लंबे इंतजार के बाद आखिरकार इटली ने आने दिए 500 शरणार्थी
९ नवम्बर २०२२अवैध रूप से सागर के रास्ते यूरोप आने की कोशिश कर रहे सैकड़ों लोगों को उतरने के लिए जमीन नहीं मिल रही थी. ये लोग सागर में फंसे हुए थे, जिन्हें जर्मन समाजसेवी संगठन के जहाजों ने वहां से निकालकर इटली पहुंचाने की कोशिश की. इटली के साथ लंबी खींचतान के बाद आखिरकार मंगलवार की रात सरकार ने करीब 200 और शरणार्थियों को अपने तटों पर उतरने की इजाजत दे दी. सिसिली के पूर्वी पोर्ट काटानिया पर उतरने के बाद एक शरणार्थी ने चीखकर कहा, "मेरी जिंदगी लौट आई."
इटली की सरकार ने दो जहाजों को अपने बंदरगाह पर आने और शरणार्थियों को उतरने दिया है. इनमें कुल-मिलाकर 500 लाचार और बीमार लोग हैं. गैर सरकारी संगठन एसओएस ह्युमैनिटी के जरिये संचालित जहाज जियो बारेंट्स और ह्युमैनिटी 1 में सवार शरणार्थियों को तो तट पर उतरने की इजाजत मिल गई, लेकिन इटली के अधिकारियों ने 238 शरणार्थियों से लदे एक और जहाज ओशेन वाइकिंग को अपने तट पर नहीं आने दिया और सागर में लौट जाने को कहा है. यूरोपीय चैरिटी एसओएस मेडिटिरैनी का यह जहाज 27 अक्टूबर से ही इटली के तट पर डॉक करने के लिए अपील कर रहा था. चैरिटी का कहना है कि अब यह जहाज गुरुवार तक कोर्सिका के पास पहुंचेगा.
इन जहाजों का इटली के तट पर पहुंचना और सरकार की इनसे निबटने की प्रक्रिया देश की नई धुर-दक्षिणपंथी सरकार की पहली चुनौती है. प्रधानमंत्री गॉर्जिया मेलोनी ने शपथ ली है कि वह हर साल देश के तटों पर पहुंचने वाले दसियों हजार शरणार्थियों को रोकेंगी. मेलोनी ने ओशेन वाइकिंग के लिए बंदरगाह के दरवाजे खोलने के लिए फ्रांस का आभार जताया है. हालांकि, फ्रांस की तरफ से इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है. प्रधानमंत्री मेलोनी की तरफ से जारी बयान में कहा गया है, "हम ओशेन वाइकिंग जहाज के लिए बंदरगाह का दरवाजा खोलकर फ्रांस के प्रवासन आपातकाल की जिम्मेदारी साझा करने के फैसले के लिए दिल से आभार जताते हैं. यह जिम्मेदारी अब तक इटली और कुछ दूसरे भूमध्यसागरीय देशों के कंधे पर रही है."
फ्रांस के गृह मंत्री ने इस पर प्रतिक्रिया देने से मना कर दिया. एसओएस मेडिटिरैनी का भी कहना है कि आधिकारिक तौर पर इसकी सूचना नहीं मिली है कि उन्हें फ्रांस के बंदरगाह पर डॉक करने दिया जायेगा या नहीं. इटली की समाचार एजेंसी एजीआई ने स्रोत की जानकारी दिये बिना कहा है कि फ्रांस मारसाय में इस जहाज की डॉकिंग के लिए तैयार हो गया है. एजीआई का कहना है कि मिस्र के शर्म अल शेख में कॉप27 जलवायु सम्मेलन के दौरान मेलोनी और फ्रेंच राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों के बीच सहमति बनी है.
इससे पहले मंगलवार को जर्मन मिशनल लाइफलाइन के एक जहाज राइज एबव ने भी 89 शरणार्थियों को इटली के रेगियो कालाब्रिया पोर्ट पर उतारने में सफलता पाई है. इन शरणार्थियों में ज्यादातर नाबालिग हैं. मानवाधिकार संगठनों ने इटली के उस आदेश को गैरकानूनी कहा है, जिसमें जियो बारेंट्स और ह्युमैनिटी 1 को सिर्फ उतनी देर के लिए ही डॉक करने की अनुमति दी, जितने में आपाकालीन मामलों में मदद की जा सके. एसओएस मेडिटिरैनी का कहना है कि इटली की जमीन पर किन शरणार्थियों को आने दिया गया, इसका फैसला भेदभावपूर्ण था.
सोमवार को जियो बारेंट्स पर सवार शरणार्थियों ने अचानक विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया और वो "हेल्प अस" के नारे लगाने लगे. दो सीरियाई शरणार्थी तो पानी में कूद गये. उन्हें किसी तरह पानी से निकाला गया. इसके बाद उन्होंने पूरी रात डॉक पर बिना खाये-पिये गुजारी.
मानवीय आधार पर मदद देने वाले संगठनों के जहाज नियमित रूप से भीड़ भरी नावों से शरणार्थियों को अपनी जहाज के जरिये बचाते हैं. ये शरणार्थी आर्थिक मुश्किलों से परेशान होकर उत्तर अफ्रीका से यूरोप आना चाहते हैं. कई बार इनमें बांग्लादेश और भारत के लोग भी शामिल हो जाते हैं. हालांकि, इस साल इटली में इस तरह पहुंचने वाले 87,000 लोगों में से महज 14 फीसदी ही इन सामाजिक संगठनों के जहाज से आये हैं.
इटली के गृह मंत्री मातेयो पियांतेदोसी का कहना है कि सरकार मानवता के आधार पर काम कर रही है, लेकिन वह "नीतियों का सख्ती से पालन करेगी." इटली लंबे समय से शिकायत करता रहा है कि उसे शरणार्थियों का बोझ ज्यादा उठाना पड़ता है, लेकिन यूरोपीय संघ उसकी पर्याप्त मदद नहीं करता.
एनआर/वीएस (एएफपी)