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पाकिस्तान में बाढ़: खुले में शौच को मजबूर महिलाएं

८ सितम्बर २०२२

पाकिस्तान के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की महिलाएं और लड़कियां अब खुले में शौच करने को मजबूर हैं. कुछ घटनाओं के बाद अब महिलाओं के दिलों में यह डर बैठ गया है कि खुले में शौच करते समय कोई पुरुष उन्हें देख न ले.

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पंजाब के फाजिलपुर गांव की महिलाएं
पंजाब के फाजिलपुर गांव की महिलाएं तस्वीर: Arif Ali/AFP

पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के एक छोटे से ग्रामीण रेलवे स्टेशन के आसपास के इलाके में दर्जनों तंबू लगाए गए हैं. फाजिलपुर में कुछ ही ऐसे स्थान बचे हैं, जो पानी में नहीं डूबे हैं, नहीं तो हर तरफ पानी ही पानी नजर आता है.

यह जगह जलमग्न फसलों, खाने-पीने और कूड़े के ढेर के साथ-साथ वहां जमा सैकड़ों लोगों और मवेशियों के मलमूत्र का मिश्रण बन गई है और दूर से ही बदबू आने लगती है.

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जैबुनिसा बीबी का गांव दो हफ्ते पहले बाढ़ के पानी में डूब गया था. उन्हें अपने परिवार के साथ जान बचाकर सुरक्षित स्थान पर भागना पड़ा. वह कहती हैं, "नहाने या शौच करने के लिए कोई जगह नहीं है."

पाकिस्तान में उत्तर से लेकर दक्षिण तक बाढ़ प्रभावित इलाकों में हर जगह ऐसे तंबू देखने को मिलते हैं. देश के इतिहास में सबसे भीषण बाढ़ ने ग्रेट ब्रिटेन के आकार के क्षेत्र को पानी की चपेट में ले लिया है और 3.3 करोड़ से अधिक लोगों को प्रभावित किया है. सात में से एक पाकिस्तानी बाढ़ प्रभावित है.

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महिलाओं के लिए विकराल समस्या    

इन कैंपों में शौचालयों की कमी सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है. शौचालय की कमी भी स्वास्थ्य समस्याओं का एक गंभीर खतरा पैदा करती है, खासकर महिलाओं और लड़कियों के लिए.

पाकिस्तान के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले ज्यादातर लोग बहुत रूढ़िवादी हैं और कई विस्थापित महिलाओं को ऐसे पुरुषों के साथ रहना पड़ रहा है जो उनके रिश्तेदार नहीं हैं.

जैबुनिसा ने ग्रामीण क्षेत्रों में अलग-अलग रहने वाली महिलाओं और पुरुषों की प्रथा का उल्लेख करते हुए कहा, "हम पर्दे के पीछे रहते थे, लेकिन अल्लाह ने अब उस पर्दे को भी हटा दिया है."

जैबुनिसा के मुताबिक खुले में शौच करते समय वह "बहुत शर्मिंदगी" महसूस करती हैं, खासकर तब से, जब वह एक पेड़ के पीछे शौच कर रही थी और एक आदमी चोरी से उन्हें देख रहा था. 

शमीम बीबी ने भी कुछ यही अनुभव साझा किए. वह कहती हैं, "मैं अपनी बेटियों को अकेला कहां भेज सकती हूं? जब हम शौच करने बैठते हैं तो हमें डर लगता है कि कहीं कोई आदमी न आ जाए."

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बीमारियों का भी खतरा

खुले में शौच करने के अलावा लोगों में बीमारियों का भी खतरा बढ़ा है. मक्खियों और मच्छरों के झुंड ऐसे लोगों के दुख को बढ़ाते हैं और बीमारी और संक्रमण फैलने के लिए एक आदर्श वातावरण बनाते हैं. बाढ़ के पानी के संपर्क में आने से कई महिलाएं त्वचा रोग की पीड़ित हो रही हैं.

फाजिलपुर के डॉ. एहसान अयाज कहते हैं, "शौचालय की कमी के कारण त्वचा और पेट की बीमारियां फैल रही हैं."

शमीम और उनकी बेटियां अब दिन में जितना हो सके कम से कम पानी पीती हैं ताकि उन्हें शौच की जरूरत महसूस न हो. अब ज्यादातर महिलाएं अपनी प्राकृतिक जरूरतों को पूरा करने के लिए शाम ढलने के बाद ही कैंपों से दूर सुनसान जगह की तलाश करती हैं.

शौच करते वक्त महिलाएं बारी-बारी से निगरानी करती हैं ताकि कोई पुरुष उन्हें देख न सके. शमीम कहती हैं, "हमें यह भी नहीं पता कि अगर कोई आदमी इस तरह की जबरन हरकत करता है तो हमें कैसे प्रतिक्रिया देनी चाहिए."

एए/वीके (एपी)

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