मंगल ग्रह का पानी से लबालब समुद्र कहां गायब हो गया!
१३ अगस्त २०२४वैज्ञानिक यह मानते आ रहे थे कि करीब 430 करोड़ साल पहले मंगल ग्रह पर पानी से लबालब एक प्राचीन समुद्र हुआ करता था. इतना पानी, जो समूचे मंगल ग्रह की सतह को करीब 450 फीट की तरल परत से ढकने के लिए पर्याप्त था. सिर्फ समुद्र नहीं, यहां नदियां और झीलें भी थीं.
वैज्ञानिकों ने दिया इंसान के लिए मंगल को गर्म करने का सुझाव
2015 में नासा ने ग्राउंड वॉटर ऑब्जरवेट्रीज की मदद से बताया कि मंगल ग्रह के इस प्राचीन समुद्र में पृथ्वी के आर्कटिक महासागर से भी ज्यादा पानी था. करीब 300 करोड़ साल पहले यह समुद्र गायब हो गया. इसका करीब 87 फीसदी पानी गुम हो गया. संभव है कि यह पानी खनिजों में मिल गया हो. या, अंतरिक्ष में उड़ गया हो. वैज्ञानिक लंबे समय से इस पानी का पता लगाने की कोशिश कर रहे थे. वे यह भी जानने की कोशिश कर रहे थे कि पानी की इतनी अकूत मात्रा आखिरकार गायब क्यों हुई.
मंगल पर भूमिगत जलाशय
अब वैज्ञानिकों को मंगल ग्रह की सतह के नीचे इस पहेली का जवाब मिला है. यहां जमीन के नीचे तरल पानी का बड़ा भंडार मौजूद होने के मजबूत संकेत मिले हैं. शोधकर्ताओं को मिले ठोस सबूत बताते हैं कि भूमिगत पानी का भंडार इतना विशाल हो सकता है कि इससे मंगल ग्रह की सतह पर मौजूद खाली समुद्र भरे जा सकते हैं.
मार्स रोवर ने मंगल पर खोजे प्राचीन झील के सबूत
यह जानकारी नासा के इनसाइट लैंडर से हासिल हुए सीस्मिक डेटा पर आधारित है. इसके आधार पर वैज्ञानिकों ने अनुमान जताया है कि मंगल पर इतनी अधिक मात्रा में भूमिगत जल है, जिससे पूरे ग्रह को एक से दो किलोमीटर की तरल परत से ढका जा सकता है. इस खोज से जुड़ी जानकारियां 'प्रोसिडिंग्स ऑफ द नेशनल अकैडमी ऑफ साइंसेज' नाम के जर्नल में प्रकाशित हुई हैं.
बहुत मुश्किल है इस पानी तक पहुंचना
तो क्या इसका मतलब हुआ कि पानी की सुगम उपलब्धता से मंगल ग्रह पर मानव बस्तियां आसानी से बसाई जा सकेंगी? नहीं. भविष्य में मंगल पर इंसानों की रिहाइश में इस भूमिगत जलाशय का इस्तेमाल बहुत मुश्किल है. यह पानी मंगल ग्रह के क्रस्ट के बीच में चट्टानों की छोटी दरारों और छेदों में मौजूद है, सतह के नीचे 11 से 20 किलोमीटर की गहराई पर. विज्ञान और तकनीक में हुई इतनी तरक्कियों के बावजूद पृथ्वी पर एक किलोमीटर की गहराई तक छेद कर पाना भी बड़ी चुनौती है. ऐसे में मंगल की जमीन में इतने नीचे तक ड्रिल करना बहुत मुश्किल काम है.
मंगल के भूमिगत जलाशय की यह खोज एक अलग दिशा में उम्मीद जगा सकती है. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि ये जगह मंगल पर जीवन की खोज में अहम ठिकाना साबित हो सकती है. इसके लिए जरूरी होगा कि इस जलाशय तक पहुंचा जा सके. वैज्ञानिक ऐसे संकेतों की तलाश में हैं, जो बता सकें कि अतीत में जब यह ग्रह अपेक्षाकृत गर्म था और इसकी सतह पर पानी था, क्या तब यहां किसी रूप में जीवन मौजूद था.
क्या मंगल ग्रह पर जीवन मौजूद है?
नासा के मुताबिक, मंगल पर किसी मौजूदा जीवन के अस्तित्व की बहुत उम्मीद नहीं है. हालांकि, सूक्ष्मजीवों के रूप में जीवन के मौजूद होने की संभावना को पूरी तरह खारिज नहीं किया जा सकता है. अब तक हम जीवन को जिस स्वरूप में जानते हैं, उसके लिए पानी एक आधारभूत तत्व है. ऐसे में मुमकिन है कि भूमिगत जलाशय जीवन के किसी रूप के लिए आबाद जगह हो.
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विशेषज्ञों के मुताबिक, नई जानकारी की रोशनी में यह संभावना लगती है कि मंगल की सतह पर मौजूदा ज्यादातर पानी अंतरिक्ष में गुम नहीं हुआ. बल्कि वह रिसते हुए नीचे क्रस्ट में पहुंच गया. वाशन राइट, अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफॉर्निया के स्क्रिप्स इंस्टिट्यूशन ऑफ ओशेनोग्रैफी में सहायक प्रोफेसर हैं. समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बात करते हुए उन्होंने कहा, "इतनी गहराई पर क्रस्ट इतना गर्म है कि पानी तरल अवस्था में बचा रहे. कम गहराई वाली जगहों पर पानी जमकर बर्फ बन जाएगा."
इस खोज की अहमियत रेखांकित करते हुए वह कहते हैं, "मंगल ग्रह पर पानी के चक्र को समझना, वहां जलवायु, सतह और भीतरी ढांचे के विकास को जानने की दिशा में काफी अहम है." जीवन की संभावनाओं पर राइट ने कहा, "पृथ्वी पर हम जानते हैं कि जहां पर्याप्त नमी होती है और ऊर्जा के समुचित स्रोत होते हैं, वहां पृथ्वी के नीचे बहुत गहराई में सूक्ष्मजीवों के रूप में जीवन है."
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वाशन राइट आगे कहते हैं, "पानी कहां हैं और कितना है, यह जानना एक शुरुआती फायदेमंद मौका होगा." मंगल का वातावरण कम घना है. हवा का दबाव भी कम है. इसे 'थिन अटमॉस्फेयर' कहते हैं. पृथ्वी की तुलना में यह 100 गुना पतला है. यह ज्यादातर कार्बन डाई ऑक्साइड, नाइट्रोजन और आर्गन गैसों से बना है. इस वातावरण के चलते पानी तरल अवस्था में बहुत समय तक सतह पर नहीं रह सकता. मंगल के ध्रुवीय इलाकों में सतह के नीचे बर्फीले रूप में पानी मौजूद है.
नासा के जिस इनसाइट लैंडर से ताजा जानकारी मिली है, वह मई, 2018 में मंगल के लिए रवाना हुआ था. इसका मकसद मंगल के अंदरूनी ढांचे की स्टडी करना था. सौर मंडल के नजदीकी पथरीले ग्रहों के गठन की प्रक्रिया क्या है, यह पता लगाना ग्रह संबंधी विज्ञान के सबसे बुनियादी पहलुओं में से एक है. इनसाइट लैंडर बाहरी अंतरिक्ष में भेजा गया पहला रोबॉटिक एक्सप्लोरर है, जिसने मंगल ग्रह के क्रस्ट, मैंटल और कोर की गहराई से पड़ताल की. चार साल से ज्यादा समय तक मंगल की संरचना से जुड़े आंकड़े जमा करने के बाद यह अभियान दिसंबर 2022 में खत्म हो गया.
एसएम/आरपी (नासा, रॉयटर्स, एपी)