सूअर की किडनी पाने वाले पहले इंसान की मौत
१३ मई २०२४जिस इंसान के शरीर में पहली बार सूअर की किडनी लगाई गई थी, उसकी मौत हो गई है. रविवार को अमेरिका के बोस्टन के मैसाचुसेट्स जनरल अस्पताल ने बताया कि जीन्स में बदलाव के बाद तैयार की गई सूअर की किडनी पाने वाले 62 साल के रिक स्लेमन का निधन हो गया.
एक बयान में अस्पताल ने कहा, "हमें बेहद दुख के साथ बताना पड़ रहा है कि रिक स्लेमन की अचानक मौत हो गई. हमें यह पता नहीं है कि ऐसा हाल ही में हुए प्रत्यारोपण के कारण हुआ या नहीं.”
रिक स्लेमन की मार्च महीने में सर्जरी हुई थी. चार घंटे चले ऑपरेशन के दौरान उन्हें जेनेटिक मॉडिफिकेशन के जरिए इंसान के इस्तेमाल लायक बनाई गई सूअर की किडनी लगाई गई थी. उनकी दोनों किडनी एक रोग की वजह से काम करना बंद कर गई थीं.
उम्मीद की लौ बने रिक स्लेमन
अस्पताल ने कहा, "स्लेमन को हमेशा प्रत्यारोपण के दुनियाभर के अनगिनत मरीजों के लिए एक उम्मीद की लौ के रूप में याद किया जाएगा. हम उनके भरोसे और अंग प्रत्यारोपण के क्षेत्र को आगे बढ़ाने की उनकी इच्छा के लिए उनका तहे दिल से शुक्रगुजार हैं.”
मानव अंगों की कमी के कारण दुनियाभर में सालाना हजारों लोगों की मौत हो जाती है क्योंकि उन्हें सही समय पर प्रत्यारोपण के लिए अंग नहीं मिल पाते. बोस्टन अस्पताल ने बताया था कि मार्च में उसकी प्रतीक्षा सूची में 1,400 लोग थे जो किडनी मिलने का इंतजार कर रहे थे.
इस समस्या से निपटने के लिए वैज्ञानिक जानवरों की किडनी और अन्य अंगों के साथ प्रयोग कर रहे हैं. मैसाचुसेट्स की ही एक बायोटेक कंपनी ईजेनेसिस ने सूअर की किडनी में जीन्स में बदलाव किए थे ताकि उसे इंसान के शरीर में लगाया जा सके. यही किडनी स्लेमन को लगाई गई थी. इसमें से सूअर के नुकसानदायक जीन्स हटा दिए गए थे और इंसान के कुछ जीन्स जोड़े गए थे.
स्लेमन टाइप-2 डायबिटीज और हाइपरटेंशन के मरीज थे. उन्हें 2018 में इंसानी किडनी लगाई गई थी लेकिन पांच साल काम करने के बाद उस किडनी ने काम करना बंद कर दिया था. उसके बाद उन्हें इस साल सूअर की किडनी लगाई गई थी. 16 मार्च को उनके ऑपरेशन के बाद डॉक्टरों ने कहा था कि अब उन्हें डायलिसिस की जरूरत नहीं है.
उनके निधन पर उनके परिवार ने कहा कि स्लेमन की कहानी एक प्रेरणा है. अस्पताल के मुताबिक स्लेमन के परिजनों ने कहा, "वह जिन वजहों से इस प्रत्यारोपण के लिए तैयार हुए थे, उनमें से एक यह भी थी कि दुनिया के उन हजारों लोगों की उम्मीद बन सकें, जिन्हें जिंदा रहने के लिए प्रत्यारोपण की जरूरत है. रिक का वह लक्ष्य पूरा हो गया और उनकी दी उम्मीद हमेशा कायम रहेगी.”
जानवरों के अंगों का इस्तेमाल
सूअर की किडनी के इस्तेमाल का यह पहला मामला था लेकिन अन्य अंगों पर भी प्रयोग हो चुके हैं. 2022 में मैरीलैंड के एक व्यक्ति को सूअर का दिल लगाया गया था. इस दिल के सहारे वह दो महीने तक जीवित भी रहा. यह दिल जिस सूअर से लिया गया था, उसके जेनेटिक्स में ऐसे बदलाव किए गए थे कि वे इंसानी इम्यून सिस्टम पर अचानक हमला ना कर पाएं.
बायोइंजीनियरिंग में, यानी कि सूअर के अंग को इंसानों जैसा बनाने की प्रक्रिया में किसी खास तरह के सूअर की जरूरत नहीं होती. इसमें तो खाने के लिए काटे गए सूअर से बचे अंग भी इस्तेमाल किया जा सकते हैं.
अन्य जानवरों के अंगों के साथ भी इस तरह के प्रयोग किए जा रहे हैं. इस सदी के शुरुआती सालों में मिनेसोटा यूनिवर्सिटी के डॉ. डोरिस टेलर और डॉ. हेराल्ड ओट ने एक मृत चूहे के हृदय को कोशिकाओं से पूरी तरह मुक्त करने में कामयाबी पाई थी. अब मीरोमैट्रिक्स उसी कामयाबी के आधार पर तकनीक को आगे बढ़ाने में जुटी है.
वीके/एए (एएफपी, रॉयटर्स)