पांच दशक बाद सुलझा असम-मेघालय सीमा विवाद
२९ मार्च २०२२सन 1972 में असम से काट कर अलग मेघालय राज्य का गठन होने के साथ ही दोनों राज्यों के बीच विवाद चल रहा था और इस मुद्दे पर कई बार हिंसक झड़प हो चुकी थी. दोनों राज्यों के बीच कुल 12 जगहों को लेकर विवाद है. इस समझौते में उनमें से छह स्थानों को लेकर जो विवाद चल रहा था उसे सुलझा लिया गया है.
दोनों मुख्यमंत्रियों ने उम्मीद जताई है कि बाकी छह जगहों के विवाद को भी जल्द ही सुलझा लिया जाएगा. इस समझौते को इलाके में शांति बहाली की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है. इस दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी मौजूद रहे. इस समझौते से नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम के साथ असम के सीमा विवाद को सुलझाने की भी राह खुल सकती है.
क्या है सीमा विवाद
असम के साथ मेघालय का सीमा विवाद वर्ष 1972 में इस राज्य के गठन जितना ही पुराना है. मेघालय कम से कम 12 इलाकों पर अपना दावा ठोकता रहा है. वह इलाके शुरू से ही असम के कब्जे में हैं. दोनों राज्यों ने एक नीति अपना रखी है, जिसके तहत कोई भी राज्य दूसरे राज्य को बताए बिना विवादित इलाकों में विकास योजनाएं शुरू नहीं कर सकता.
यह विवाद उस समय शुरू हुआ जब मेघालय ने असम पुनर्गठन अधिनियम, 1971 को चुनौती दी. उक्त अधिनियम के तहत असम को जो इलाके दिए गए थे, उस पर मेघालय ने खासी और जयंतिया पहाड़ियों का हिस्सा होने का दावा किया था. सीमा पर दोनों पक्षों के बीच अकसर झड़पें होती रही हैं. नतीजतन दोनों राज्यों में बड़े पैमाने पर स्थानीय लोगों के विस्थापन के साथ ही जान-माल का भी नुकसान हुआ है.
इस मुद्दे पर अतीत में कई समितियों का गठन किया गया और दोनों राज्यों के बीच कई दौर की बातचीत भी हुई. लेकिन अब तक नतीजा सिफर ही रहा है. सीमा विवाद की जांच और उसे सुलझाने के लिए 1985 में वाईवी चंद्रचूड़ समिति का गठन किया गया था. लेकिन उसकी रिपोर्ट भी ठंडे बस्ते में है. इस साल मेघालय के गठन को 50 वर्ष पूरे हो गए हैं. इस मुद्दे पर दोनों राज्यों के बीच कई बार हिंसक झड़पें हो चुकी हैं. वर्ष 2010 में ऐसी ही एक घटना में लैंगपीह में पुलिस गोलीबारी में चार लोग मारे गए थे.
क्यों है ऐतिहासिक कदम
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने समझौते का ब्योरा देते हुए कहा, "मुझे खुशी है कि आज विवाद की 12 जगहों में से छह पर असम और मेघालय के बीच समझौता हो गया है. सीमा की लंबाई की दृष्टि से देखें तो लगभग 70 फीसदी सीमा विवाद-मुक्त हो गई है. मुझे भरोसा है कि बाकी छह जगहों को लेकर जारी विवाद को भी निकट भविष्य में सुलझा लिया जाएगा.”
गृह मंत्रालय में समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद हिमंत ने कहा, "यह हमारे लिए ऐतिहासिक दिन है. इस समझौते के बाद अगले छह-सात महीनों में बाकी विवादित इलाकों की समस्या का समाधान करने का लक्ष्य रखा गया है.”
मॉडल बन सकता है ताजा समझौता
उधर, मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के संगमा का कहना था, "प्रधानमंत्री और गृह मंत्री की ओर से इस सीमा विवाद को सुलझाने पर बहुत जोर दिया गया. उनकी दलील थी कि जब भारत-बांग्लादेश आपसी सीमा विवाद को सुलझा सकते हैं तो देश के दो राज्य क्यों नहीं. हमने 12 में से छह विवादों को सुलझा लिया है. इससे सीमावर्ती इलाकों में शांति बहाल होगी.”
दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने सीमा विवाद को सुलझाने के लिए दो महीने पहले 29 जनवरी को गुवाहाटी में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे. उसे 31 जनवरी को जांच के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजा गया था. इस समझौते के तहत 36.79 वर्ग किमी इलाके के लिए प्रस्तावित सिफारिशों के मुताबिक असम 18.51 वर्ग किमी जमीन अपने पास रखेगा और बाकी 18.28 वर्ग किमी मेघालय को देगा.
राजनीतिक पर्यवेक्षक एन संगमा कहते हैं, "यह समझौता पूर्वोत्तर राज्यों के दशकों पुराने सीमा विवाद को सुलझाने के लिए एक मॉडल के तौर पर काम करेगा.” एक अन्य पर्यवेक्षक धीरेन कलिता कहते हैं, "सीमा विवाद की जड़ें असम के बंटवारे में ही छिपी हैं. बीते पांच-छह दशकों के दौरान इस मुद्दे को सुलझाने की कोई ठोस पहल नहीं हुई. लेकिन अब ताजा समझौते से पूर्वोत्तर में इस विवाद के सुलझने की उम्मीद बढ़ गई है.”