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महाराष्ट्र की 900 मस्जिदों ने मानी राज ठाकरे की बात

९ मई २०२२

महाराष्ट्र की लगभग 900 मस्जिदों ने राज ठाकरे की बात मानते हुए अजान के वक्त लाउडस्पीकरों की आवाज धीमी रखने पर सहमति जता दी है. मुस्लिम नेताओं ने कहा कि सांप्रदायिक तनाव से बचने के लिए यह कदम उठाया गया.

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मुंबई की एक मस्जिद
मुंबई की एक मस्जिदतस्वीर: Rafiq Maqbool/AP/picture alliance

मुंबई की सबसे बड़ी मस्जिद में अपने दफ्तर में बैठे मोहम्मद अशफाक काजी अजान से पहले अपनी मस्जिद के लाउडस्पीकर के साथ लगे डेसीबल मीटर को जांचते हैं. काजी महाराष्ट्र के सबसे प्रभावशाली इस्लामिक विद्वानों में से एक हैं. मुंबई के जुमा मस्जिद की मीनारों पर लगे लाउडस्पीकरों की ओर इशारा करते हुए वह कहते हैं, "अजान की आवाज राजनीतिक मुद्दा बन गई है लेकिन मैं नहीं चाहता कि यह कोई सांप्रदायिक मोड़ ले ले.”

काजी और महाराष्ट्र के तीन अन्य इस्लामिक विद्वान बताते हैं कि राज्य की 900 मस्जिदों ने अजान की आवाज कम करने पर सहमति दे दी है. महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के नेता राज ठाकरे ने पिछल महीने मांग की थी कि मस्जिद और अन्य धार्मिक स्थल प्रार्थनाओं की आवाज शोर की सीमा के भीतर रखें. उन्होंने कहा था कि अगर मस्जिदों ने ऐसा नहीं किया तो उनके समर्थक विरोध जताने के लिए मस्जिदों के बाहर हिंदू मंत्रोच्चार करेंगे.

हिंसा का खतरा

288 सदस्यों वाली विधानसभा में एमएनएस के पास सिर्फ एक सीट है. एमएनएस ने मांग की थी कि अदालतों द्वारा तय की गई शोर की सीमा को लागू कराया जाए. मीडिया से बातचीत में ठाकरे ने कहा था, "यदि धर्म निजी मसला है तो मुसलमानों को 365 दिन लाउडस्पीकर इस्तेमाल करने की इजाजत क्यों है? मैं हिंदू भाइयों, बहनों और मांओं से आग्रह करता हूं कि आएं और इन लाउडस्पीकरों को उतार दें.”

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बहुत से लोग इस कदम और आह्वान को हाल के सालों में मुसलमानों की धार्मिक आजादी पर हुए हमलों की ही एक कड़ी के रूप में देखते हैं. ठाकरे द्वारा यह आह्वान रमजान के दिनों में किया गया और ईद के दौरान मुंबई समेत पूरे महाराष्ट्र में यह बड़ा मुद्दा बना रहा.

जुमा मस्जिद के काजी कहते हैं कि वह हिंदुओं और मुसलमानों के बीच किसी तरह की हिंसा का खतरा नहीं उठाना चाहते इसलिए उन्होंने राज ठाकरे की मांग मान ली. महाराष्ट्र में सांप्रदायिक दंगों का इतिहास रक्तरंजित रहा है. 1993 के बम धमाकों और दंगों में सैकड़ों जानें गई थीं. काजी नहीं चाहते कि वैसा इतिहास दोहराया जाए. वह कहते हैं, "हमें (मुसलमानों को) शांति और समझदारी बनाए रखनी है.”

फैल रहा है अभियान

महाराष्ट्र में करीब सात करोड़ हिंदू और एक करोड़ मुसलमान रहते हैं. राज्य सरकार ने भी राज ठाकरे की मांग को पूरी गंभीरता से लिया. वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने काजी और अन्य मुस्लिम नेताओं से मुलाकात की ताकि लाउडस्पीकरों की आवाजें कम करना सुनिश्चित किया जा सके. शनिवार को पुलिस ने दो लोगों के खिलाफ अजान के लिए लाउडस्पीकर इस्तेमाल करने पर एफआईआर भी दर्ज की. साथ ही ठाकरे की पार्टी के समर्थकों को मस्जिदों के आसपास जमा ना होने को भी कहा गया.

अयोध्या में की गई थी दंगा भड़काने की साजिश

मुंबई के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी वीएन पाटील ने बताया, "किसी भी सूरत में हम राज्य में सांप्रदायिक तनाव पैदा नहीं होने देंगे. अदालत के आदेश का सम्मान होना चाहिए.” मनसे के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि उनकी पार्टी का अभियान मुसलमानों के खिलाफ नहीं है बल्कि सभी धर्मस्थलों द्वारा फैलाए जा रहे ध्वनि प्रदूषण को कम करना है.

कीर्ति कुमार शिंदे ने कहा, "हमारी पार्टी अल्पसंख्यक समुदाय का तुष्टिकरण नहीं करती.” उन्होंने बताया कि पुलिस ने पार्टी के 20 हजार कार्यकर्ताओं को चेतावनी जारी की थी.

एमएनएस के अभियान के बाद मस्जिदों पर लाउडस्पीकरों का मुद्दा अन्य राज्यों में भी फैल रहा है. कम से कम तीन राज्यों में भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने स्थानीय पुलिस से कहा है कि धर्मस्थलों पर लगे लाउडस्पीकर हटवाए जाएं. उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि धर्मस्थलों से 60,000 अवैध लाउडस्पीकर हटाए गए हैं.

वीके/एए (रॉयटर्स, एएफपी)

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