लश्कर की गतिविधियों की निगरानी कर रहे थे डेविस!
१४ मार्च २०११न्यूयॉर्क टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक अमेरिका ये महसूस कर रहा है कि लश्कर ए तैयबा अब यूरोप और अमेरिका के खिलाफ जिहाद छेड़ने की कोशिश में पाकिस्तानी फौज के साये से बाहर निकल गया है. मुमकिन है कि लश्कर की गतिविधियों पर चोरी छिपे निगाह रखने की कोशिश में डेविस पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के निशाने पर आ गए हों जिसने लंबे समय से लश्कर को पाल पोस कर बड़ा किया है. न्यूयॉर्क टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक आईएसआई भारत में अपने दुश्मनों को निशाना बनाने के लिए लश्कर का इस्तेमाल करती है. रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि आईएसआई लश्कर का सहयोग करती है इसलिए पाकिस्तान खुफिया एजेंसी के लिए लश्कर के खिलाफ काम कर रहे अमेरिकी दुश्मन जैसे ही हैं.
पाकिस्तानी नागरिकों को गोली मारने के बाद डेविस के खिलाफ जिस तरह से आरोप प्रत्यारोप का दौर चला है उसने ज्यादातर पाकिस्तानियों की इस आशंका को मजबूत कर दिया है कि अमेरिका ने जासूसों और ठेकेदारों की एक फौज पाकिस्तान में तैनात कर रखी है. एक अमेरिकी अधिकारी के हवाले से अखबार ने लिखा है, "इस घटना ने लोगों का ध्यान अनचाहे तरीके से ही उस बड़े खेल की ओर खींचा है जिसमें डेविस एक बहुत छोटी भूमिका निभा रहे थे."
अखबार ने लिखा है, "अमेरिकी अधिकारी ये मान चुके हैं कि लश्कर अब पाकिस्तान की भारत के साथ सीमा विवाद में लड़ाके के तौर पर छोटी भूमिका से ही संतुष्ट नहीं है. उसका लक्ष्य बड़ा हो गया है और अब लश्कर अपना जिहाद अमेरिका और यूरोप तक पहुंचाना चाहता है इसके साथ ही अफगानिस्तान में मौजूद अमेरिकी सैनिक भी उसके निशाने पर हैं." पाकिस्तान फौज की लश्कर के साथ जुड़ाव का सबूत इस बात से भी मिलता है कि जुलाई में इस्लामाबाद आए अमेरिकी सैन्य प्रमुख माइक मुलेन ने लश्कर ए तैयबा को 'वैश्विक खतरा' कहा और उनके इस बयान ने उनके मेजबान को हिला दिया.
पिछले कई सालों से पाकिस्तान जिस गुट को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा का अंग मानता था और अमेरिका आतंक विरोधी अधिकारी जिसे क्षेत्रीय समस्या कह कर टाल चुके थे वो अमेरिका के लिए खतरे के रूप में सामने आया है जिसे अनदेखा करना उनके लिए मुमकिन नहीं. ऐसे में जब बुनियादी स्तर पर हितों का टकराव हो तो जाहिर है कि लश्कर पाकिस्तानी और अमेरिकी अधिकारियों के बीच तनाव पैदा करना चाहता है. उसका मकसद ये है कि ये जंग लोगों के सामने आए और डेविस इसमें समस्या नहीं बल्कि समस्या का एक संकेत भर हैं.
अमेरिकी खुफिया अधिकारियों के मुताबिक लश्कर के आतंकी अफगानिस्तान में भी सक्रिय हैं और उन्होंने अमेरिका सेनाओं के खिलाफ हमला करने वालों से रिश्ता जोड़ लिया है. फिछले साल फरवरी में लश्कर आतंकियों के एक हमले में भारतीय डॉक्टर समेत कई विदेशी मारे गए. लश्कर ने यूरोप, जर्मनी और ब्रिटेन में पैसा जुटाने वाले अपने नेटवर्क को मजबूत करने में जुट गया है उसकी कोशिश यूरोपीय देशों की राजधानियों में मुंबई जैसा हमला करने की है.
रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन
संपादनः ओ सिंह