"अफगानिस्तान में हालात बेहतर पर अच्छे नहीं"
१६ अगस्त २०१०अमेरिकी सेना के जनरल डेविड पैट्रियस का कहना है कि तालिबान के खिलाफ जंग ऊपर नीचे चल रही है और अभी यह नहीं कहा जा सकता है कि यह सफल हो गई है. उन्होंने अमेरिकी समाचार चैनल एनबीसी को दिए इंटरव्यू में कहा, "हमें कुछ जगहों पर कामयाबी मिली है. हमें उन्हें एक दूसरे से जोड़ना है. आगे बढ़ाना है."
पैट्रियस ने कहा कि वह सैनिक नजरिए से अपनी सर्वश्रेष्ठ सलाह अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को देंगे कि अमेरिकी सेना को 2011 में तय समयसीमा में अफगानिस्तान छोड़ना चाहिए या नहीं लेकिन राजनीतिक फैसला राष्ट्रपति पर ही छोड़ देंगे. बराक ओबामा को 2012 में अगली बार राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए लड़ना है.
जनरल स्टैनली मैकक्रिस्टल की जगह अफगानिस्तान में तैनात किए गए जनरल पैट्रियस ने कहा, "मैं समझता हूं कि राष्ट्रपति ओबामा ने पहले ही कह दिया है कि यह एक प्रक्रिया है, कोई एक दिन की घटना नहीं. इसलिए इसमें शर्तें जुड़ी होंगी. अभी से हम कुछ नहीं कह सकते हैं कि कब हम छोड़ेंगे, कब नहीं."
दिसंबर में राष्ट्रपति ओबामा ने अफगानिस्तान में 30,000 सैनिक बढ़ाने का एलान किया था. इस साल मध्यावधि चुनाव के बाद दिसंबर में अफगानिस्तान के हालात का जायजा लिया जाएगा. हालांकि वह कह चुके हैं कि 2011 से अमेरिकी सैनिकों की वापसी शुरू हो जाएगी. पिछले हफ्ते एनबीसी और वॉल स्ट्रीट जर्नल का एक सर्वे सामने आया, जिसके मुताबिक 10 में से सात अमेरिकी समझता है कि यह युद्ध कामयाब नहीं होगा.
सैनिक कमांडरों का कहना है कि अफगान युद्ध और मुश्किल होता जा रहा है क्योंकि अब दक्षिण के उस हिस्से पर पार पाने की चुनौती है, जो तालिबान का गढ़ समझा जाता है. पैट्रियस करीब डेढ़ लाख फौज की अगुवाई कर रहे हैं, जिसमें अमेरिकी और नैटो सैनिक शामिल हैं. अफगानिस्तान में क्षेत्रीय स्तर पर अमेरिका को इराक जैसा सहयोग नहीं मिल रहा है और भ्रष्टाचार के मामलों से भी उसकी मुश्किल बढ़ती जा रही है.
पैट्रियस का कहना है कि वह लगातार अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई के संपर्क में बने हुए हैं और उनसे आम तौर पर रोजाना एक बार बात कर लेते हैं. अमेरिकी कमांडर का कहना है कि अल कायदा सरगना ओसामा बिन लादेन की तलाश भी जारी है लेकिन उन्हें नहीं लगता कि किसी को उसका पता है.
इस बीच, अफगानिस्तान में नौ साल से जारी जंग में मरने वाले सैनिकों की संख्या 2000 पार कर गई है. इनमें से करीब 60 फीसदी मौत अमेरिकी सैनिकों की है. हालांकि इराक युद्ध के मुकाबले मरने वाले सैनिकों की संख्या लगभग आधी है. लेकिन नैटो नेतृत्व वाली सेना का संकट बढ़ता जा रहा है क्योंकि अब उनके साथी अफगानिस्तान छोड़ रहे हैं. हाल ही में हॉलैंड ने अपनी सेना वापस बुला ली है.
आईकैजुअलिटिज डॉट कॉम के मुताबिक अफगानिस्तान में कुल 2002 सैनिकों की मौत हो चुकी है, जिसमें 1226 अमेरिकी हैं. कुल 331 ब्रिटिश सैनिक मारे गए हैं, जबकि बाकी के 44 साथी देशों के 445 सैनिकों को जान गंवानी पड़ी है. इराक में 2003 से शुरू हुए युद्ध में 4723 विदेशी सैनिक मारे गए, जिनमें से 4405 अमेरिकी सैनिक थे.
रिपोर्टः रॉयटर्स/ए जमाल
संपादनः एन रंजन