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कोरोना वायरस: भारत में संक्रमण के मामले 1000 के पार

३० मार्च २०२०

भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण के कुल मामले 1000 का आंकड़ा पार कर गए हैं. पूरे देश में तालाबंदी के प्रबंधन में केंद्र और राज्य सरकारों के सामने रोज नई चुनौतियां आ रही हैं.

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Indien Kalkutta | Coronavirus
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/B. Das

भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण के फैलने की शुरुआत के लगभग महीने भर बाद संक्रमण के कुल मामले 1000 का आंकड़ा पार कर गए हैं. इनमें 100 के आस पास ऐसे व्यक्ति भी शामिल हैं जो ठीक हो गए. महामारी से मरने वालों की संख्या 27 है. 186 मामलों के साथ महाराष्ट्र अब भी सबसे ज्यादा मामलों वाला राज्य बना हुआ है. 182  मामलों के साथ केरल भी उसके आस पास ही है. राजधानी दिल्ली में कुल 49 मामले बताए जा रहे हैं.

पूरे देश में तालाबंदी के प्रबंधन में केंद्र और राज्य सरकारों के सामने रोज नई चुनौतियां आ रही हैं. प्रवासी मजदूर अब भी अपने अपने गृह राज्य लौट जाना चाह रहे हैं लेकिन उनकी सुविधा के लिए हजारों बसें चलवाने के एक दिन बाद केंद्र सरकार अब पलायन को रोकने की दिशा में सख्त कदम उठा रही है. राज्यों को अपनी सीमाएं प्रभावशाली रूप से बंद करने के निर्देश दे दिए गए हैं. साथ ही यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया गया है कि आवाजाही सिर्फ उत्पादों की हो, लोगों की नहीं.

कुछ सरकारी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई भी की गई है. दिल्ली के आनंद विहार बस अड्डे पर पलायन करते प्रवासी मजदूरों का जमावड़ा लगने के एक दिन बाद, केंद्र सरकार ने दो वरिष्ठ आईएस अफसरों को सस्पेंड कर दिया है और दो अफसरों को कारण बताओ नोटिस जारी किए हैं.

केंद्र सरकार के नए कदम

कुछ राज्य सरकारें पहले से इन श्रमिकों समेत सभी गरीबों के लिए रोज का खाना और रहने की अस्थायी व्यवस्था कर रहीं थीं. अब केंद्र सरकार ने भी यह कार्यक्रम शुरू कर दिया गया है. लेकिन अभी भी इन कार्यक्रमों की पहुंच बहुत सीमित है. मिसाल के तौर पर, केंद्र सरकार ने कहा है कि वह रोज एक लाख से ज्यादा लोगों को दिन में तीन बार खाना खिलाएगी लेकिन भारत में अपने गृह राज्यों से बाहर काम कर रहे श्रमिकों की संख्या करोड़ों में है.

  

केंद्र सरकार ने श्रमिकों को रोजगार देने वालों को हिदायत दी है कि वो महीने भर तक उनका वेतन नहीं काटेंगे और उनके मकान मालिकों को हिदायत दी है कि वे उनसे एक महीने का किराया नहीं लेंगे. लेकिन ये सभी श्रमिक सरकार के किसी भी विभाग के साथ पंजीकृत नहीं होते हैं जिसकी वजह से इन्हें ढूंढना और इनके हालात पर लगातार नजर रखना एक मुश्किल काम है.

इसी बीच तालाबंदी के दौरान सामने आने वाली और समस्याओं से निबटने और समाधान निकालने के लिए केंद्र ने अधिकारियों के 11 सशक्त समूहों का गठन किया है. जिन विषयों पर निर्णय लेने के लिए इन्हें शक्ति दी गई है उनमें मेडिकल आपातकाल, अस्पतालों और अलग थलग करने की सुविधाओं की उपलब्धता, आवश्यक मेडिकल उपकरणों की उपलब्धता, मानव संसाधन, दवाओं और खाने पीने की चीजों की आपूर्ति, गैर सरकारी संगठनों के साथ समन्वय और अन्य विषय शामिल हैं.

सभी सामानों की आवाजाही की इजाजत

एक बार फिर अपने दिशा निर्देशों को बदलते हुए केंद्र ने अब सिर्फ जरूरी सामान की जगह हर तरह के सामान की आवाजाही की इजाजत दे दी है. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इसके पहले व्यापारियों और उद्योगपतियों ने वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को बताया कि थोक विक्रेताओं के पास जो सामान अभी है वो तीन सप्ताह से ज्यादा नहीं चलेगा और खुदरा व्यापारियों के पास तो सिर्फ पांच दिनों का सामान है. उत्पादन जारी रखने के लिए फैक्टरियों को खुला रखने पर भी चर्चा हुई. सरकार को सुझाव दिया गया कि फैक्टरियों में एक बार में काम करने वालों की संख्या कम की जा सकती है और उनके लिए भी एक स्वास्थ्य प्रोटोकॉल बनाया जा सकता है.

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