मैन एशियाई अवॉर्ड में भारतीयों का दबदबा
११ जनवरी २०१२2011 के लिए दिए जा रहे मैन एशियन लिटररी प्राइज के लिए कुल 7 लेखक दौड़ में हैं. इनमें से तीन भारत के हैं. इसके अलावा पाकिस्तान, दक्षिण कोरिया, जापान और चीन के लेखक हैं.
बीबीसी की संवाददाता रजिया इकबाल जजों की पैनल का नेतृत्व कर रही हैं. उन्होंने कहा कि अंतिम चुनाव हाल में लिखे जा रहे एशियाई साहित्य और तेजी से बदलते जीवन के बारे में लिखी गई कहानियों की कल्पनाशक्ति को ध्यान में रखते हुए लिया गया है. इसके साथ ही विविध किताबों के कारण जरूरी हो गया कि 2011 के मैन एशियन लिटररी प्राइज के लिए हम हमेशा की तरह पांच से ज्यादा किताबों को चुनें.
यह अवॉर्ड सिर्फ उन्हीं एशियाई लेखकों को दिया जाता है जो या तो अंग्रेजी में लिखते हैं या जिनकी किताबों का अंग्रेजी में अनुवाद किया गया है. इसकी शुरुआत 2007 में हुई थी और बुकर प्राइज देने वाली संस्था ही इसे भी स्पॉन्सर करती है.
जो किताबें अंतिम दौड़ में हैं उनमें इस्लामाबाद के लेखक जमील अहमद की लिखी किताब द वॉन्डरिंग फाल्कन भी है. दक्षिण कोरियाई लेखक क्यूंग सूक शिन की प्लीज लुक आफ्टर मॉम, चीनी उपन्यासकार यान लियान्के की ड्रीम ऑफ डिंग विलेज, जापानी लेखक बनाना याशिमोटो की द लेक भी अंतिम सूची में है.
2011 के लिए कुल 90 किताबें इस अवॉर्ड के लिए पहुंची थी. अक्टूबर में 12 किताबों को चुना गया और फिर सात. अवॉर्ड जीतने वाले लेखक को 30 हजार डॉलर और अगर किताब अनुवादित है तो अनुवाद करने वाले व्यक्ति को पांच हजार डॉलर दिए जाते हैं. विजेता की घोषणा 15 मार्च को हांगकांग में की जाएगी. पिछले साल चीनी लेखक बी फैयू को थ्री सिस्टर्स के लिए यह पुरस्कार दिया गया था.
रिपोर्टः एएफपी/आभा एम
संपादनः एन रंजन