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फैक्ट चेक: रिफ्यूजियों में भेदभाव करता यूरोप

१५ नवम्बर २०२२

यूक्रेन और अगानिस्तान, इराक व सीरिया से भागे रिफ्यूजियों को लेकर यूरोप ने भेदभाव किया. क्या ये आरोप सही हैं?

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यूक्रेन के लवीव शहर का ट्रेन स्टेशन
यूक्रेन के लवीव शहर का ट्रेन स्टेशनतस्वीर: Thomas O'Neill/NurPhoto/picture alliance

24 फरवरी 2024 को रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया. तब से अब तक करीब 80 लाख यूक्रेनी नागरिक शरणार्थी बनकर यूरोप में रह रहे हैं. यूरोपीय संघ ने यूक्रेनी नागरिकों के लिए अपनी सभी सीमाएं खोली हैं और उन्हें अस्थायी सुरक्षा भी दी है. सबसे ज्यादा यूक्रेनी नागरिक इस वक्त पड़ोसी देश पोलैंड में हैं, करीब 14 लाख.

जर्मनी में विदेशी नागरिकों के रिकॉर्ड रखने वाले विभाग, आउसलैंडरत्सेंट्रालरेगिस्टर (एजेडआर) के मुताबिक, यूक्रेन युद्ध की वजह से एक नवंबर तक जर्मनी में 10,19,789 लोग दाखिल हो चुके हो हैं. रिफ्यूजियों के लिए काम करने वाली संस्थाएं चेतावनी दे रही हैं. इन संस्थाओं का आरोप है कि यूरोपीय देश, अन्य हिंसाग्रस्त इलाकों से आने वाले रिफ्यूजियों और यूक्रेनी रिफ्यूजियों में भेद कर रहे हैं.

आरोप: यूक्रेनी रिफ्यूजियों को तरजीह

ग्रीन पार्टी के ईयू सांसद कासेम ताहेर सालेह कहते हैं, "ईयू रिफ्यूजी सम्मेलन के दौरान (नैन्सी) फेजर ने रिफ्यूजियों के प्रति इस (जर्मन) रुख  को पलटने का मौका गंवा दिया. इसके पीछे की टू क्लास पॉलिटिक्स और नस्लवाद जर्मनी को नुकसान पहुंचा रहे हैं."

डीब्ल्यू फैक्ट चेक: सही

यूक्रेनी नागरिकों को गैर प्रशासनिक तरीके से सुरक्षा मुहैया कराने के लिए यूरोपीय संघ ने 4 मार्च 2022 को अपनी सीमाएं खोलीं. इसे कथित रूप से यूरोपीय काउंसिल का "अस्थायी संरक्षण दिशानिर्देश" कहा गया. इसके तहत यूक्रेनी रिफ्यूजी किसी वीजा या शरण की आधिकारिक दरख्वास्त के बिना यूरोपीय संघ में दाखिल हो सकते थे.

जर्मनी में 30 नवंबवर 2022 से पहले यूक्रेन से भागने वाले रिफ्यूजियों के लिए 90 दिन तक किसी वीजा का प्रावधान नहीं है. 90 दिन बाद उन्हें रेजिडेंट परमिट के लिए पंजीकरण कराना है. संघीय आप्रवासन और रिफ्यूजी कार्यालय के मुताबिक यह प्रावधान 28 फरवरी 2023 तक लागू रहेगा.

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यूरोप में रिफ्यूजी के तौर पर रह रहे यूक्रेनियों को किस तरह की सामाजिक लाभ मिलेंगे, यह अलग अलग देशों पर निर्भर है. जर्मनी में यूक्रेनी रिफ्यूजियों को एक जून 2022 से वेलफेयर सिस्टम का हिस्सा बनाया है. इसके तहत उन्हें सार्वजनिक स्वास्थ्य बीमा, काम करने की अनुमति, बेरोजगार भत्ता, बाल भत्ता, हायर एजुकेशन के लिए वित्तीय मदद और सेवानिवृत्ति लाभ जैसी सुविधाएं मिल सकती है. यूक्रेनी रिफ्यूजी जर्मनी में बिना पैसा खर्च किए यात्रा कर सकते हैं. जर्मन रेल कंपनी, डॉयचे बान (डीबी) स्थानीय परिवहन के लिए भी उन्हें कई तरह की रियायत देती है.

जर्मनी के आप्रवासन और रिफ्यूजी मामलों के संघीय कार्यालय की आयुक्त रीम अलाबाली-रादोवान ने भी राष्ट्रीयता के आधार पर भेदभाव की आलोचना की
जर्मनी के आप्रवासन और रिफ्यूजी मामलों के संघीय कार्यालय की आयुक्त रीम अलाबाली-रादोवान ने भी राष्ट्रीयता के आधार पर भेदभाव की आलोचना कीतस्वीर: Malte Ossowski/Sven Simon/picture alliance

इसके उलट, सीरिया, अफगानिस्तान, एरीट्रिया और इराक से भागे रिफ्यूजियों को बहुत कम सुविधाएं मिलती हैं. उनका स्टेटस कथित, असाइलम सीकर बेनिफिट्स एक्ट के दायर में आता है. कई महीनों या सालों लंबी प्रक्रिया के बाद ही उन्हें नौकरी करने की अनुमति मिल सकती है. एक बार रिफ्यूजी का दर्जा मिलने के बाद ही वे सामाजिक कल्याण वाले सिस्टम का लाभ ले सकते हैं.

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रिफ्यूजियों के लिए काम करने वाले संगठनों ने इस बारे में देश के संघीय श्रम व सामाजिक मामालों के मंत्री हुबेर्टुस हाइल को खत भी लिखा. ओपन लेटर में रिफ्यूजियों से हो रहे भेदभाव की आलोचना की गई थी.

आरोप: यूक्रेन से भागने वाले गैर यूक्रेनी रिफ्यूजियों के साथ भेदभाव

अमेरिकी रिपोर्टर टेरेल जेरमाइन यूक्रेन से रिपोर्टिंग करते हुए कहते हैं, "चिजोबा से मिलिए, पोलैंड में एक नाइजीरियाई एक्टिविस्ट. युद्ध शुरू होने से अब तक वे सैकड़ों ब्लैक रिफ्यूजियों को यूक्रेन से बाहर निकाल चुके हैं. मैं जिसका भी इंटव्यू करता हूं, उसमें एक कॉमन थीम है नस्लवाद."

डीडब्ल्यू फैक्ट चेक: अस्पष्ट

यूक्रेन युद्ध के शुरुआती दिनों में ऐसे कई मामले आए जहां. गैर व्हाइट रिफ्यूजियों से साथ भेदभाव के आरोप लगे. बीबीसी मीडिया हाउस की रिपोर्टिंग में भी इसका जिक्र हो रहा था. मार्च में मानवाधिकार संस्थान एमनेस्टी इंटरनेशनल (एआई) ने कहा कि जमीनी हालात देखने के बाद, उसने पाया कि यूक्रेनी पासपोर्ट ना रखने वाले रिफ्यूजी, खास तौर पर गैर व्हाइट लोगों (पीपल ऑफ कलर) के साथ यूक्रेन और मेजबान देशों में भी भेदभाव हो रहा है.

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27 गैर यूक्रेनी नागरिकों से बात करने के बाद एमनेस्टी इंटरनेशनल ने लिखा, "भेदभाव के ज्यादातर मामले बॉर्डर चेक प्वाइंट्स के पास ट्रेन या बस में सवार होने के लिए दौरान आए, कुछ मामलों में यूक्रेनी ताकतों और स्वयंसेवियों द्वारा मौखिक और शारीरिक आक्रामकता का भी ब्योरा मिला.” रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान, मध्य पूर्व और अफ्रीका के छात्रों को लगातार देश में रोकने के लिए ट्रेनों पर चढ़ने से रोका भी गया.

यूक्रेन से बर्लिन पहुंचे दो छात्र
यूक्रेन से बर्लिन पहुंचे दो छात्रतस्वीर: Loveday Wright/DW

हालांकि संयुक्त राष्ट्र हाई कमिश्नर ऑफ रिफ्यूजीज (यूएनएचआरसी) ने इन आरोपों की जांच की और वह कुछ अलग नतीजों पर पहुंची. यूएनएचआरसी के प्रेस प्रवक्ता क्रिस मेल्जर ने डीडब्ल्यू से कहा, मेरी जानकारी के मुताबिक रिफ्यूजियों को यह विकल्प दिया गया कि वे 16 दिन के भीतर पोलैंड छोड़ दें या शरण के लिए आधिकारिक आवेदन भरें.”

यह सही है कि जिन रिफ्यूजियों के पास यूक्रेनी पासपोर्ट नहीं था, उन्हें पोलैंड की सीमा के पास लंबा इंतजार करना पड़ा. हालांकि ऐसा उन्हीं लोगों के मामले में हुआ जिनके पास अपनी पहचान साबित करने वाले कोई दस्तावेज नहीं थे.

जर्मन प्रशासन के मुताबिक 24 फरवरी 2022 के पहले से यूक्रेन में रहने वाले गैर यूक्रेनी नागरिकों को भी आम यूक्रेनी रिफ्यूजी की तरह ही ट्रीट किया जाएगा. यूक्रेन में पढ़ाई करने वाले विदेशी छात्रों के मामले में स्थिति अलग है. ऐसे छात्रों को दी गई छूट 31 अगस्त तक थी. इस समयसीमा के बाद भी जर्मनी में रहने वाले ऐसे छात्र तीन महीने और रह सकते है और जर्मनी के रेजिडेंट परमिट के लिए आवेदन भर सकते हैं.

रिपोर्ट: एस्ट्रिड प्रांजे दे ओलिविएरा