ईवीएम पर सुप्रीम कोर्ट: हर चीज पर शक नहीं करना चाहिए
१९ अप्रैल २०२४इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन और वोटर वेरिफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल की पर्चियों की 100 फीसदी मिलान की मांग वाली याचिका पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. करीब पांच घंटे तक दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया.
गुरुवार को अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने कहा कि हमें हर चीज के बारे में संदेह करने की जरूरत नहीं है.
याचिकाकर्ताओं ने वीवीपैट मशीनों पर पारदर्शी कांच को अपारदर्शी कांच से बदलने के चुनाव आयोग के 2017 के फैसले को उलटने की भी मांग की है, जिसके जरिए कोई मतदाता केवल सात सेकंड के लिए बत्ती जलने पर ही पर्ची देख सकता है.
ईवीएम के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट से कहा, "मैं समझता हूं कि यह चुनाव की पूर्वसंध्या है. कम से कम ईवीएम में बटन दबाने के बाद सात सेकंड तक जलने वाले बल्ब को लगातार जलने देना चाहिए."
बेंच ने ईवीएमकी कार्यप्रणाली को समझने के लिए वरिष्ठ उप चुनाव आयुक्त नितेश कुमार व्यास के साथ लगभग एक घंटे तक बातचीत की, जिसके बाद बेंच ने भूषण से कहा कि मतदाताओं की संतुष्टि और विश्वास चुनावी प्रक्रिया के मूल में हैं.
बेंच ने कहा, "भूषण, अब आप बहुत आगे जा रहे हैं. यह बहुत ज्यादा है. चाहे वीवीपैट मशीन पर पारदर्शी या अपारदर्शी कांच हो या बल्ब की रोशनी, आखिरकार यह मतदाता की संतुष्टि और विश्वास है (जो मायने रखता है). केवल बल्ब आपको बेहतर देखने में मदद करता है, बस इतना ही है."
कोर्ट ने चुनाव आयोग का पक्ष भी जाना
बेंच ने आगे कहा, "हर चीज पर संदेह नहीं किया जा सकता. आप हर चीज की आलोचना नहीं कर सकते. अगर उन्होंने (चुनाव आयोग) कुछ अच्छा किया है, तो आपको इसकी सराहना करनी होगी. आपको हर चीज की आलोचना करने की जरूरत नहीं है."
इसके जवाब में भूषण ने कहा कि वह चुनाव आयोग पर कोई आरोप नहीं लगा रहे हैं लेकिन सुधार की संभावना मौजूद है.
चुनाव आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने कहा कि ईवीएम एक स्वतंत्र मशीन है और उसके साथ छेड़छाड़ नहीं की जा सकती, लेकिन मानवीय त्रुटि की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है.