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हॉस्टलों, पीजी कमरों पर जीएसटी से शिक्षा होगी और महंगी

३१ जुलाई २०२३

हॉस्टलों और पीजी कमरों पर 12 प्रतिशत जीएसटी की घोषणा का विरोध किया जा रहा है. कई छात्रों, अभिभावकों और टैक्स जानकारों का कहना है कि इससे कुल मिलाकर गरीब और मध्यम वर्ग परिवारों का शिक्षा पर खर्च और बढ़ जाएगा.

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नई दिल्ली
आवासीय परिसर बनाम पीजी कमरेतस्वीर: Abdul Rauoof Ganie/DW

जीएसटी काउंसिल के अथॉरिटी ऑफ एडवांस्ड रूलिंग (एएआर) की दो अलग अलग बेंचों ने इस मामले पर एक जैसे फैसले दिए हैं. हॉस्टलों और पीजी कमरों पर अभी तक जीएसटी नहीं लगता था, लेकिन एएआर के इन फैसलों के बाद अब 12 प्रतिशत जीएसटी लगेगा.

यानी किसी हॉस्टल या पीजी कमरे का मासिक किराया 10,000 रुपये था, तो अब किराया 11,200 रुपये हो जाएगा. जिन दो मामलों में ये फैसले आये उनमें पहला मामला बेंगलुरु बेंच का है.

आवासीय परिसर बनाम पीजी कमरे

एक याचिका में बेंच से महिलाओं के लिए हॉस्टल और पीजी सेवायें चलाने वाली बेंगलुरु स्थित कंपनी श्रीसाई लग्जिरियस स्टे ने अपील की थी कि निजी हॉस्टलों को आवासीय परिसरों की ही श्रेणी में डाला जाए और उन पर जीएसटी ना लगाया जाए.

आवासीय परिसर किराए पर देने पर उन पर जीएसटी नहीं लगता है. बेंगलुरु एएआर ने अपने फैसले में कहा कि हॉस्टल और पीजी कमरों को आवासीय परिसर नहीं माना जा सकता, क्योंकि वहां अपरिचित लोग एक साथ रहते हैं और हर महीने प्रति बिस्तर के आधार पर बिल बनाये जाते हैं.

अधर में कश्मीर छात्रों का भविष्य

इसी तरह हॉस्टल चलाने वाली नोएडा स्थित कंपनी वीएस इंस्टिट्यूट एंड हॉस्टल ने भी लखनऊ एएआर से कहा था कि वो आवासीय सेवायें देती है, इसलिए उससे जीएसटी नहीं वसूला जाए. लेकिन इस मामले में भी एएआर ने होटलों, पीजी कमरों को आवासीय स्थान मानने से इनकार कर दिया.

एएआर ने कहा कि आवासीय स्थान वो होते हैं जहां कोई स्थायी रूप से रहता हो, ना कि गेस्टहाउस, लॉज या ऐसी दूसरी जगह. टैक्स जानकारों का कहना है कि जीएसटी काउंसिल इन फैसलों को नजीर मान सकता है और अब से सभी निजी हॉस्टलों और पीजी कमरों पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगेगा.

बढ़ेगा छात्रों, परिवारों पर बोझ

विपक्षी पार्टियां इस फैसले की आलोचना कर रही हैं. तृणमूल कांग्रेस ने कहा है कि पहले से बोझ के तले दबे छात्रों पर और बोझ लादा जा रहाहै.

टैक्स विशेषज्ञ शरद कोहली ने सीएनबीसीटीवी18 डॉट कॉम को बताया कि इसका सीधा असर हॉस्टलों और पीजी कमरों में रहने वाले छात्रों पर पड़ेगा, यानी अब शिक्षा का खर्च और बढ़ जाएगा. जानकारों का यह भी मानना है कि जीएसटी काउंसिल को इस फैसला का छात्रों के बजट पर पड़ने वाले असर को ध्यान में रखना चाहिए.

एमआरजी एसोसिएट्स में सीनियर पार्टनर रजत मोहन ने हिंदुस्तानटाइम्स डॉट कॉम को बताया कि शिक्षा के पूरे इकोसिस्टम पर टैक्स का काफी बोझ है और इसमें छात्रों के रहने का खर्च भी शामिल है. उन्होंने कहा कि जीएसटी काउंसिल को टैक्स के इस बोझ को कम करने के लिए एक नीतिगत फैसला लेना चाहिए.