पैसों की बात होगी जी20 बैठक में
१८ फ़रवरी २०११बैठक से पहले वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा, "इन मामलों में पारदर्शिता होनी चाहिए. खासकर टैक्स आश्रय देशों को बाकी देशों की मदद करनी चाहिए ताकि बेइमानी से कमाए गए पैसों के स्रोत का पता लगाया जा सके." मुखर्जी ने कहा कि यह काला पैसा कर चोरी से कमाया जाता है और विदेशों के बैंकों में रखा जाता है. उन्होंने कहा कि भारत इस तरह के कामों को रोकने की कोशिश कर रहा है और टैक्स आश्रय देशों के साथ समझौते कर रहा है. टैक्स आश्रय देश या इलाके ज्यादातर स्वायत्त होते हैं, जैसे सेंट किट्स और ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स.
भारत के अलावा जी20 के बाकी देशों की भी चिंता पैसों को ही लेकर है. फ्रांस के राष्ट्रपति निकोला सार्कोजी ने कहा है कि वह विश्व मुद्रा प्रणाली और कमॉडिटी बाजारों में सुधार लाना चाहते हैं. इससे गरीब देशों को आर्थिक उतार चढ़ाव और मुद्रास्फीति से बचाया जा सकेगा. गरीब देशों के बीच आर्थिक अंतर को आंकने के लिए इंडिकेटर लगाए जाएंगे.
हालांकि जी20 में आए कुछ प्रतिनिधियों का कहना है कि ब्रिक देश, यानी भारत, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, चीन और रूस फ्रांस की योजना से खुश नहीं हैं. विश्लेषकों का कहना है कि पश्चिमी देशों के लिए यह एक मौका है जिससे वह चीन के साथ मुद्रा विवाद को सुलझा सकते हैं. पश्चिमी देशों का मानना है कि चीन जानबूझकर अपनी मुद्रा के स्तर को कम रखता है ताकि उसके निर्यात अंतरराष्ट्रीय बाजार में सस्ते रहें. साथ ही इन देशों को लगता है कि चीन का भारी भरकम ट्रेड सरप्लस और देश में विदेशी मुद्रा के भंडारों की वजह से विश्व व्यापार में असमानताएं आ रही हैं. लेकिन चीन का कहना है कि यह बाकी देशों की अर्थव्यवस्था में संरचनात्मक पेरशानियों से है.
शुक्रवार को जी20 शुरू होने से पहले ब्रिक देश के नेता मिलकर इन मुद्दों पर विचार करेंगे. शुक्रवार शाम को फ्रांस के राष्ट्रपति निकोला सार्कोजी पैरिस के एलिजे महल में 20 देशों के प्रतिनिधियों का स्वागत करेंगे और महमानों को संबोधित करेंगे.
रिपोर्टः एजेंसियां/एमजी
संपादनः वी कुमार