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647 गांव पड़े अलग थलग

१६ अक्टूबर २०१३

ओडीशा के पांच उत्तरी राज्यों में पाइलिन चक्रवाती तूफान के बाद बारिश और बाढ़ तो कम हुई है लेकिन फिर भी करीब 647 गांव अलग थलग पड़े हए हैं. अब तक 28 लोगों के मारे गए हैं.

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तस्वीर: Reuters

प्रमुख बड़ी नदियों का पानी धीरे धीरे उतर रहा है. बुधवार को राज्य सरकार ने सैनिकों को वापस भेजने का फैसला किया. हालांकि स्थानीय एनडीआरएफ यूनिट के जवान बालासोर जिले के बाढ़ प्रभावित इलाकों में तैनात रहेंगे. विशेष राहत आयुक्त (एसआरसी) पीके मोहापात्रा ने जानकारी दी, "बास्ता भोगराई, जलेश्वर और बालियापाल को छोड़ बालासोर जिले में बाढ़ की स्थिति सुधरी है. आठ इलाकों से पानी उतर गया है." हालांकि उन्होंने यह भी बताया कि 83 पंचायतों के करीब 647 गांव अभी भी अलग थलग पड़े हुए हैं.

सरकार ने फैसला किया है कि वह हवा में से खाद्य और राहत सामग्री फेंकनी बंद करेगी क्योंकि अब सभी इलाकों में मोटरबोट से जाया जा सकता है.
सेंट्रल डिविजन के राजस्व आयुक्त (आरडीसी) अरविंद पाधी ने बताया कि बालासोर जिले के 96 हजार बाढ़ पीड़ित लोग अब राहत शिविरों में हैं. पाधी के मुताबिक, "शाम तक 85 फीसदी लोग अपने गांवों की ओर चले जाएंगे."

जाजपुर जिले में बाढ़ का पानी रुका हुआ है. यहां के 24 ग्राम पंचायतों के 66 गांवों तक नाव या रास्ते से पहुंचा जा सकता है. वहीं भद्रक जिले के 70 गांव अभी भी बाढ़ से ग्रस्त हैं. मुख्य सचिव जीके मोहपात्रा ने कहा, "चार ग्राम पंचायतों के 30 गांवों में अभी बाढ़ आ सकती है क्योंकि बैतरणी नदी इसी इलाके से होते हुए समंदर में जाएगी." उन्होंने बताया कि सुवर्णरेखा, बुधबलंग, जलाका और बैतरणी नदियों में बाढ़ के कारण 1.73 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है.

राहत सामग्री का वितरण अब तूफान और बाढ़ प्रभावित इलाकों में शुरू करने की जरूरत है. राज्य सरकार ने सेना को उनके सहयोग और मदद के लिए धन्यवाद दिया है. उधर ओडीशा के तूफान प्रभावित राज्य गंजम में टाटा की राहत कमेटी ने भी शिविर लगाए हैं. वह जिला प्रशासन के साथ मिल राहत के कामों में सहयोग कर रहे हैं.

एएम/एनआर (पीटीआई)

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