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घर से दूर हैं, फिर भी रिमोट वोटिंग से डाल सकेंगे वोट

३० दिसम्बर २०२२

गृह राज्य से दूर रह रहे करोड़ों भारतीय मतदाताओं के लिए मतदान में हिस्सा लेना एक चुनौती रहा है. चुनाव आयोग पहली बार एक ऐसी ईवीएम का प्रदर्शन करने वाला है, जिससे अपने गृह राज्य से दूर प्रवासी भी चुनावों में वोट दे सकेंगे.

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मतदान
पंजाब में एक मतदान केंद्र में महिलाएंतस्वीर: Saqib Majeed/ZUMA Wire/imago images

चुनाव आयोग ने घोषणा की है कि उसने एक नए ईवीएम का प्रारूप विकसित किया है, जिसके जरिए एक बार में एक मतदान केंद्र से कई निर्वाचन क्षेत्रों में मत डाला जा सकेगा. आयोग इस नए ईवीएम का प्रदर्शन 16 जनवरी, 2023 को करेगा. इसके लिए उसने सभी राजनीतिक दलों को आमंत्रित किया है.

पार्टियों को नया ईवीएम पसंद आता है या नहीं, यह तो प्रदर्शन के बाद ही पता चलेगा, लेकिन यह एक बड़ी समस्या के समाधान की तरफ चुनाव आयोग का पहला कदम है. भारत में करोड़ों मतदाता अपने गृह राज्यों से दूर रहते हैं और कड़े चुनाव नियमों की वजह से मतदान नहीं कर पाते हैं.

चुनाव आयोग ने बताया कि 2011 की जनगणना के मुताबिक देश में 45.36 करोड़ लोग प्रवासी थे, यानी अपने गृह राज्य से दूर रह रहे थे. यह संख्या उस समय की आबादी का करीब 37 प्रतिशत थी. लोग नौकरी, व्यापार, शादी जैसे कई कारणों की वजह से अपने गृह राज्यों से दूर चले जाते हैं.

45 करोड़ वोटों का सवाल

कई मतदाताओं के लिए हर चुनाव में मतदान के लिए लौटना मुश्किल हो जाता है. नई जगह पर मतदाता के रूप में पंजीकरण करवाना भी आसान नहीं होता. इन वजहों से कई लोग कई साल तक मतदान में हिस्सा नहीं ले पाते हैं.

कुछ विशेष श्रेणियों के मतदाताओं के लिए चुनाव आयोग पोस्टल बैलट, यानी डाक से मतदान का इंतजाम करता है. इनमें सेना के जवान, अधिकारी और आवश्यक सेवाएं देने वाले सरकारी विभागों के कर्मचारी शामिल हैं.

लंबे इंतजार के बाद मिला वोट का अधिकार

हाल ही में चुनाव आयोग ने 80 साल से ज्यादा उम्र के मतदाताओं, विकलांग मतदाताओं और कोविड के मरीजों को भी डाक द्वारा मतदान की इजाजत दी थी. पिछले दिनों हुए गुजरात विधान सभा चुनावों में 8.6 लाख बुजुर्ग और विकलांग मतदाताओं ने डाक द्वारा मतदान के लिए पंजीकरण करवाया था.

उदासीनता भी जिम्मेदार

प्रवासी मतदाताओं की संख्या काफी बड़ी है, इसलिए लंबे समय से चुनाव आयोग से मांग की जा रही थी कि इस समस्या का स्थायी समाधान निकाले. नया ईवीएम उसी दिशा में एक कदम है. आयोग ने कहा है कि "प्रवासन की वजह से मताधिकार से वंचित रहना तकनीकी विकास के युग में एक विकल्प नहीं है."

आयोग ने जानकारी दी कि 2019 के लोक सभा चुनावों में सिर्फ 67.4 प्रतिशत मतदान हुआ था और आयोग इस बात पर चिंतित है कि 30 करोड़ से भी ज्यादा मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं करते.

जर्मनी के चुनाव में सरकारी पैसे का खेल

हालांकि प्रवासन मतदान ना करने का इकलौता कारण नहीं है. कई लोगों में मतदान को लेकर उदासीनता भी रहती है. चुनाव आयोग के मुताबिक यह शहरी मतदाताओं और युवा मतदाताओं में ज्यादा देखने को मिलती है. इसके निवारण के लिए आयोग समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाता है.