जर्मनी के सबसे कुख्यात आपराधिक घराने
२१ मई २०२१अरब, कुर्द और तुर्की समुदायों के बीच संगठित अपराध जर्मन फिल्मों और टीवी सीरीज में एक केंद्रीय भूमिका निभा रहे हैं. हाल के समय में इन आपराधिक गिरोहों और इनसे जुड़ी कहानियों पर कई सीरीज बनी हैं. देश में हुए हाई-प्रोफाइल लूट के कुछ मामलों ने इन आपराधिक कहानियों में लोगों की दिलचस्पी और बढ़ा दी है.
इस सप्ताह उनमें से एक मामले ने फिर से तब सुर्खियां बटोरीं जब 2019 में ड्रेसडेन के ग्रीन वॉल्ट म्यूजियम में हुई चोरी के सिलसिले में बर्लिन में पांचवें संदिग्ध को गिरफ्तार किया गया. ड्रेसडेन के शाही महल के ग्रीन वॉल्ट में 4000 से ज्यादा अनमोल चीजें हैं. इनमें सोना, चांदी, जवाहरात और हाथीदांत भी शामिल हैं. 2019 में चोरों ने यहां से कुछ अनमोल चीजें चुरा ली थीं जिनमें एक बेशकीमती हीरा भी था जो 18वीं सदी में सैक्सनी के शासक ऑगस्टस के संग्रह का हिस्सा है.
कुख्यात मोटरबाइक गिरोह या माफिया समूहों के विपरीत, इन समूहों को जर्मनी की मीडिया और पुलिस ऐसे ‘कबीले' के तौर पर बताती है जो खुद को अपने परिवार से जुड़ा हुआ बताते हैं और अपनी जातीय पहचान साझा करते हैं. हालांकि, आलोचकों का कहना है कि "कबीलाई अपराध" शब्द परिवार के सदस्यों को भी संदेह के घेरे में रखता है. साथ ही, ऐसे लोगों के साथ भी भेदभाव करता है जो अपराधी नहीं हैं. संगठित अपराध में "कबीलाई अपराध" का हिस्सा 10 प्रतिशत से भी कम है.
द रेमो
साल 1992 में बर्लिन में एक रेस्तरां मालिक की हत्या के बाद से रेमो का परिवार पहली बार पुलिस के निशाने पर आया था. इसके बाद से करीब 500 सदस्यों वाला रेमो परिवार बर्लिन के कुख्यात गिरोहों में से एक बन गया. इसके सदस्यों पर हिंसा, मादक पदार्थों की तस्करी, मनी लॉन्ड्रिंग और धोखाधड़ी के कई मामले दर्ज हैं.
2017 में बर्लिन बोडे म्यूजियम से सौ किलो के सोने के सिक्कों की चोरी रेमो घराने की सबसे बड़ी सफलता मानी जाती है. पुलिस का मानना है कि €3 मिलियन यूरो (करीब 26 करोड़ रुपये) से अधिक मूल्य का सोना टुकड़ों में काटकर पिघला दिया गया. रेमो के परिवार के सदस्यों के कपड़े, उनके अपार्टमेंट और गाड़ियों से सोने के कण के साथ ही संग्रहालय के कांच के टुकड़े मिले. चोरी के इस मामले में रेमो के परिवार के दो युवा पुरुषों और उनके एक सहयोगी को 2020 में कई सालों की जेल की सजा दी गई. अभियोजकों का यह भी मानना है कि रेमो गिरोह के सदस्य ड्रेसडेन के ग्रीन वॉल्ट म्यूजियम में हुई चोरी में शामिल थे.
रेमो म्हलामी जातीय समूह से संबंधित है, जो मुख्य रूप से दक्षिणी तुर्की और लेबनान के मूल निवासी हैं. रेमो का परिवार युद्धग्रस्त लेबनान से भागकर 1980 के दशक में यूरोप आया था. म्हलामी ज्यादातर अरब के रूप में पहचाने जाते हैं और कभी-कभी कुर्द अल्पसंख्यकों से जुड़े होते हैं.
अबू-चकर
रेमो कबीले से छोटा होने के बावजूद अबू-चकर परिवार और उसके मुखिया अराफात अबू-चकर ने जर्मनी में मीडिया और अधिकारियों दोनों का ध्यान लंबे समय से अपनी ओर आकर्षित किया है. बर्लिन में रहने वाला अराफात अबू-चकर 2008 में जर्मनी के सबसे बड़े गैंगस्टर रैपर बुशिडो के साथ मिल गया. इन दोनों की दोस्ती करीब 10 साल चली. दोनों के व्यापारिक संबंधों ने हलचल मचा दी और इस पर एक हिट फिल्म भी बनी. इसके बाद, दोनों के दोस्ती में खटास आ गई. बुशिडो ने अराफात अबू-चकर के खिलाफ कोर्ट में केस किया और उस पर धमकी देने और उत्पीड़न करने का आरोप लगाया.
दूसरी ओर, इन वर्षों में अबू-चकर परिवार के सदस्यों के खिलाफ डराने-धमकाने, डकैती और शारीरिक चोट पहुंचाने जैसे कई अपराधों के लिए मामले दर्ज किए गए और उन्हें आरोपी बनाया गया. बर्लिन की एक अदालत ने फर्जी दस्तावेज के आधार पर अपार्टमेंट बेचने के जुर्म में चकर के कई सदस्यों को दोषी भी ठहराया.
अबू-चकर परिवार फलस्तीनी मूल का है. लेबनान में गृहयुद्ध छिड़ने पर यह परिवार वहां के एक शरणार्थी शिविर से यूरोप भाग आया था. अन्य संदिग्ध आपराधिक परिवारों की तरह, अबू-चकर जर्मनी में कई कार्यालयों और अचल संपत्ति का मालिक है.
द मिरिस
मिरि गिरोह में म्हलामी मूल के कई परिवार शामिल हैं. माना जाता है कि वे भी 1980 के दशक की शुरुआत में लेबनान गृहयुद्ध के समय भाग कर जर्मनी पहुंचे थे. मिरि गिरोह को कभी-कभी "एम-क्लैन" के नाम से भी जाना जाता है. यह कबीला जर्मनी के लोअर सैक्सनी राज्य में विशेष रूप से सक्रिय है. हालांकि बर्लिन, ब्रेमेन और नॉर्थ राइन वेस्टफेलिया में भी इस कबीले की आपराधिक गतिविधियां दर्ज की गई हैं.
मिरि कबीले के सदस्य मादक पदार्थों की तस्करी, जबरन वसूली और यौनकर्मियों की दलाली करने जैसे अपराधों में शामिल रहे हैं. कहा जाता है कि कबीले के कुछ प्रमुख व्यक्तियों का घनिष्ठ संबंध प्रतिबंधित मोटरसाइकिल गिरोह "मंगोल एमसी" के साथ है.
इस कबीले के नेता इब्राहिम मिरि को पूरे जर्मनी के लोग तब से जानने लगे, जब 2019 में लेबनान भेजे जाने के बाद वह प्रतिबंध तोड़कर वापस जर्मनी लौट आए थे. उस समय, जर्मनी के गृह मंत्री होर्स्ट जेहोफर ने "लेक्स मिरि" का प्रस्ताव रखा था, ताकि शरण मांगने वाले जिस व्यक्ति को उसके देश भेज दिया गया है उसे फिर से जर्मनी में आने की अनुमति न दी जाए या वापस आने पर उसे जेल में बंद कर दिया जाए.
अल-जीन
कई हजार सदस्यों वाला अल-जीन कबीला जर्मनी में संगठित अपराध में शामिल सबसे बड़े परिवारों में से एक हो सकता है. इसके कथित बॉस, महमूद अल-जीन ने 2020 में अपना संस्मरण प्रकाशित किया था. इसका शीर्षक था, "द गॉडफादर ऑफ बर्लिन: माई वे, माई फैमिली, माई रूल्स." अपने संस्मरण में, अल-जीन ने कबीले के अपराध की दुनिया के बारे में अहम जानकारी दी है, एक ऐसी दुनिया जहां पदानुक्रमों का सख्ती से पालन किया जाता है और उसका सम्मान किया जाता है.
महमूद अल-जीन 1982 में लेबनान से जर्मनी आया था. तब से, उसके नियम अक्सर जर्मन कानूनों से टकराते हैं. उसे मादक पदार्थों की तस्करी और अन्य अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया है.
कई लोगों का मानना है कि जर्मन ड्रामा सीरीज 4ब्लॉक्स अल-जीन की कहानी पर आधारित है. समीक्षकों ने भी इस सीरीज की काफी तारीफ की है. यह सीरीज बर्लिन में एक लेबनानी अपराधी परिवार और ड्रग कार्टेल के बारे में है.