त्रिपुरा दंगेः पत्रकारों के ट्वीट्स खंगाल रही है पुलिस
१० नवम्बर २०२१भारत में पुलिस ने वकीलों, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के करीब दर्जनों सोशल मीडिया खातों की जांच शुरू की है. यह जांच की जा रही है कि इन लोगों ने त्रिपुरा में हाल ही में हुई सांप्रदायिक हिंसा के दौरान ऐसा कुछ तो नहीं लिखा, जिससे हिंसा भड़की हो.
रविवार को अधिकारियों ने कम से कम 102 सोशल मीडिया खाताधारकों के खिलाफ आपराधिक मामले में जांच शुरू की है. यह जांच फर्जी खबर फैलाने के आरोपों के तहत की जा रही है. जिन लोगों की जांच की जा रही है उनमें भारत के कई प्रतिष्ठित पत्रकारों के अलावा एक ऑस्ट्रेलियाई पत्रकार और अमेरिका में रहने वाले कानून के एक प्रोफेसर भी हैं. जानकारी के मुताबिक जिनकी जांच की जा रही हैं उनमें ज्यादा मुस्लिम हैं.
पिछले महीने त्रिपुरा में भीड़ ने कई जगह मुस्लिम इलाकों में हिंसा की थी. बांग्लादेश में हुई हिंदू-विरोधी हिंसा के जवाब में कई हिंदू संगठनों ने राज्य में रैलियां निकाली थीं. उसी दौरान भीड़ ने कम से कम चार मस्जिदों और मुस्लिम इलाके में दर्जनों घरों व दुकानों पर हमले किए थे.
यूएपीए के तहत मामला
पुलिस ने कहा कि ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब के जिन खातों की जांच की जा रही है, उन पर संदेह है कि फर्जी वीडियो और अन्य सामग्री के जरिए हिंसा को और भड़काया. कार्रवाई के लिए आतंकवाद विरोधी कानून अनलॉफुल एक्टीविटीज (प्रिवेंशन) एक्ट (UAPA) के तहत मामला दर्ज किया गया है. मानवाधिकार कार्यकर्ता इसे एक काला और क्रूर कानून बताते हैं. इस कानून के तहत पुलिस को बिना किसी आरोप के किसी को भी छह महीने तक हिरासत में रखने का अधिकार है.
ज्यादातर विवादास्पद सोशल मीडिया पोस्ट रविवार तक हटाई जा चुकी थीं. इनमें बहुत सी पोस्ट ऐसी हैं जो त्रिपुरा में हमले का शिकार मुसलमानों के बारे में हैं. ऑस्ट्रेलिया के एक पत्रकार सीजे वॉलरमैन ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने त्रिपुरा में हो रही हिंसा और हिंसा का विरोध कर रहे मुसलमानों को ही हिरासत में लेने जैसी घटनाओं की निंदा नहीं की.
बाईलाइन टाइम्स के पत्रकार वॉलरमैन ने 30 अक्टूबर को लिखा था, "हिंदू भीड़ द्वारा त्रिपुरा में मस्जिदों और मुसलमानों की संपत्तियों पर 27 हमलों की पुष्टि हो चुकी है.”
एक भारतीय पत्रकार श्याम मीरा सिंह के खिलाफ भी जांच हो रही हैं. सिंह ने ट्वीट किया था, "त्रिपुरा जल रहा है.” उन्होंने बताया कि ट्वीटर ने एक ईमेल के जरिए उन्हें सूचित किया था कि त्रिपुरा पुलिस ने इस ट्वीट के खिलाफ कार्रवाई का अनुरोध किया है.
पुलिस कार्रवाई की निंदा
रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स नामक संस्था ने सोमवार को कहा, "इन पत्रकारों का अपराध मात्र इतना है कि उन्होंने उत्तर पूर्वी राज्य त्रिपुरा में मस्जिदों पर हमलों के बारे में लिखा.”
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने भी पुलिस की कार्रवाई की निंदा की है. पत्रकारों की इस संस्था ने मांग की कि "पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को सजा देने के बजाय” दंगों के बारे में जांच हो.
त्रिपुरा में हिंदू राष्ट्रवादी भारतीय जनता पार्टी पार्टी की सरकार है. आलोचकों का कहना है कि मोदी सरकार के केंद्र में सत्ता में आने के बाद से भारत में मुस्लिम आबादी के खिलाफ हमले बढ़े हैं. सरकार इन आरोपों को गलत बताती है.
त्रिपुरा पुलिस की सोशल मीडिया खातों की जांच की विपक्षी कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने भी निंदा की है. ट्विटर पर उन्होंन लिखा, "त्रिपुरा जल रहा है, इसकी ओर इशारा करना कार्रवाई की मांग करना है. लेकिन पर्दा डालने के लिए बीजेपी की पसंदीदा तिकड़म है, संदेशवाहक को सजा. यूएपीए से सच छिपाया नहीं जा सकता.”
वीके/एए (एएफपी)