नाउम्मीदी की मिसाल है फीफा
२८ मई २०१५फीफा ऊपरी नेतृत्व के स्तर तक भ्रष्ट है. यह बात अब हर किसी को समझ में आ गई होगी. विश्व संस्था के 6 प्रमुख अधिकारियों को फीफा कांग्रेस से ठीक पहले गिरफ्तार कर लिया गया. आरोप यह है कि उन्होंने अमेरिकी अधिकारियों की जानकारी के अनुसार कई सालों से उत्तरी, मध्य और दक्षिण अमेरिका के फुटबॉल टूर्नामेंटों के प्रसारण और मार्केटिंग अधिकारों को बेचा और उसके लिए 10 करोड़ डॉलर से ज्यादा की रिश्वत ली. गिरफ्तार खेल अधिकारियों में फीफा का काम चलाने वाली कार्यकारिणी के 8 उपाध्यक्षों में से 2 शामिल हैं. उनसे में से एक जेफरी वेब उत्तरी और मध्य अमेरिका तथा कैरिबिक के फुटबॉल संघ के प्रमुख हैं और फीफा प्रमुख सेप ब्लाटर के करीबी माने जाते हैं. स्विटजरलैंड के सेप ब्लाटर आरोपियों की सूची में नहीं हैं.
अदृश्य सुरक्षा कवच
यह चकित नहीं करता. फीफा में अध्यक्ष के रूप में ब्लाटर के पिछले 17 साल के कार्यकाल में जब कभी अधिकारियों की रिश्वतखोरी के मामले सामने आए, फीफा प्रमुख उसमें से ऐसे बचे जैसे उनके चारों ओर कोई अदृश्य सुरक्षा कवच हो. सिर्फ एक बार उनके लिए भी शिकंजा कस गया था जब यह पता चला कि फीफा के पूर्व महासचिव के रूप में उन्हें कम से कम फीफा के मार्केटिंग पार्टनर आईएसएल द्वारा उच्च अधिकारियों को रिश्वत देने के बारे में पता था.
ब्लाटर ने फीफा संगठन के प्रमुख अधिकारियों को दी गई रिश्वत को कमीशन बताया और 2010 में लाखों का जुर्माना देकर मुकदमे से अपनी जान छुड़ाई. वैसे ब्लाटर हर संकट को हंस कर धुएं में उड़ाते रहे. हालांकि संकटों की कमी नहीं थी. सबसे हाल में 2018 के विश्वकप की मेजबानी रूस को देने और 2022 की कतर को देने के बारे में आरोप लगे. अब स्विस अधिकारी औपचारिक रूप से रिश्वत दिए जाने के संदेह की जांच कर रहे हैं.
अंदर से शुद्धि नहीं
इस उथल पुथल वाले खेल में अजीब सा लगता है कि सेप ब्लाटर को शुक्रवार को ज्यूरिष में हो रही फीफा कांग्रेस में पांचवी बार संगठन का प्रमुख चुने जाने की संभावना है. 79 वर्षीय ब्लाटर आंख मूंदकर एशिया, अफ्रीका और अमेरिका के अपने किराये के समर्थकों पर भरोसा कर सकते हैं. वे उनके पक्ष में वोट देंगे. ब्लाटर से मुक्ति पाने की कोशिश कर रहे यूरोपीय बिना दांत के शेर साबित हुए हैं.
सही तरीके से चलाई जाने वाली कंपनी में ब्लाटर को कब का इस्तीफा देना पड़ा होता. यदि उनमें थोड़ी भी गैरत होती तो वे खुद ही इस्तीफा दे चुके होते. लेकिन फीफा दूध का धुला नहीं है. अब और क्या हो कि इस संगठन को आखिरकार भ्रष्टाचार और कुनबावाद की गंद से छुटकारा मिले. फीफा द्वारा नैतिकता आयोग बनाए जाने के बावजूद अंदर से सफाई नहीं हो रही है. शायद एक क्रांति की जरूरत है ताकि सबको हटाया जा सके और नई शुरुआत हो.