1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

नत्थी वीजा नीति पर ढीला पड़ा चीन

१२ दिसम्बर २०१०

चीनी राष्ट्राध्यक्ष वेन जियाबाओ की भारत यात्रा से ठीक पहले इस तरह के संकेत मिले हैं कि चीन कश्मीर पर नत्थी वीजा के बारे में अपनी नीति बदल सकता है. भारत के लिए यह बड़ी कूटनीतिक जीत होगी.

https://p.dw.com/p/QWKE
मनमोहन सिंह और वेन जियाबाओतस्वीर: AP

चीन भारतीय कश्मीर के लोगों को एक अलग कागज पर वीजा देता है जो पासपोर्ट के साथ नत्थी कर दिया जाता है. इससे भारत के उस दावे को चुनौती मिलती है कि कश्मीर उसका अभिन्न अंग है. इसीलिए भारत नत्थी वीजा को लेकर चीन की नीति पर लगातार अपनी आपत्ति दर्ज कराता रहा है. भारतीय नेता पिछले दिनों में कई बार चीनी पक्ष से मिले और नत्थी वीजा पर अपना एतराज दर्ज कराया. अक्तूबर में आसियान सम्मेलन में जब भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने वियतनाम में वेन जियाबाओ से मुलाकात की थी, तब भी यह मुद्दा उठाया गया था.

भारत की इन कोशिशों का असर नजर आने लगा है. बीते कुछ हफ्तों में चीन के दूतावास ने कम से कम तीन कश्मीरी लोगों को नत्थी वीजा के बजाया मोहर लगाकर वीजा दिया है. इनमें गायिका तान्या गुप्ता शामिल हैं जो पिछले महीने ग्वांगजो एशियाड के समापन समारोह में हिस्सा लेने के लिए चीन गई थीं.

भारतीय अधिकारियों ने हाल ही में कहा था कि बीजिंग ने उन्हें नत्थी वीजा की नीति पर विवाद को हल करने का भरोसा दिलाया है और इससे दोनों पक्षों के संबंधों पर असर नहीं पड़ेगा. हाल के चीन के कुछ कदम इशारा करते हैं कि चीन ने अपनी नीति में ढील देनी शुरू कर दी है.

पड़ोसी मुल्क के इस कदम को भारत में द्विपक्षीय संबंधों की बेहतरी के रूप में देखा जा रहा है. खासतौर पर अब जबकि बुधवार को वेन जियाबाओ भारत दौरे पर आने वाले हैं, भारत चीन के इस रवैये को उत्साह के साथ स्वीकार कर रहा है.

हालांकि जब चीनी दूतावास के अधिकारियों से मोहर वाले वीजा जारी करने और नत्थी वीजा की नीति के बदलाव के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें ऐसे किसी वीजा के जारी होने की जानकारी नहीं है.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः एन रंजन

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

और रिपोर्टें देखें