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मंथन 66 में खास

११ दिसम्बर २०१३

भारत में उतने टॉयलेट नहीं हैं, जितने मोबाइल फोन हैं.. यह बात ना ही अफवाह है और ना ही मजाक में उड़ाई गयी है. बल्कि ये संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ें हैं. मंथन में इस बार इस समस्या पर ध्यान.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

भारत की आधी से ज्यादा आबादी के पास मोबाइल फोन है, लेकिन अगर टॉयलेट्स की बात करें, तो आबादी का एक तिहाई से भी कम हिस्सा इनका इस्तेमाल कर पाता है. लिहाजा नदी तालाबों का बुरा हाल है. जर्मनी के एक वैज्ञानिक ने इसका हल निकाला है. एक ऐसा टॉयलेट सिस्टम बनाया है जो बीमारियां भी दूर रखे और पर्यावरण को भी फायदा पहुंचाए. इस टॉयलेट सिस्टम में जमा मल मूत्र से टेरा प्रेटा कंपोस्ट खाद बनती है जो मिट्टी के लिए बेहद ऊपजाऊ होती है.

सेहत का ध्यान रखने के लिए साफ सफाई जितनी जरूरी है, उतना ही जरूरी है अच्छा खाना और कसरत. कई बीमारियां तो कसरत से ही ठीक हो पाती हैं, जैसे कि गठिया या फिर जोड़ों की सूजन. अधिकतर देखा गया है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं को इस तरह की बीमारी का खतरा ज्यादा रहता है. साथ ही बढ़ती उम्र के साथ जोड़ों का दर्द भी बढ़ता है. लेकिन अब बच्चों में भी इसके कई मामले सामने आ रहे हैं. मंथन में जानिए कि जर्मनी में बच्चों का इलाज कैसे किया जा रहा है.

खूबसूरत और आरामदेह घर

एक खूबसूरत घर हर किसी का सपना होता है. किसी के लिए फर्श का पत्थर जरूरी है तो कोई एक बड़े से बगीचे की कल्पना करता है. अपनी अपनी जेब के हिसाब से लोग दूर दराज से सजावट का सामान भी मंगाते हैं. यूरोप में तो कई लोग दूर देशों से डिजायनर पेड़ भी मंगा रहे हैं. इन पेड़ों की कीमत करीब 15 से 20 हजार यूरो यानि करीब 20 लाख रुपये है. और घर के लिए सिर्फ खूबसूरती ही काफी नहीं है, वह रहने लायक भी होना चाहिए. यूरोप के ठंडे देशों में घर इंसुलेटिड होते हैं ताकि बाहर भले ही बर्फ पड़ रही हो, लेकिन अंदर आप हीटर चला कर आराम से बगैर स्वेटर के ही बैठ सकें और गर्मियों जैसा ही महसूस कर सकें. जर्मन राज्य बवेरिया के नॉर्डलिंगन शहर में एक कंपनी भांग की प्रजाति के एक पौधे "हैम्प" से इंसुलेटिंग मैट बना रही है. मंथन में जानिए कि इन्हें कैसे बनाया जा रहा है.

इसके अलावा दिखाएंगे क्रोशिया से बने ब्रेसलेट भी. फ्रेंडशिप बैंड्स, कपड़े या धागे से बने ब्रेसलेट पहनने का स्कूल और कॉलेज में काफी चलन होता है. लेकिन इनकी दीवानगी सिर्फ बच्चों में ही नहीं है, मिलान फैशन वीक में भी मॉडल्स को इस तरह के बैंड्स के साथ देखा गया है. इटली की एक कंपनी के क्रोशिया से बने ब्रेसलेट इतने हिट हो गए हैं कि एक ही साल में 70 लाख पीस बिक चुके हैं. पेरिस हिल्टन जैसी बड़ी हस्तियों की कलाइयों पर भी इन्हें देखा जाने लगा है. इन रंग बिरंगे बैंड्स के लिए देखना ना भूलें मंथन शनिवार सुबह 10.30 बजे डीडी नेशनल पर.

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