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कानून ने लालू को लाल किया

३ अक्टूबर २०१३

चारा घोटाले के दोषी लालू प्रसाद यादव को पांच साल जेल में बिताने होंगे. गुरुवार को तीखी टिप्पणी के साथ सीबीआई की विशेष अदालत ने लालू समेत बाकी घोटालेबाजों को सजा सुनाई. फैसले से लालू का राजनीतिक करियर खत्म हो सकता है.

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तस्वीर: AP

17 साल पुराने चारा घोटाले मामले में फैसला सुनाते हुए सीबीआई की विशेष अदालत ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री, राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख और पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव को पांच साल कैद की सजा सुनाई. दो दशक तक भारतीय राजनीति में तुरुप चालें चलने वाले लालू पर सीबीआई कोर्ट ने 25 लाख रुपये का जुर्माना भी ठोंका.

गुरुवार को सजा पर बहस के दौरान 65 साल के लालू जेल के वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अदालती कार्रवाई में शामिल हुए. लालू के वकील ने अदालत से कम सजा देने की मांग की और कहा कि उनके मुवक्किल ने तमाम पदों पर रहते हुए समाज की सेवा की है. इसके जवाब में सीबीआई ने कोर्ट से इस अपराध के लिए अधिकतम दी जाने वाली सात साल की सजा मांगी. लंबी जिरह के बाद रांची की विशेष अदालत के जज प्रभाष कुमार सिंह ने तीखी टिप्पणी के साथ लालू समेत बाकी दोषियों को सजा सुनाते हुए कहा, "ये राजनेता संविधान की अपनी शपथ भूल चुके हैं और उस भरोसे को भी जो लोगों ने उन पर किया."

इससे पहले अदालत ने सोमवार को ही लालू समेत 45 घोटालेबाजों को दोषी करार दिया था. गुरुवार को जिन 36 दोषियों को सजा सुनाई गई उनमें लालू समेत बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के नेता जगन्नाथ मिश्र भी शामिल हैं. मिश्र को चार साल की कैद की सजा सुनाई गई है और उन पर दो लाख का जुर्माना भी ठोंका गया है. 1996 में सामने आए इस घोटाले में दोषी जनता दल यूनाइटेड के सांसद जगदीश शर्मा को भी चार साल की सजा सुनाई गई है. शर्मा को पांच लाख रुपये का जुर्माना भी भरना होगा.

अदालत आठ दोषियों को पहले ही सजा सुना चुकी है. गुरुवार को सजा पाने वालों में पांच आईएएस अधिकारी भी शामिल हैं. लालू पर आरोप था कि उन्होंने अपने मुख्यमंत्री पद का दुरुपयोग किया. उनके कार्यकाल में चाईबासा कोषागार से 37.7 करोड़ रुपये निकाले गए. लालू खुद को पाक साफ बताते रहे.

फैसले के साथ ही लालू और शर्मा का राजनीतिक करियर भी हिल गया है. इसी साल जुलाई में भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि दो साल से ज्यादा की सजा पाने वाले जनप्रतिनिधि तुरंत इन पदों के लिए अयोग्य हो जाएंगे. लालू 1990 से 1997 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे हैं. 97 में ये घोटाला सामने आने के बाद लालू को इस्तीफा देना पड़ा और उनकी पत्नी राबड़ी देवी राज्य की मुख्यमंत्री बनी.

हालांकि लालू की पार्टी आरजेडी का कहना है कि वो विशेष अदालत के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देगी. भारत सरकार ने ऐसे दागी जनप्रतिनिधियों को बचाने के लिए एक अध्यादेश बनाया था, जिसे कड़े विरोध के बाद बुधवार को वापस ले लिया गया.

ओएसजे/एमजे(एपी, पीटीआई)

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