यादा रिश्वतखोरी की शिकायतें सब सहारनअफ्रीका से मिली हैं. वहां हर दूसरे आदमी ने पिछले 12 महीनों में अधिकारियों को घूस देने की बात कही है. 36 फीसदी के साथ मध्यपूर्व और उत्तरी अफ्रीका दूसरे नंबर पर है.
पूर्व सोवियत गणतंत्रों में 32 फीसदी ने, दक्षिण अमेरिका में 23 फीसदी ने, बाल्कान और तुर्की में 19 फीसदी ने और एशिया प्रशांत क्षेत्र में 11 फीसदी ने सरकारी अधिकारियों को काम करवाने के लिए रिश्वत देने की बात कही है. यूरोपीय संघ और उत्तरी अमेरिका में सिर्फ 5 फीसदी लोगों ने घूस देने की बात स्वीकार की है.
आधे ने कहा है कि उन्होंने मुश्किलों से बचने के लिए रिश्वत दी तो एक चौथाई ने काम में तेजी लाने के लिए रिश्वत दी. रिपोर्ट में एक और मजेदार बात सामने आई है. कम आय वाले लोगों ने बेहतर आय वाले लोगों के मुकाबले अधिक रिश्वत देने की बात कही है.
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल 2003 से भ्रष्टाचार पर रिपोर्ट जारी कर रही है. यह उसकी सातवीं रिपोर्ट है. इसमें पहली बार चीन, बांग्लादेश औऱ फलीस्तीनी क्षेत्रों को शामिल किया गया है. संयुक्त राष्ट्र ने 2003 में भ्रष्टाचार विरोधी अभियान को बढ़ावा देने के लिए अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस मनाने का फैसला किया था.
रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा
संपादन: ए जमाल