हम नहीं दुनिया की गैरबराबरी के जिम्मेदारः भारत
१९ फ़रवरी २०११बैठक के दौरान भारतीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा, "भारत की स्थिति यह है कि हमने न तो दुनिया में गैर बराबरी पैदा की है और न ही हम अब ऐसा कर रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय बाजारों के कमजोर होने के लिए भी हम जिम्मेदार नहीं हैं."
ताजा अनुमानों के मुताबिक 2010-11 में भारतीय अर्थव्यवस्था 8.6 फीसदी की दर से बढ़ रही है और यह वृद्धि आगे भी बनी रहेगी. लेकिन पश्चिमी दुनिया के अमीर देश दुनियाभर में फैलती गैर बराबरी को लेकर चिंतित हैं. शुक्रवार को फ्रांस के राष्ट्रपति निकोला सारकोजी ने भी असमानता के खिलाफ जी20 को चेताया. उन्होंने बढ़ती महंगाई पर भी चिंता जाहिर की.
लेकिन भारत का कहना है कि भारत जैसी तेजी से उभरती बड़ी अर्थव्यवस्थाओं पर मौसमी परिस्थितियों का असर होता रहता है और उसका असर खाद्य पदार्थों की कीमतों पर पड़ता है. प्रणब मुखर्जी ने कहा, "मौसमी वजहों से भारत में खाने पीने की चीजों के दामों में काफी बढ़ोतरी हुई है. इसकी एक वजह उपभोग की आदतों में आए बदलाव भी हैं जो बढ़ती अर्थव्यवस्था की ही देन हैं. खाद्य मुद्रास्फीति का असर आम मुद्रास्फीति पर भी होता है और यह आर्थिक प्रबंधन के लिए एक चुनौती है."
मुखर्जी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी खाने पीने की चीजों की कीमतें बहुत ज्यादा बनी हुई हैं और इस वजह से भारत भी अपने यहां खाद्य मुद्रास्फीति को काबू नहीं कर पा रहा है.
जी20 की बैठक में करंट अकाउंट घाटे की सीमा तय करने जैसे मुद्दों पर खासतौर पर बहस हो रही है. इस बारे में मुखर्जी ने कहा कि भारत में एक संतुलन बना हुआ है. उन्होंने कहा, "भारत इस मामले में भाग्यशाली रहा है कि उपभोग और निवेश के बीच एक संतुलन बना हुआ है. साथ ही बाहरी और भीतरी मांग भी संतुलित रही है. हालांकि हमारी भी चिंताएं हैं जो खासकर प्रॉपर्टी की बढा़ई गई कीमतों से जुड़ी हैं. और फिर हमारे सामने ढांचागत आर्थिक समस्याएं भी हैं जो अंतरराष्ट्रीय आर्थिक अनिश्चितताओं से प्रभावित होती हैं."
मुखर्जी ने ब्रिक देशों के समूह के साथ अपने रिश्तों पर खास तवज्जो दी जिनमें भारत के अलावा चीन, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः महेश झा