"बहुत नाजुक हैं भारत चीन रिश्ते, देना होगा खास ध्यान"
१४ दिसम्बर २०१०वेन बुधवार को अब तक के सबसे बड़े शिष्टमंडल के साथ भारत के दौरे पर आएंगे. इस शिष्टमंडल में 400 उद्योगपति, वरिष्ठ मंत्री और अधिकारी होंगे. तीन दिन के इस भारत दौरे को चीन सरकार ने बड़ा घटनाक्रम बताया है. चीनी प्रधानमंत्री वेन भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ सुरक्षा और रणनीतिक मुद्दों पर बात करेंगे जिनमें जम्मू कश्मीर के लोगों को पासपोर्ट की बजाय अलग से कागज पर चीनी वीजा देना का मामला, चीनी बाजार में भारतीय कंपनियों के लिए अधिक अवसर सुनिश्चित करने और संयुक्त राष्ट्र में सुधारों का मुद्दा भी शामिल है. भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विष्णु प्रकाश ने बताया कि इस दौरे में कई सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर होंगे.
भारत में चीन के राजदूत चांग यान ने कहा, "भारत और चीन के रिश्ते बहुत ही नाजुक हैं. उन्हें नुकसान पहुंचाना बहुत आसान है और ठीक करना बहुत मुश्किल. इसलिए सूचना के इस युग में इन रिश्तों पर खास तौर से ध्यान देने की जरूरत है. इसके लिए जरूरी है कि सरकार जनता का मार्गदर्शन करे कि कैसे वाक युद्ध से बचा जाए." चीनी राजदूत ने कहा कि उनका देश भारत की बढ़ती ताकत को "सकारात्मक रूप से" देखता है. वह इसे अपने लिए एक अवसर भी मानता है.
इसी प्रेस कांफ्रेस में मौजूद भारतीय विदेश सचिव निरुपमा राव ने कहा कि भारत भी चीन के बारे में बहुत ही विवेकपूर्ण और तर्कसंगत सोच रखता है. चीनी प्रधानमंत्री के दौरे से दोनों देशों के रिश्तों में हालिया तनाव की वजह बनने वाले कुछ मुद्दों के अलावा दोतरफा संबंधों में नए आयाम जुड़ेंगे. पाकिस्तानी कश्मीर में चीनी कंपनियों की गतिविधियां, पाकिस्तान को हथियारों की ब्रिकी में वृद्धि और चीन-पाकिस्तान असैनिक परमाणु सहयोग उन भारतीयों चिंताओं में शामिल हैं जिन्हें चीनी प्रधानमंत्री के भारत दौरे में उठाया जाएगा.
चीन की तरफ से कश्मीर के लोगों के अलग से कागज पर वीजा दिए जाने का मुद्दा क्या वेन के भारत दौरे में सुलझ सकता है, इस पर भारतीय विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (पूर्वी एशिया) गौतम बांबावाले का कहना है, "हमने इस मुद्दे को कई बार उठाया है और हमें उम्मीद हैं कि चीनी पक्ष इस बारे में ध्यान देगा." लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि यह मुद्दा कब तक सुलझ पाएगा.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः एस गौड़