क्या होगा 27 सालों से अटके पड़े महिला आरक्षण बिल का
१९ सितम्बर २०२३संसद के विशेष सत्र के पहले दिन सोमवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक हुई और इसी के बाद से मीडिया में सूत्रों के हवाले से खबर दी जा रही है कि नरेंद्र मोदी कैबिनेट ने महिला आरक्षण बिल को मंजूरी दे दी है.
महिलाओं को संसद और विधानसभा में 33 फीसदी आरक्षण देने से जुड़ा बिल पिछले 27 साल से अटका पड़ा था. इंडियन एक्सप्रेस अखबार ने सूत्रों के हवाले से लिखा कि केंद्रीय कैबिनेट की अनिर्धारित बैठक में पथ प्रदर्शक कानून को अंतिम रूपरेखा दी गई.
केंद्रीय राज्य मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने सोमवार को कहा कि मंत्रिमंडल ने महिला आरक्षण विधेयक को मंजूरी दे दी है, लेकिन उन्होंने एक घंटे के भीतर ही अपना यह पोस्ट सोशल मीडिया साइट एक्स से हटा लिया. कैबिनेट की बैठक में क्या चर्चा हुई, इस संबंध में अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं जारी किया गया है, लेकिन ये अटकलें लगाई जा रही हैं कि इसमें महिला आरक्षण विधेयक को मंजूरी दी गई है.
कांग्रेस ने कहा है कि पार्टी लंबे समय से महिलाओं को संसद में आरक्षण देने की मांग कर रही है और सरकार इस विधेयक को लेकर आती है, तो पार्टी इसका स्वागत कर बिना शर्त समर्थन करेगी. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक्स पोस्ट में कहा, "हमारे प्रधानमंत्री कहते हैं कि वह महिला सशक्तीकरण के पुरजोर समर्थक हैं. उनके लिए दलगत राजनीति से ऊपर उठने, अपनी बात कहने और महिला आरक्षण विधेयक को संसद से पारित कराने का समय आ गया है. कांग्रेस उन्हें बिना शर्त समर्थन की पेशकश करती है."
महिला आबादी के लिए क्या बदलेगा
टाइम्स ऑफ इंडिया अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक यह बिल लोकसभा में चर्चा के लिए बुधवार को पेश किया जा सकता है और शुक्रवार यानी विशेष सत्र के आखिरी दिन इसको राज्यसभा से पास कराया जा सकता है.
सोमवार को सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "यह सत्र छोटा है, लेकिन समय के हिसाब से बड़ा सत्र है. ये ऐतिहासिक फैसलों का सत्र होगा."
इस बिल में संसद और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का प्रावधान हो सकता है. कई सालों से महिला आरक्षण की मांग उठती रही है और यह फिर ठंडे बस्ते में जाता रहा है. लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में उनकी 33 फीसदी आरक्षण की मांग अब तक पूरी नहीं हो पाई है, जबकि महिला आरक्षण विधेयक सबसे पहले 1996 में संसद में पेश किया गया था. उस समय समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल ने इस विधेयक का पुरजोर विरोध किया था.
27 साल पहले संसद में पेश हुआ था
विरोध के बाद विधेयक संयुक्त संसदीय समिति के पास भेज दिया गया था. इसके बाद फिर 1998 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजेपयी के कार्यकाल के दौरान विधेयक लोकसभा में पेश किया गया लेकिन इस बार भी विधेयक पास नहीं हुआ. महिला आरक्षण विधेयक फिर 1999, 2002 और 2003 में संसद में पेश किया गया लेकिन इसे संसद की मंजूरी नहीं मिल पाई.
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के दौरान 2008 में मनमोहन सिंह सरकार ने विधेयक को राज्यसभा में पेश किया. इसके दो साल बाद 2010 में उच्च सदन ने इसे मंजूरी प्रदान की. लेकिन यह बिल रद्द हो गया क्योंकि यह लोकसभा से पारित नहीं हो सका था.