यूरोप में खाली उड़ते विमानों ने बढ़ाया कंपनियों का सिरदर्द
७ जनवरी २०२२यूरोप में विमानों के रूट बचाए रखने के लिए एयरलाइंस को आधे से ज्यादा विमान उड़ाने अनिवार्य होते हैं. लेकिन इस कारण एक बड़ी समस्या पैदा हो गई है. बहुत सारे विमान खाली उड़ाए जा रहे हैं. इन्हें ‘गोस्ट फ्लाइट‘ कहा जा रहा है.
कंपनियों को ये गोस्ट फ्लाइट इसलिए उड़ानी पड़ रही हैं क्योंकि यूरोपीय आयोग का नियम है कि आपको यदि अपनी जगह बचाए रखनी हैं तो उनमें से 50 प्रतिशत का इस्तेमाल करना अनिवार्य है. लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण लोग बहुत कम यात्राएं कर रहे हैं. जिन विमानों की टिकट बिक रही हैं, वे भी पूरे नहीं भर पा रहे हैं.
जर्मन एयरलाइंस लुफ्थांसा ने चेतावनी दी है कि उसके कुल मार्गों का 5-6 प्रतिशत, जो कि 18,000 फ्लाइट होंगी, इस सर्दी में गैरजरूरी फ्लाइट होंगी. इनमें यात्री इतने कम होंगे कि उनसे कंपनी को कोई कमाई नहीं हो पाएगी. लुफ्थांसा पहले ही 33,000 रास्तों से उड़ानें हटाने का ऐलान कर चुकी है. आने वाले महीनों में यह कटौती की जाएगी. लेकिन कंपनी का कहना है कि वह इससे ज्यादा कटौती नहीं कर सकती.
पहले ही हो चुकी है कमी
वैसे, महामारी के दौरान विमानों की अनिवार्यता की सीमा बदली गई थी. पहले यह 80 प्रतिशत हुआ करती थी जिसे घटाकर 50 प्रतिशत कर दिया गया था. 2020 में जब कोविड शुरू हुआ तो यूरोपीय कमीशन ने इस नियम को रद्द कर दिया था. लेकिन पिछले साल फरवरी में यह नियम 50 प्रतिशत सीमा के साथ दोबारा लागू कर दिया गया.
अब 50 प्रतिशत की सीमा भी कंपनियों के लिए अधिक हो गई है और वे आयोग से इसे और कम करने की मांग कर रही हैं. लुफ्थांसा के सीईओ कार्स्टन श्पोर ने जर्मन अखबार फ्रांकफुर्टर आल्गेमाइने त्साइटुंग को बताया, "दुनिया के लगभग सभी अन्य हिस्सों में महामारी के दौरान पर्यावरण के अनुकूल विकल्प खोजे गए हैं. यूरोपीय कमीशन हमें वैसा करने की इजाजत नहीं देता.”
श्पोर ने कहा कि आयोग के ये नियम पर्यावरण की खातिर बदले जाने चाहिए. उन्होंने कहा, "ब्रसेल्स के नियम पर्यावरण के लिए घातक हैं. और आयोग अपने ‘फिट फॉर 55' लक्ष्य के तहत जो कुछ भी हासिल करना चाहता है, उसके एकदम उलट हैं.”
सीमा बढ़ाएगा यूरोपीय आयोग
यूरोपीय संघ के कई सदस्य देशों की तरफ से यह मांग आ रही है. बेल्जियम के परिवहन मंत्री गिऑर्गेस गिल्किनेट ने यूरोपीय कमीशनर फॉर ट्रांसपोर्ट आडिना वैलिअन को पत्र लिखकर कहा है कि नियमों में ढील दी जाए. यूरोन्यूज के मुताबिक एक यूरोपीय कूटनीतिज्ञ ने बताया कि गिल्किनेट ने यह सीमा 50 फीसदी से घटाकर 30 प्रतिशत करने का आग्रह किया है.
यूरोपीय कमीशन के प्रवक्ता डेनियल फेरी ने बुधवार को कहा, "आमतौर पर यह दर 80 प्रतिशत थी. उपभोक्ता मांग में जो कमी हुई है, उसी के चलते यह 50 प्रतिशत की गई थी.”
पिछले साल दिसंबर में ही आयोग ने कहा था कि 28 मार्च से यह सीमा बढ़ाकर 64 प्रतिशत कर दी जाएगी क्योंकि उसे उम्मीद है कि ग्राहक बढ़ जाएंगे और मांग भी बढ़ेगी.
रिपोर्टः विवेक कुमार (एपी)