यहां पलते हैं मरीजों की जान बचाने वाले सूअर
१८ दिसम्बर २०२४अमेरिका के दक्षिणी राज्य वर्जीनिया में डेव आयरेस और उनकी रिसर्च टीम जीन संवर्धित सूअर पाल रही है ताकि उनके अंगों को इंसानों में ट्रांसप्लांट किया जा सके. आयरेस रेविविकोर नाम की एक बायोटेक कंपनी का नेतृत्व करते हैं. यह कंपनी जेनोट्रांसप्लांटेशन रिसर्च के क्षेत्र में सबसे आगे है. जेनोट्रांसप्लांटेशन वो इंप्लांटेशन है जिसमें जानवरों के अंग, इंसानों में इंप्लांट किए जाते हैं. इसका मकसद मानव अंगों की लंबे समय से चली आ रही कमी को दूर करना है.
रेविविकोर के फार्म में पाले गए सूअर की किडनी हाल ही में टोवाना लूने नाम की मरीज को लगाया गया था. 17 दिसंबर को न्यूयॉर्क के एक अस्पताल ने इसकी जानकारी दी थी. हाल ही में रिसर्च फार्म के दौरे पर आए आयरेस ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, "यह बहुत शानदार समय है."
सूअर का लिवर को इंसान जैसा बनाने की कोशिश
सूअरों की जीन संवर्धित करके ऐसा बनाया जाता है कि उनके अंगों को मरीजों के प्रतिरक्षा तंत्र से खारिज होने की संभावना कम से कम हो. आयरेस ने बताया, "ये सूअर आम फार्मों के सूअर नहीं हैं." सूअर के बच्चों को अपने हाथों में उठाए आयरेस ने कहा, "लाखों डॉलर इस आनुवांशिकी को तैयार करने में खर्च हुए हैं, जाहिर है कि ये बहुत कीमती जानवर हैं."
अंगों के इंतजार में लाखों मरीज
सूअर से इंसान में ट्रांसप्लांटेशन की वैज्ञानिक कल्पना को जीवन रक्षा का उपाय बनाने पर रिसर्च करते हुए रेविविकोर को 20 साल से ज्यादा समय बीत चुका है. केवल अमेरिका में ही एक लाख से ज्यादा लोग ट्रांसप्लांट की लिस्ट में शामिल हैं. हर साल अंगों का इंतजार करते-करते हजारों लोगों की जान चली जा रही है. अमेरिका के स्वास्थ्य से जुड़े विभागों के मुताबिक इनमें सबसे ज्यादा किडनी ट्रांसप्लांट के मामले हैं.
2021 से अब तक कई अमेरिकी डॉक्टरों ने जीन संवर्धित सूअरों की किडनी और दिल इंसानों में ट्रांसप्लांट कर चुके हैं. इनमें से ज्यादातर की सप्लाई रेविविकोर के फार्म से ही की गई थी. हालांकि इस क्षेत्र में काम करने वाली एक और बड़ी बायोटेक कंपनी ईजेनेसिस भी है. सबसे पहले ब्रेन डेड लोगों पर इनके ट्रायल किए गए थे. इसके बाद गंभीर रूप से बीमार कुछ लोगों पर इन्हें परखा गया. ऑपरेशन के कुछ ही हफ्तों के भीतर इन मरीजों की मौत हो गई. हालांकि उनमें लगाए अंगों को उनके प्रतिरक्षा तंत्र ने खारिज नहीं किया. वैज्ञानिकों को इससे बड़ी उम्मीद मिली.
सूअर की किडनी पाने वाले पहले इंसान की मौत
जीन संवर्धित सूअर
रिसर्च फार्म से कई किलोमीटर दूर एक प्रयोगशाला में रेविविकोर की सेल बायोलॉजी के प्रमुख टोड वॉट माइक्रोस्कोप पर अपनी आंखें जमाए कुछ प्रयोग कर रहे हैं. एक पिपेट के साहरे वे सूअर के अंडे में छेद करके उसका डीएनए बदल देते हैं. उसकी जगह वे उन कोशिकाओं को डाल देते हैं जिनमें, "जीन संवर्धित सूअर बनाने के लिए सारे निर्देश डाले जा चुके हैं." कुछ घंटे बाद संवर्धित अंडे मादाओं में इंप्लांट कर दिए जाते हैं. चार महीने बाद इनसे नए बच्चे पैदा होते हैं.
रेविविकोर ने जो सूअरों की पहली पीढ़ी तैयार की थी उसमें केवल एक जीनोम को एडिट किया गया था. इसमें जानवरों के भीतर ऐसे पदार्थों का बनना रोका गया जिनकी वजह से इंसान का शरीर उन अंगों को खारिज कर देता है. दूसरी पीढ़ी में 10 संवर्धित जीन थे. इनमें छह तो इंसान के डीएनए से आए थे ताकि उनके बीच अनुकूलता बढ़ाई जा सके. दूसरी पीढ़ी के सूअरों के साथ रेविविकोर की मूल कंपनी यूनाइटेड थेराप्यूटिक्स ने बड़ा सोचना शुरू किया. इसी साल मार्च में कंपनी ने एक और सेंटर शुरू किया है जहां सूअरों की किडनी को निकाल कर उन्हें मरीजों में ट्रांसफर के लिए तैयार किया जाएगा.
कितना महंगी है सूअर की किडनी
कंपनी के प्रवक्ता का कहना है कि यहां रखे जाने वाले 200 जानवरों को संक्रमण से बचाने के लिए "कठोर नियंत्रण" रखा जाता है. कंपनी का लक्ष्य मरीजों के लिए कई साल चलने वाली क्लिनिकल स्टडी को 2025 में शुरू करना है. इसके साथ ही अगर फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन मंजूरी दे देता है तो वे जीन संवर्धित सूअरों की बड़े पैमाने पर ब्रीडिंग 2029 में शुरू करना चाहते हैं. यूनाइडेट थेराप्यूटिक्स पहले ही करोड़ों डॉलर का निवेश कर बड़े बड़े केंद्र बनाने की योजना बना रही है.
कंपनी ने एक किडनी की कीमत 10 लाख डॉलर रखने का सोचा है. इतने पैसे में 10 साल तक मरीज की अमेरिका में डायलिसिस हो सकती है. अमेरिका में यूनिवर्सल हेल्थकेयर की सुविधा नहीं होने की वजह से बड़ी संख्या में मरीजों को इस खर्च के लिए तैयार करना आसान नहीं होगा. हालांकि आयरेस को उम्मीद है कि स्वास्थ्य बीमा की मदद से मरीज यह खर्च उठा पाएंगे.
जेनोट्रांसप्लांटेशन रिसर्च दुनिया के कई हिस्सों में हो रहे हैं, लेकिन अमेरिका इनमें अगुआ है. फ्रेंच समाजविज्ञानी कैथरीन रेने इसकी आलोचना करती हैं. उनका कहना है कि यह सूअरों के साथ अन्याय है कि उन्हें इंसानों के अंगों के लिए बर्तन की तरह इस्तेमाल किया जाए. रेने ने एएफपी से कहा, "दान लिया जा रहा है लेकिन अंत में दान देने वाले पशु को कोई नहीं पूछता." आयरेस इससे सहमत नहीं हैं. उनका कहना है, "हर दिन करोड़ों सूअरों का इस्तेमाल खाने में होता है. मेरा मानना है कि सूअरों के अंगों का इस्तेमाल ट्रांसप्लांटेशन में करना कहीं ज्यादा बेहतर है."
एनआर/एए (एएफपी)