परेशानी की दोहरी मार झेल रहे हैं एएमयू के विदेशी छात्र
१८ दिसम्बर २०१९अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में प्रदर्शनों के बाद छुट्टी घोषित कर दी गई है जिसकी वजह से सैकड़ों विदेशी छात्र मुश्किल में पड़ गए हैं. इतनी जल्दी इनका घर जाना मुमकिन नहीं और हॉस्टल से इन्हें बाहर कर दिया गया है. रविवार को हुए हिंसक प्रदर्शन के बाद अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में सभी परीक्षाओं को स्थगित करते हुए विश्वविद्यालय को पांच जनवरी तक के लिए बंद कर दिया गया और छात्रावास खाली करा लिए गए लेकिन सबसे ज्यादा परेशानी उन छात्रों को हो रही है जो दूसरे देशों से यहां आकर पढ़ रहे हैं. समय से पहले शीतकालीन अवकाश हो जाने और अलीगढ़ में अब भी असामान्य स्थिति बनी रहने के कारण ऐसे सैकड़ों छात्रों को मस्जिदों तक में शरण लेनी पड़ रही है.
विदेशी छात्रों के साथ दिक्कत यह है कि वह इतनी जल्दी ना तो अपने देश जा सकते हैं और ना ही अलीगढ़ में किसी के यहां रुक सकते हैं क्योंकि ज्यादातर छात्र ऐसे हैं जिनका कोई स्थानीय अभिभावक नहीं हैं. होटलों में उन्हें रहने के लिए कमरे आसानी से नहीं मिल रहे हैं इसीलिए ज्यादातर छात्रों को आस-पास की मस्जिदों में शरण लेनी पड़ी है.
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में इस समय सात सौ से ज्यादा विदेशी छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं जिनमें करीब दो सौ एनआरआई भी हैं. इनमें से लगभग ढाई सौ लड़कियां हैं. एएमयू प्रशासन के मुताबिक, सबसे ज्यादा छात्र यमन और थाईलैंड के हैं.
इसके अलावा यहां अफगानिस्तान, अमेरिका, बांग्लादेश, कनाडा, मिस्र, ईरान, इंडोनेशिया, ईरान, जॉर्डन, लीबिया, मॉरीशस, नेपाल, न्यूजीलैंड, नाईजीरिया, फलस्तीन, सूडान, सोमालिया, सीरिया, थाईलैंड, तुर्कमेनिस्तान के छात्र-छात्राएं शामिल हैं. सभी हॉस्टलों को खाली करने के आदेश और उन्हें जबरन खाली कराए जाने के बाद ये सभी छात्र परेशान हैं.
हालांकि कुछ छात्रों के रिश्तेदार भारत के विभिन्न हिस्सों में रहते हैं इसलिए उन छात्रों को कुछ राहत है लेकिन ज्यादातर छात्र ऐसे हैं जिनका यहां कोई नहीं है. विश्वविद्यालय प्रशासन ने हालांकि स्थानीय यानी भारतीय छात्रों को उनके घर भेजने में कुछ मदद की थी लेकिन विदेशी छात्रों की समस्या के आगे वो खुद भी असहाय महसूस कर रहा है.
विश्वविद्यालय के एक अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया कि विश्वविद्यालय इन विदेशी छात्रों को चाहकर भी अस्थाई तौर पर इसलिए नहीं रख पा रहा है क्योंकि जिला प्रशासन इस मामले में पूरी तरह सख्त रुख अख्तियार कर चुका है. उनके मुताबिक, जिला प्रशासन को लगता है कि छात्रावासों से ही किसी भी तरह के आंदोलन की रणनीति बनती है और माहौल खराब होता है, जबकि विदेशी छात्रों का इस आंदोलन से कोई लेना-देना नहीं था.
नेपाल के एक छात्र अली रजा खान ने मीडिया से बातचीत में कहा, "सब कुछ इतनी तेजी से हुआ कि अपने लिए मकान तक तलाश नहीं कर सके. किसी तरह सर सैयद नगर की मस्जिद में दोस्तों के साथ शरण ली है. यहां पर जमात में भी शामिल हो रहे हैं.”
वहीं दुबई के एक छात्र ने लखनऊ में अपने एक रिश्तेदार के यहां शरण ले रखी है. मोहम्मद हमजा नाम के इस छात्र का कहना है, "दो दिन तो अलीगढ़ में ही इधर-उधर भटकता रहा लेकिन जब मेरे लखनऊ में रह रहे एक रिश्तेदार को ये पता चला तो उन्होंने यहां बुला लिया है. अब मैं 25 दिसंबर को अपने वतन जाऊंगा जो कि पहले से तय था.”
दरअसल, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में 23 दिसंबर से शीतकालीन अवकाश प्रस्तावित था और इस वक्त विश्वविद्यालय में परीक्षाएं चल रही थीं. नागरिकता कानून लागू होने के बाद से वहां लगातार प्रदर्शन और आंदोलन जरूर हो रहे थे लेकिन इससे ना तो पढ़ाई और ना ही परीक्षाएं प्रभावित हो रही थीं. दिल्ली के जामिया विश्वविद्यालय में प्रदर्शनकारी छात्रों पर हुए लाठीचार्ज के बाद यहां भी रविवार को हिंसक प्रदर्शन हुआ जिसकी वजह से विश्वविद्यालय को पांच जनवरी तक के लिए बंद कर दिया गया. यानी शीतकालीन अवकाश एक हफ्ता पहले ही कर दिया गया.
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में पहले की अपेक्षा अब विदेशी छात्रों की तादाद काफी ज्यादा हो गई है. विश्वविद्यालय प्रशासन के मुताबिक, पिछले कुछ सालों में यहां विदेशी छात्रों की संख्या लगातार बढ़ी है. पिछले पांच वर्षों में यहां पर पढ़ने वाले विदेशी छात्रों की संख्या में दो गुना इजाफा हुआ है. पांच वर्ष पहले करीब 350 विदेशी छात्र यहां पढ़ते थे, जबकि अब यह संख्या 715 तक पहुंच गई है.
हालांकि एएमयू में रविवार के बाद भी हालात सामान्य नहीं हुए हैं. अलीगढ़ शहर में बड़ी संख्या में स्थानीय लोग जहां रोज प्रदर्शन कर रहे हैं वहीं मंगलवार को कई छात्राएं विश्वविद्यालय के बाहर नागरिकता कानून के विरोध में धरने पर बैठ गईं. इन छात्राओं का आरोप था कि रविवार को हुए हिंसक प्रदर्शन के बाद कुछ छात्रों को हिरासत में लिया गया था जिन्हें रिहा कर दिया गया है लेकिन कई छात्र अभी भी लापता हैं.
समय से पहले विश्वविद्यालय बंद कर देने और हॉस्टल खाली करा लेने का सबसे ज्यादा असर विदेशी, कश्मीरी और शोध छात्रों पर पड़ा है. विदेशी छात्र तो इधर-उधर भटक ही रहे हैं, जम्मू-कश्मीर में रहने वाले छात्र-छात्राओं के सामने दूसरे तरह की परेशानियां हैं. छह सौ से ज्यादा कश्मीरी छात्र जम्मू में फंसे हुए हैं, क्योंकि आगे रास्तों पर बर्फ है और यातायात ठप्प है.
यहां फंसे छात्र और छात्राएं ना तो घर जा सकते हैं और ना ही अलीगढ़ वापस आ सकते हैं क्योंकि यहां वापस आने के बाद भी रहने का कोई ठिकाना नहीं है और पूरे शहर का माहौल भी तनावपूर्ण है. यही नहीं, अलीगढ़ में इंटरनेट सेवाएं बंद होने और टेलीफोन लाइनें भी कई बार बाधित होने के कारण छात्र-छात्राएं अपने घर वालों से भी संपर्क नहीं कर पा रहे हैं.
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