भयानक सूखे का सामना कर रहा है उत्तर कोरिया
१७ मई २०१९दुनिया से अलग थलग, गरीब देश उत्तर कोरिया पर उसके परमाणु हथियारों और बैलिस्टिक मिसाइलों के कारण कई तरह के प्रतिबंध लगे हुए हैं. इन सब के बीच यह देश अपना पेट भरने के लिए संघर्ष कर रहा है क्योंकि यहां खाने की कमी का इतिहास पुराना है. चार दशक पहले भी वहां ऐसी स्थिति थी जब बारिश बेहद कम हुई और देश में खाने का संकट पैदा हो गया था.
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक पिछले साल यहां जो पैदावार हुई वह पिछले एक दशक में सबसे कम थी. अनुमान है कि कम से कम पांच लाख टन कम पैदावार हुई. जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज में एसोसिएट प्रोफेसर संदीप मिश्रा बताते हैं, "उत्तर कोरिया को अपनी पूरी आबादी के लिए करीब 50 लाख टन पैदावार की जरूरत होती है लेकिन पिछले एक दशक से इसमें लगभग हर साल 5-6 लाख टन की कमी हो रही है."
उत्तर कोरिया इसकी भरपाई संयुक्त राष्ट्र के वर्ल्ड फूड प्रोग्राम के अलावा अंतरराष्ट्रीय मदद के जरिए करता है. प्रो. मिश्रा कहते हैं कि प्रतिबंधों के कारण उसके पास दूसरे देशों से सप्लाई कम होती जा रही है, "उसके पास खाना खरीदने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा भी पर्याप्त रूप से मौजूद नहीं है."
प्राकृतिक आपदाओं के साथ ही कृषियोग्य भूमि की कमी और अकुशल खेती के कारण पैदावार में यह कमी आई है. उत्तर कोरिया में ऐसी जमीन कम है जहां खेती हो सके और जो है वहां भी सिंचाई की सुविधा नहीं है. बीते एक साल में उत्तर कोरिया में महज 56.3 मिलीमीटर बारिश या बर्फबारी हुई है. हालांकि शुक्रवार को उत्तर कोरिया की सत्ताधारी वर्कर्स पार्टी के आधिकारिक मुखपत्र रोडोंग चिनमुन अखबार ने खबर दी कि यह 1917 के बाद से सबसे कम है.
अखबार का कहना है कि देश की झीलों और जल भंडारों से पानी सूख हो रहा है. अखबार ने इसके साथ ही लिखा है, "मौजूदा सूखे के कारण गेहूं, जौ, मक्का, आलू और बीन्स की खेती पर बड़ा असर हुआ है. संदीप मिश्रा बताते हैं, "इस साल फरवरी में उत्तर कोरिया ने अंतरराष्ट्रीय बिरादरी से कहा कि उसके यहां बारिश कम हो रही है और खाने का संकट हो सकता है. इसके बाद अप्रैल से ही रोडोंग चिनमुन और समाचार एजेंसी केसीएनए लगातार कह रहे हैं कि उत्तर कोरिया में भोजन की कमी हो रही है."
आखिर हमेशा हथियारों के परीक्षण से सुर्खियां बटोरने वाला उत्तर कोरिया इस साल बार बार अपने यहां के सूखे का जिक्र कर क्या हासिल करना चाहता है? हालांकि संयुक्त राष्ट्र के भोजन और कृषि संगठन वर्ल्ड फूड प्रोग्राम का भी कहना है कि करीब 1 करोड़ से ज्यादा उत्तर कोरियाई लोग भोजन की कमी का सामना कर रहे हैं. यह वहां की कुल आबादी का करीब 40 फीसदी है. हाल के वर्षों में यह आंकड़ा इस के आसपास ही रहा है.
1990 के दशक में उत्तर कोरिया में भयानक अकाल पड़ा था और कहा जाता है कि इस दौरान लाखों लोगों की मौत हुई. संदीप मिश्रा बताते हैं, "1994 से 1997 के बीच उत्तर कोरिया में अनाज की पैदावार घट कर 30 लाख टन तक पहुंच गई थी. माना जाता है कि खाने की कमी के कारण देश में कम से कम 10 लाख लोगों की मौत हो गई. अपुष्ट खबरों में तो यह संख्या 30 लाख तक बताई जाती है. जिस देश की आबादी ही ढाई करोड़ हो वहां 30 लाख लोगों का मरना कितनी बड़ी मानवीय त्रासदी थी समझा जा सकता है."
अंतरराष्ट्रीय समुदाय उत्तर कोरियाई सरकार की लगातार इस बात के लिए आलोचना करता है कि वह लोगों तक खाना पहुंचाने के बजाय अपने परमाणु हथियार कार्यक्रम पर ज्यादा ध्यान देती है. इन हथियारों के कारण उत्तर कोरिया पर दोहरा संकट है. एक तो देश का संसाधन खाना उगाने के बदले हथियार बनाने में जा रहा है दूसरी तरफ अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नाराजगी के कारण जो मदद खाने के रूप में मिल सकती है वो भी नहीं मिल पा रही.
जहां तक बारिश का सवाल है तो उत्तर कोरिया के पड़ोस के इलाकों में भी इस साल कम बारिश हुई है. दक्षिण कोरिया में इस साल महज 157 मिलीमीटर बारिश दर्ज हुई है जो कि बीते साल इसी अवधि में 364 मिलीमीटर थी. चीन के मौसम विभाग के मुताबिक भी उत्तर कोरिया की सीमा से लगते लियाओनिंग और जिलिन प्रांत में इस साल 9 मई तक 27.6 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है जो 2018 के मुकाबले करीब 55 फीसदी कम है.
रिपोर्ट: निखिल रंजन (एएफपी)
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