फिर से सैन्य शक्ति बनने की तैयारी करता जर्मनी
१६ सितम्बर २०२२रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को नाटो के लिए "सबसे बड़ा खतरा" बताते हुए जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने कहा कि यूरोप को इस चुनौती का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा. राजधानी बर्लिन में आर्मी कांग्रेस को संबोधित करते हुए शॉल्त्स ने कहा, "हम स्पष्ट तौर पर यह जता रहे हैं कि जर्मनी अपने महाद्वीप की सुरक्षा के लिए नेतृत्व की भूमिका लेने को तैयार है."
जर्मन सेना को पहली बार हथियारबंद ड्रोन मिलेंगे
हथियारों के लिहाज से बेहतरीन सेना
दूसरे विश्व युद्ध के बाद यह पहला मौका है जब किसी जर्मन चांसलर ने सैन्य शक्ति को लेकर ऐसी बात कही है. दूसरे महायुद्ध में हार के बाद से जर्मनी शक्तिशाली सेना के बजाए आर्थिक सहयोग को तरजीह देता रहा है. लेकिन अब यह सोच बदलती दिख रही है. सैन्य अधिकारियों के सम्मेलन के दौरान चांसलर ने कहा, "सबसे ज्यादा आबादी वाला देश और बड़ी आर्थिक शक्ति होने व महाद्वीप के मध्य में होने के कारण, हमारी सेना को यूरोप की पारंपरिक सुरक्षा का अहम स्तंभ बनना होगा, यूरोप की बेस्ट इक्विप्ड फोर्स."
नाटो में योगदान के लिए कितनी तैयार है जर्मनी की सेना
फरवरी 2022 के आखिरी में जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तो कई हफ्ते तक जर्मनी समझ ही नहीं सका कि कैसे रिएक्ट किया जाए. उसके सामने सामरिक और आर्थिक सहयोगी थे और रूस से मिलने वाली सस्ती गैस भी. इस असमंजस भरे रुख के कारण साझेदार देशों ने जर्मनी की तीखी आलोचना भी की. इसके बाद शॉल्त्स ने जर्मन सेना के बजट में ऐतिहासिक इजाफा कर दिया. शुरुआत में यूक्रेन को हथियार सप्लाई करने में जर्मनी ने काफी संयम बरता लेकिन अब बर्लिन यूक्रेन को खुलकर घातक हथियार दे रहा है. यूक्रेन को ऐसे हथियार भी दिए जा रहे हैं जो खुद जर्मन सेना के पास नहीं हैं.
यूक्रेन को हथियार देने में देरी के लिए जर्मनी की आलोचना
इतना नाराज क्यों हैं जर्मनी
असल में रूसी राष्ट्रपति पुतिन यूक्रेन युद्ध शुरू होने से पहले जर्मनी और फ्रांस के शीर्ष नेताओं से यह कहते रहे कि उनकी सेना यूक्रेन में नहीं घुसेगी. यह वादा टूटा. जंग शुरू होने के बाद भी जर्मनी और फ्रांस ने कूटनीतिक रूप से युद्ध को ठंडा करने की बड़ी कोशिश की, लेकिन बात नहीं बनी. कुछ महीने पहले जब रूस ने जर्मनी समेत पूरे यूरोप की गैस सप्लाई काटी, तो बर्लिन का सब्र टूट पड़ा. इसके बाद से ही जर्मनी के चांसलर ने लगातार रूस के खिलाफ कड़े फैसले लेने शुरू किए. यूक्रेन को अत्याधुनिक हथियारों की सप्लाई शुरू कर दी गई और अब दूसरे विश्वयुद्ध के बाद जर्मन सेना के मशीनी आधुनिकीकरण का भी एलान कर दिया गया है.
यूक्रेन संकट: शॉल्त्स ने कहा हमारा लक्ष्य यूरोप में युद्ध से बचना है
शॉल्त्स के मुताबिक जर्मन सेना ने सामान्य ड्रिल और मानवीय राहत कार्यों में बहुत समय लगा दिया, "लेकिन यह हमारा कोर मिशन नहीं है. जर्मन सेना की मुख्य जिम्मेदारी यूरोप की आजादी की रक्षा करना है."
शीत युद्ध और जर्मन एकीकरण के समय जर्मनी की सेना में पांच लाख फौजी थे. आज यह संख्या दो लाख है. सुरक्षा विशेषज्ञ लंबे समय से हथियारों और औजारों की कमी पूरी करने की मांग करते आ रहे थे. बार बार फाइटर प्लेन, हेलिकॉप्टर, टैंक और युद्धपोतों की मांग करने के बावजूद सरकारों ने इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया. लेकिन यूक्रेन युद्ध ने जर्मनी को अपना रुख पूरी तरह बदलने पर मजबूर कर दिया.
ओएसजे/ एनआर (एएफपी)