जर्मनी की सेना अब भी साजो सामान की कमी से जूझ रही है
२९ नवम्बर २०२२यूक्रेन पर हमला होने के बाद जर्मन सरकार ने सेना को हथियारों से लैस करने के लिए 100 अरब यूरो का विशेष कोष बनाया था. जर्मन सिक्योरिटी एंड डिफेंस इंडस्ट्री, बीडीएसवी के केंद्रीय संघ मुख्य कार्यकारी अधिकारी हांस क्रिस्टोफ आत्सपोडियन का कहना है कि सरकार ने शायद ही गोला बारूद, हथियार या उपकरणों के लिए कोई ऑर्डर दिया है. हालांकि कंपनियों ने युद्ध छिड़ने के बाद यूक्रेन को सहयोग और सेना के पास हथियारों की कमी को देखते हुए ऑर्डर आने की उम्मीद में पहले ही निवेश कर दिये हैं.
रक्षा मंत्री पर ढिलाई बरतने के आरोप
प्रमुख विपक्षी दल क्रिश्चन डेमोक्रैटिक पार्टी, सीडीयू ने संसद में रक्षा मंत्री क्रिष्टीन लामब्रेष्ट और चांसलर ओलाफ शॉल्त्स पर कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया है. आत्सपोडियन ने सोमवार को कहा कि फरवरी में जर्मन रक्षा मंत्रालय ने देश की 250 कंपनियों को विडियो ब्रॉडकास्ट के जरिये सारे विकल्पों को जुटा कर जर्मन सेना को जितनी जल्दी हो सके "युद्ध के लिए तैयार" करने की बात कही थी.
कंपनियों ने जरूरी स्पेयर पार्ट्स, गोला बारूद और दूसरी चीजों के लिए करीब 10 अरब यूरो के ऑफर एक हफ्ते की भीतर जमा कर दिये. आत्सपोडियन का कहना है, "उसके बाद के हफ्तों और महीनों में शायद ही किसी चीज के लिए ऑर्डर दिया गया क्योंकि संघीय सरकार में अब भी प्रोविजनल बजट मैनेजमेंट लागू है." आत्सपोडियन ने समाचार एजेंसी डीपीए से बातचीत में यह भी कहा कि छोटे और मझोले आकार की कंपनियों ने भी "वक्त के तकाजे को देखते हुए अपने जोखिम पर अग्रिम भुगतान" का फैसला किया.
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उदाहरण के लिए एक बड़ी कंपनी ने तो अपनी क्षमता लगभग दोगुनी कर ली और करीब 70 करोड़ यूरो के गोला बारूद और गाड़ियों के उत्पादन का प्रस्ताव दिया. हालांकि अब तक इस कंपनी को कोई बड़ा करार हासिल नहीं हुआ है. एक मझोले आकार की कंपनी ने अपने जोखिम पर शुरुआती चीजों के ऑर्डर दे दिए. बाद में पता चला कि खरीदारी का करार देश के बाहर चला गया.
लामब्रेष्ट ने जब रक्षा मंत्री का पद संभाला तो अपने पूर्ववर्ती की कड़ी आलोचना की. उनका कहना था, "हेलीकॉप्टर जो उड़ते नहीं, बंदूकें जो निशाना नहीं लगा पातीं और ये अक्सर उपहास का कारण बनती हैं." इसके साथ ही उन्होंने खरीदारी की पूरी प्रक्रिया को आधुनिक बजट को लचीला बनाने की बात कही. हालांकि अब विपक्ष उन पर अपने कदम खींचने के आरोप लगा रहा है. सीडीयू के योहान वाडेफुल का कहना है, "पर्याप्त गोलबारूद के बगैर दुनिया की कोई सेना कार्रवाई के लिए तैयार नहीं हो सकती. यह मंत्री लामब्रेष्ट की नाकामी है जो समझ से बाहर है, उन्होंने अब तक बुंडसवेयर (जर्मन सेना) के गोला बारूद संकट को दूर करने के लिए कुछ नहीं किया है."
पक्ष विपक्ष की तूतू मैंमैं
फ्री डेमोक्रैटिक पार्टी की नेता मारी आग्नेस स्ट्राक जिमरमान संसद की रक्षा कमेटी की प्रमुख हैं. उन्होंने वाडेफॉल को जानकारी नहीं होने और मंत्रालय की पिछली नाकामियों के लिए जिम्मेदार ठहराया है. उनका कहना है कि 2005 से अब तक सीडीयू/सीएसयू के नेतृत्व में सरकार रही है और पिछली सरकार ने तो अभी एक साल पहले ही कामकाज संभााला है.
जिमरमान का कहना है, "वाडेफॉल को सीडीयू का सांसद होने की वजह से अच्छे से पता होना चाहिए कि 2015 में डोनबास के इलाके में हमले के एक साल बाद गोला बारूद के लिए संघीय बजट 29.6 करोड़ यूरो था. आज इस काम के लिए 1.125 अरब यूरो की रकम मौजूद है." 2014 में रूस ने यूक्रेन के क्रीमिया पर हमला करके उसे अपने साथ मिला लिया था.
सोमवार को जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स और देश के रक्षा उद्योग से जुड़े प्रमुख लोगों की सेना की जरूरतों के बारे में एक बैठक हुई. इसी दौरान यह बहस तेज हुई कि यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद जिस तरह से जर्मन सेना को मजबूत और समर्थ बनाने की बात हुई थी उसमें अब तक क्या कुछ हुआ.
जर्मनी अपनी रक्षा के लिए अमेरिकी सेना पर बहुत निर्भर है. देश में रक्षा पर खर्च जीडीपी के दो फीसदी भी नहीं है. यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद सेना को आधुनिक हथियारों से लैस करने के साथ ही रक्षा खर्च को जीडीपी के दो फीसदी से ऊपर ले जाने जैसी घोषणाएं हुईं. हालांक अभी इसका कोई बड़ा असर सेना पर हुआ हो ऐसा दिख नहीं रहा है. फिलहाल जर्मनी यूक्रेन को बहुत सारा हथियार और दूसरे साजो सामान भी मुहैया करा रहा है लेकिन देश की सेना को बहुत कुछ जो जरूरी है वो अब तक नहीं मिला है.
एनआर/वीके (डीपीए)