द्रौपदी मुर्मू ने ली राष्ट्रपति पद की शपथ
२५ जुलाई २०२२मुर्मू को संसद भवन में देश के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने शपथ दिलाई. शपथ लेने के बाद मुर्मू ने संसद के दोनों सदनों की एक संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए कहा, "मेरा चुना जाना इस बात का सबूत है कि देश में गरीब भी सपने देख सकता है और उन्हें पूरा भी कर सकता है."
64 वर्षीय मुर्मू ने यह भी कहा कि उनकी उपलब्धि देश के हर गरीब की उपलब्धि है और करोड़ों महिलाओं की काबिलियत का प्रतिबिंब भी है. मुर्मू अभी तक की सबसे युवा राष्ट्रपति है. उन्होंने बताया कि वो देश की ऐसी पहली राष्ट्रपति हैं जिसका जन्म आजाद भारत में हुआ.
उन्होंने कहा कि आगे देश के "स्वाधीनता सेनानियों ने आजाद हिंदुस्तान के हम नागरिकों से जो अपेक्षाएं की थीं, उनकी पूर्ति के लिए इस अमृतकाल में हमें तेज गति से काम करना है." मुर्मू ने कहा कि अगले "25 वर्षों में अमृतकाल की सिद्धि का रास्ता दो पटरियों पर आगे बढ़ेगा- सबका प्रयास और सबका कर्तव्य."
उनके भाषण के बाद राष्ट्रपति के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से "जोहार! नमस्कार!" ट्वीट किया गया. "जोहार" कई आदिवासी समुदायों का उद्बोधन शब्द है.
शपथ ग्रहण के बाद मुर्मू को तीनों सेनाओं की तरफ से 21 तोपों की सलामी दी गई. भारत का राष्ट्रपति तीनों सेनाओं का "कमांडर इन चीफ" होता है.
मुर्मू ओडिशा के मयूरभंज जिले में रहने वाले एक संथाल आदिवासी परिवार से आती हैं. राजनीति में आने से पहले वो एक स्कूल में पढ़ाती थीं. उनके पिता और दादा दोनों अपने अपने समय में सरपंच थे.
वो खुद 1997 में बीजेपी से जुड़ीं और नगर पंचायत में पार्षद चुनी गईं. बाद में वो विधायक और ओडिशा सरकार में मंत्री भी बनीं. मई 2015 में उन्हें झारखंड का राज्यपाल बनाया गया.