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पाकिस्तान: बाढ़ के बाद जहरीले सांपों का डर

२ सितम्बर २०२२

पाकिस्तान में इन दिनों बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत कार्य चल रहे हैं, लेकिन कई समस्याएं अभी खत्म नहीं हुईं हैं. संयुक्त राष्ट्र ने महिलाओं और लड़कियों के लिए अतिरिक्त खतरों का भी उल्लेख किया है.

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तस्वीर: Doaba Foundation

पाकिस्तान के दक्षिणी सिंध प्रांत के करीम बख्श गांव में और उसके आसपास की अधिकांश कृषि भूमि पानी के नीचे है. हाल ही में हुई बारिश और बाढ़ के कारण देश के अन्य हिस्सों की तरह बहुत से लोग आंतरिक सिंध के इस क्षेत्र से सब कुछ खोकर पलायन कर गए हैं. लेकिन कुछ यहीं रुक गए हैं. हालांकि खेतों में गेहूं के भंडार खाली हैं और वहां जहरीले सांपों का खतरा है.

हजारों लोग बाढ़ से बचने के लिए घर छोड़कर चले गए हैं लेकिन कुछ लोग अब भी यहीं मौजूद हैं और अपनी जमीन व संपत्ति को बचाना चाहते हैं. इस गांव के बीचोबीच एक डूबे हुए घर के पास खड़े 55 साल के किसान इंतेजार अहमद कहते हैं, ''हमारे पास औपनिवेशिक दौर की ब्रिटिश सरकार द्वारा जारी स्वामित्व के दस्तावेज थे. लेकिन कई साल पहले वे ऐसी ही बाढ़ का शिकार हो गए थे. अब हमें कहीं नहीं जाना है.''

35 साल के शाह मोहम्मद कहते हैं, "हमारे पास गाय, बैल और बकरियां हैं. अगर हम उन्हें छोड़कर कहीं चले गए, तो ये मवेशी चोरी हो जाएंगे."

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गांव नहीं छोड़ना चाहते लोग

करीम बख्श गांव में शाह मोहम्मद अकेले इस चिंता में नहीं हैं. कई अन्य लोग भी ऐसी ही स्थिति का सामना कर रहे हैं. मवेशी इस गांव के निवासियों के लिए धन हैं. उन्हें इस बात की भी चिंता सता रही है कि जब इंसानों की हालत ठीक नहीं है तो जानवरों के लिए खाने का इंतजाम कहां से करें.

70 साल के गुल बख्श ने कहा, "बाढ़ के कारण हमारे घर नष्ट हो गए हैं. हमने पेड़ों को काटा और उनकी लकड़ी से दीवारें बनाई हैं."

सिंध के करीम बख्श गांव और उसके आसपास के अन्य इलाकों में भी लोगों को अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है
सिंध के करीम बख्श गांव और उसके आसपास के अन्य इलाकों में भी लोगों को अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा हैतस्वीर: Doaba Foundation

सिंध के करीम बख्श गांव और उसके आसपास के अन्य इलाकों में भी लोगों को अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. गांव के रहने वाले मकबूल अहमद ने एक अलग खतरे की ओर ध्यान खींचा, जहरीले सांप. इस क्षेत्र में विशेष रूप से बाढ़ के दौरान जहरीले सांप पाए जाते हैं. मकबूल अहमद ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "हम सांपों से बचाव के लिए रात में रोशनी करते हैं. कभी-कभी कोबरा और वाइपर हमारे कैंपों में घुस जाते हैं."

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जो लोग करीम बख्श को छोड़ना नहीं चाहते हैं उनके लिए इन दिनों जीवित रहने का एकमात्र साधन सहायता एजेंसियों द्वारा दी जाने वाली मदद है. गांव में कहीं-कहीं एक किलोमीटर से अधिक दूरी तक बाढ़ का गंदा पानी जमा हो गया है. एक सहायता कर्मी के मुताबिक जब उसे पता चला कि कुछ परिवार करीम बख्श को छोड़ना नहीं चाहते हैं तो उसके संगठन ने आपूर्ति भेजने का फैसला किया. हालांकि, हर जगह मूसलाधार बारिश और उसके बाद बाढ़ से तबाही के निशान हैं. बाढ़ ने अधिकांश घर और बुनियादी ढांचे को नष्ट कर दिया है.

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लाखों बच्चे और गर्भवती महिलाएं खतरे में

दूसरी ओर संयुक्त राष्ट्र बाल एजेंसी यूनिसेफ द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि पाकिस्तान के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में मानवीय सहायता की तत्काल जरूरत है. कई क्षेत्रों में बच्चे कुपोषण का सामना कर रहे हैं, जिसमें जल जनित रोग भी शामिल हैं. वहीं संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) के मुताबिक करीब छह लाख गर्भवती महिलाओं को चिकित्सा और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की जरूरत है. संस्था की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले ही महीने करीब 73,000 महिलाएं बच्चों को जन्म देंगी और ऐसे में कुशल स्वास्थ्यकर्मियों की जरूरत होगी.

यूएन ने एक रिपोर्ट में कहा कि दक्षिण एशियाई देश में तीन दशकों से अधिक समय में यह सबसे भारी बारिश और बाढ़ थी. जून के मध्य से अब तक 1,200 से अधिक लोग मारे गए हैं और साढ़े तीन करोड़ लोग प्रभावित हुए हैं.

एए/वीके (एएफपी, एपी)

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