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एनडीए सरकार भी 2जी के लपेटे में

८ दिसम्बर २०१०

सुप्रीम कोर्ट ने 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच का दायरा बढ़ाने को कहा. अदालत के मुताबिक 2001 से जो कुछ भी इस मामले में हुआ, उसकी भी छानबीन होनी चाहिए. 2001 में केंद्र में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन की सरकार थी.

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सुप्रीम कोर्ट की हिदायततस्वीर: Wikipedia/LegalEagle

जस्टिस जीएस सिंघवी और एके गांगुली की बेंच ने कहा, "इस मामले में जो मुद्दा उठाया गया है वह 1.76 लाख करोड़ रुपये तक सीमित नहीं है. हम जांच को प्रभावित नहीं करना चाहते लेकिन 2001 से जो कुछ भी हुआ है, उसकी छानबीन भी होनी चाहिए. यह जिम्मेदारी सीबीआई की है कि वह जांच करे और पता लगाए."

2001 में एनडीए की सरकार 2जी स्पेक्ट्रम के लिए बोली की प्रकिया पर अमल नहीं कर रही थी, बल्कि पहले आओ, पहले पाओ की नीति पर आवंटन किए गए. सुप्रीम कोर्ट ने सीडीएमए और जीएसएम की डुअल टेक्नोलजी के ट्रांसफर पर भी टिप्पणी की. सर्वोच्च अदालत ने कहा कि डुअल टेक्नोलजी के लिए 19 अक्टूबर 2009 को अधिसूचना जारी की गई लेकिन एक सर्विस प्रोवाइडर को एक दिन पहले ही अनुमति मिल गई. अदालत का कहना है कि सीएजी की रिपोर्ट में भी डुअल टेक्नोलजी के मुद्दे पर ध्यान नहीं दिया गया है.

बेंच ने कहा, "टीआर अध्यारुजिना (पूर्व संचार मंत्री ए राजा के वकील) ने अब तक सामने आई बातों के अलावा एक और बात बताई है. इस मामले की छानबीन नहीं की गई है. आप 2001 से क्यों नहीं जांच पड़ताल करते." पहले आओ पहले पाओ के आधार पर स्पेक्ट्रम के आवंटन के मूल्य भी तभी तय किए गए.

इस बीच प्रवर्तन निदेशालय ने घोटाले में अपनी जांच की रिपोर्ट अदालत को सौंप दी है. एडिशनल सॉलीसिटर जनरल हरेन रावल ने बेंच को बताया कि इस रिपोर्ट में 9 मार्च 2010 के बाद की गतिविधियों की जांच शामिल है.

इससे पहले सीबीआई ने 22,000 करोड़ रुपये के 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के मामले में नई दिल्ली और चेन्नई में पूर्व संचार मंत्री ए राजा के घरों पर छापे मारे. राजा के निजी सचिव रहे आरके चंदोलिया समेत चार अफसरों के परिसरों पर भी छापे पड़े.

सीबीआई ने बुधवार को सुबह सुबह नई दिल्ली और चेन्नई में 47 वर्षीय राजा के घरों की तलाशी शुरू कर दी. 2जी स्पेक्ट्रम के आवंटन में धांधली पर सीएजी की रिपोर्ट आने के बाद भारी दबाव के बीच राजा को 14 नवंबर को इस्तीफा देना पड़ा.

उधर बीजेपी ने कहा है कि छापों से साफ होता है कि घोटाले में राजा शामिल रहे हैं जिससे मामले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) बनाने की विपक्ष की मांग और मजबूत होती है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ए कुमार

संपादन: ए जमाल

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