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मदीबा की अनजानी बातें

६ दिसम्बर २०१३

इतिहास रचने वाले नेल्सन मंडेला के बारे में कुछ ऐसी बातें हैं जो लोग नहीं जानते. मिसाल के तौर पर वह वैलेंटाइन्स डे पर क्या सोचते थे और फुटबॉल के साथ उनका कैसा रिश्ता था.

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1990 में पत्नी विनी के साथतस्वीर: picture-alliance/AFP

1995 में नेल्सन मंडेला वैलेंटाइन्स डे पर एक युवा फैन को चिट्ठी लिख रहे थे. मंडेला के माता पिता अनपढ़ थे, लिहाजा मंडेला को काफी सालों तक पता नहीं चला कि एक पूरा दिन केवल रोमांस और प्यार करने वालों के लिए रखा गया है. पिछले साल करीब 12 लाख डॉलर लगाकर इतिहासकारों ने मंडेला की जिंदगी के सारे दस्तावेजों को एक साथ जुटाने और दुनिया भर में शोधकर्ताओं और मंडेला प्रेमियों को उपलब्ध कराने के लिए एक खास ऑनलाइन आर्काइव बनाया. यहां उनकी जिंदगी के अहम दस्तावेज देखे जा सकते हैं.

राष्ट्रपिता

नेल्सन मंडेला दक्षिण अफ्रीका की सबसे बड़ी शख्सियत हैं. 2012 में वहां के केंद्रीय बैंक ने उनकी तस्वीर वाले नोट छापे. साउथ अफ्रीकन एयरवेज ने अपने विमानों पर भी उनकी तस्वीर लगाई. देश भर में उनकी मूर्तियां लगाई गई हैं.

दो राष्ट्रीय गान

अपना शपथ लेते हुए नेल्सन मंडेला ने अपने दिल पर हाथ रखते हुए दो गाने गाए, अफ्रीकांस भाषा में डी स्टेम, जिसका अर्थ है आवाज और अफ्रीकी गाना निकोसि सिकेले अफ्रीका. जिसका अर्थ है, भगवान अफ्रीका को अपना आशीर्वाद दे.

एक नया जीवन

27 साल बाद मंडेला जेल से निकले. अपनी पत्नी के साथ उन्होंने पहले अपना दाहिना हाथ उठाकर विजय का एलान किया. बाद में अपनी किताब "लॉन्ग वॉक टू फ्रीडम" में इस पल को याद करते हुए उन्होंने लिखा कि 71 साल की उम्र में भी उन्हें लगा कि उनका जीवन दोबारा एक नए सिरे से शुरू हो रहा है.

वर्ल्ड कप 2010

Bildergalerie Leben Nelson Mandela
2010 विश्वकप स्टेडियम मेंतस्वीर: Getty Images/Afp/Thomas Coex

2010 में मंडेला अंतिम बार लोगों के सामने आए. वर्ल्ड कप कंसर्ट के बाद ही उनकी पड़पोती की एक हादसे में मृत्यु हो गई जिसके बाद मंडेला विश्व कप उद्घाटन में तो नहीं आए लेकिन उन्होंने टूर्नामेंट के अंतिम समारोह में लोगों को संबोधित किया.

एक पर्यवेक्षक

मदीबा का मतलब उस व्यक्ति से होता है जो लोगों का आपस में मेल कराए. उनके झगड़े सुलझाए. मंडेला के पिता ट्रांसकई में खोसा कबीले के प्रमुख थे और दक्षिण अफ्रीका में ज्यादातर लोग उन्हें इसी नाम से पुकारते हैं.

कठोर भी थे मदीबा

मंडेला को गुस्सा भी आता था. जब अश्वेत पत्रकार उनके सरकार की थोड़ी भी आलोचना करते तो मंडेला उन्हें श्वेत मालिकों के चेले कहते. अगर श्वेतों को परेशानी होती और वे शिकायत करते तो मंडेला उन्हें वापस भेज देते, यह कह कर कि वह अपने पुराने उपनिवेशक वाले विशेष लाभों का फायदा उठाना चाहते हैं. वे फिडेल कास्त्रो और कर्नल गद्दाफी के करीब थे और कहते थे कि वह रंगभेद के विरोधियों का समर्थन करना नहीं छोड़ेंगे.

1964 की सुनवाई

अपने खिलाफ सुनवाई के दौरान 1964 में मंडेला ने कहा कि उन्होंने श्वेत और अश्वेत वर्चस्व के खिलाफ लड़ाई की. उन्होंने एक लोकतांत्रिक और स्वतंत्र समाज के लिए संघर्ष किया जहां लोग खुशहाली में रह सकते हैं, "यह एक ऐसा आदर्श है जिसे मैं जीते जी हासिल करना चाहता हूं लेकिन अगर जरूरत पड़े तो मैं इस आदर्श के लिए मरने से पीछे नहीं हटूंगा." उनके इस बयान की वजह से उन्हें आजीवन कारावास की सजा मिली.

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जेल में मदीबातस्वीर: Getty Images/Afp/Off

फुटबॉल से एकता

1995 में मंडेला जोहानिसबर्ग के वर्ल्ड कप फाइनल स्टेडियम में पहुंचे जहां 60,000 दर्शक मौजूद थे. इनमें ज्यादातर श्वेत समुदाय के लोग थे. मंडेला ने स्प्रिंगबॉक लोगो को पहना जो दक्षिण अफ्रीका का हिरन है. यह लोगो ज्यादातर श्वेत पहनते थे लेकिन मंडेला के इस फैसले ने दक्षिण अफ्रीका के श्वेत और अश्वेत समुदायों को एक कर दिया.

कैदी नंबर 46664

मंडेला यानी कैदी नंबर 46664 रात को अपने कैदखाने में छिप कर लिखते थे. उनके आसपास रह रहे कैदी मंडेला के छात्र जैसे थे. मंडेला ने जेल के चौकीदारों को भी अपने आंदोलन के बारे में बताया. चौकीदार सारे श्वेत थे. कैदी अफ्रीकी, भारतीय या मिश्रित नस्लों के थे.

अपने आप में झांको

मंडेला ने कहा है कि अपनी बाहरी काबिलियत से अपने को आंकना आम बात है. लेकिन जेल में आप अपने अंदर झांकना सीखते हैं. आप सरलता, उदारता और ईमानदारी जैसे मूल्यों पर ध्यान देने लगते हैं.

एमजी/एजेए (एपी)

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