अब दिल्ली में भी चला बुलडोजर
२० अप्रैल २०२२दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में सांप्रदायिक हिंसा के भड़कने के चार दिनों बाद 20 अप्रैल को स्थानीय प्रशासन ने कई झुग्गियों, मकानों और दुकानों पर बुलडोजर चलवा कर उन्हें तुड़वा दिया. यह तोड़ फोड़ करवाने वाली उत्तरी दिल्ली नगरपालिका ने कहा कि यह कदम "अवैध अतिक्रमण" के तहत बनाई गई संपत्तियों के खिलाफ उठाया गया.
लेकिन एक दिन पहले दिल्ली में भाजपा के अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने नगरपालिका के महापौर को एक पत्र लिख कर कहा था, "जहांगीरपुरी में शोभायात्रा पर पथराव करने वाले दंगाइयों द्वारा किए गए अवैध निर्माण एवं अतिक्रमण को चिन्हित कर उस पर तुरंत बुलडोजर" चलवाए जाएं.
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महापौर बीजेपी के ही नेता हैं. इससे पहले मध्य प्रदेश में भी राज्य की बीजेपी सरकार ने खरगोन में रामनवमी पर हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद इसी तरह की कार्रवाई की थी.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद
उस समय भी स्थानीय प्रशासन ने तोड़ फोड़ का कारण अतिक्रमण बताया था, लेकिन राज्य के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने "जिन घरों से पत्थर आए हैं उन घरों को ही पत्थर के ढेर में बदल" देने की बात की थी.
नगरपालिका द्वारा करीब एक घंटे की तोड़ फोड़ के बाद एक याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने तोड़ फोड़ पर रोक लगा दी, लेकिन इसके बावजूद तोड़ फोड़ चलती रही.
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रोक लगाने का आदेश देते हुए मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने यह भी कहा कि मामले पर विस्तार से सुनवाई की तारीख 21 अप्रैल को दी जाएगी. वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे मामले को अदालत के सामने लाए.
दवे ने अदालत को बताया, "जहांगीरपुरी में जहां दंगे हुए थे वहां असंवैधानिक, अनाधृकित तोड़ फोड़ की जा रही है. कोई नोटिस भी नहीं दिया गया था जिसका 10 दिनों में जवाब दिया जा सके."
फिर होगी सुनवाई
'लाइव लॉ' वेबसाइट के मुताबिक दवे ने अदालत को यह भी बताया कि कार्रवाई पहले दिन में दो बजे शुरू होनी थी लेकिन जब नगरपालिका को खबर मिली कि मामले को सुप्रीम कोर्ट के सामने लाया जाना है तो कार्रवाई को सुबह 9 बजे ही शुरू कर दिया गया.
मामले को अलग से दिल्ली हाई कोर्ट के सामने भी लाया गया और हाई कोर्ट ने आज ही मामले पर सुनवाई करने का आदेश दिया. सुप्रीम कोर्ट में जमीअत उलेमा-ए-हिंद ने मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और गुजरात में हुई इस तरह की तोड़ फोड़ के खिलाफ एक याचिका पहले से डाली हुई है.
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याचिका में सुप्रीम कोर्ट से अपील की गई है कि वो केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को आदेश दे कि वो सजा के तौर पर किसी भी आवासीय या व्यावसायिक संपत्ति की तोड़ फोड़ न होने दें. इस याचिका पर सुनवाई भी 21 अप्रैल को होगी.