असम में बाढ़ के बीच प्लाज्मा डोनर की तलाश
२७ जुलाई २०२०असम में जब बाढ़ के बीच इसी महीने डॉक्टरों को एक खास ब्लड ग्रुप के लिए प्लाज्मा की जरूरत पड़ी तो स्वास्थ्य अधिकारियों को ऐसे शख्स के पास नाव भेजनी पड़ी जो कि बाढ़ में फंसा हुआ था. यह डोनर एक हफ्ते पहले ही कोरोना वायरस से ठीक हुआ था. असम में कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और गंभीर दवाओं की आपूर्ति कम पड़ती जा रही है. ऐसे में स्थानीय अधिकारी कोरोना वायरस से ठीक हुए लोगों की आवभगत कर रहे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि माना जाता है कि कोरोना वायरस से ठीक हो चुके मरीजों के प्लाज्मा का इस्तेमाल किया जा सकता है.
प्लाज्मा थेरेपी के तहत बीमारी से ठीक हो चुके व्यक्ति के खून से प्लाज्मा को अलग कर मरीज के खून में मिलाया जाता है और ऐसा माना जाता है कि इस प्लाज्मा में शामिल एंटी बॉडीज मरीज को वायरस से लड़ने में मदद करते हैं. हालांकि इसके असर पर शोध के निष्कर्ष अभी नहीं निकले हैं.
असम सरकार का कहना है कि सिम्टमैटिक मरीज जो ठीक हो चुके हैं और अगर चार हफ्ते तक वे प्लाज्मा दान करते हैं तो उनको सरकारी नौकरी के साथ-साथ हाउसिंग स्कीम में प्राथमिकता मिलेगी. उदाहरण के लिए दानकर्ता अगर सरकारी नौकरी के लिए इंटरव्यू देता है तो उसे अतिरिक्त अंक मिलेंगे.
असम के लिए सभी कोशिशें अहम है क्योंकि वहां मरीजों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली रेमडेसिवीर और टोसिलीजुमाब की कमी है, इन दोनों का इस्तेमाल कोविड-19 के गंभीर मरीजों के इलाज के लिए होता है. दिल्ली और ओडिशा में भी प्लाज्मा डोनर्स को आगे बढ़ कर प्लाज्मा देने के लिए कहा जा रहा है. सोमवार 27 जुलाई तक भारत में कोविड-19 के कुल मामले 14 लाख 35 हजार को पार कर गए हैं और मृतकों की संख्या 32,700 के ऊपर जा पहुंची है.
असम के स्वास्थ्य मंत्री हेमंता बिस्वा शर्मा ने रॉयटर्स के साथ इंटरव्यू में कहा था, "हाल ही में हमें ओ ग्रुप प्लाज्मा एक मरीज के लिए चाहिए था. जब हमें पता चला कि एक शख्स दान देने के लिए तैयार है तो लोग उसके घर नाव से गए और उसे लेकर अस्पताल आए. उस शख्स ने अस्पताल में प्लाज्मा दान किया." शर्मा कहते हैं कि जो कोरोना से संक्रमित हो चुका है उसके प्लाज्मा का इस्तेमाल बीमार मरीज के लिए जा सकता है.
बाढ़ और कोरोना वायरस
असम में पिछले कुछ हफ्तों से बाढ़ के कारण तबाही मची हुई है. राज्य में एक सौ से अधिक लोग बाढ़ के कारण मारे जा चुके हैं और 30 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हैं. अनुमान लगाया जा रहा है कि सितंबर के मध्य तक कोरोना वायरस संक्रमण चरम पर होगा. असम में कोरोना वायरस के 32,000 मामले दर्ज किए जा चुके हैं और 79 लोगों की मौत हो चुकी है.
भारत दुनिया भर में जेनेरिक दवाइयों का सबसे बड़ा सप्लायर है, देश में रेमडेसिवीर और टोसिलीजुमाब जैसी दवाइयों की कमी हो गई है और ऐसे में प्लाज्मा डोनर की मांग बढ़ी है. हालांकि अमेरिकी दवा कंपनी गिलियड साइंसेज ने भारत में काम करने वाली छह कंपनियों को रेमडेसिवीर दवा के जेनेरिक वर्जन को बनाने और बेचने की इजाजत दी है, लेकिन तीन ही कंपनियां सप्लाई शुरू कर पाई है.
एए/आरपी (रॉयटर्स)
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