खेतों में मृत पाई गईं दलित लड़कियां
१८ फ़रवरी २०२१दोनों बहनों में से एक 16 साल की थी और दूसरी 13 साल की. उनके शव के पास ही 17 साल की उनकी एक और बहन बेहोश हालत में पाई गई. उसे अस्पताल में भर्ती करवाया गया गया है लेकिन उसकी हालत नाजुक बताई जा रही है. परिवार का कहना है कि तीनों लड़कियां खेतों से घास लाने गई थीं पर जब कई घंटों तक नहीं लौटीं तो परिवार ने उन्हें खोजना शुरू किया और फिर खेतों में उन्हें पाया.
स्थानीय पुलिस ने परिवार के इस दावे की पुष्टि नहीं की है कि तीनों लड़कियों के हाथ-पैर बंधे हुए थे. पुलिस का कहना है कि पुलिस के पहुंचने के पहले ही तीनों को घटना-स्थल से हटा लिया गया था. पुलिस ने इस बात की पुष्टि जरूर की है कि डॉक्टरों ने बताया है कि तीनों के मुंह से सफेद झाग जैसा पदार्थ निकल रहा था और जहर दिए जाने के दूसरे लक्षण भी थे. इसके अलावा इस मामले से संबंधित और कोई जानकारी सामने नहीं आई है.
स्थानीय मीडिया में आई रिपोर्टों में दावा किया जा रहा है कि पीड़िताओं के परिवार के सदस्यों को स्थानीय प्रशासन ने नजरबंद कर दिया है जिसकी वजह से मीडियाकर्मी उनसे मिल नहीं पा रहे हैं. इस पूरे मामले ने पिछले साल उत्तर प्रदेश के हाथरस में 19 साल की एक लड़की के बलात्कार और हत्या के मामले की यादें ताजा कर दी हैं. हाथरस मामले की मीडिया में खबर आने के बाद पुलिस ने रातों-रात पीड़िता के शव का दाह-संस्कार कर दिया था, जिसके बाद प्रशासन के खिलाफ लोगों में नाराजगी बढ़ गई थी.
पूरे मामले पर देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन आयोजित किए थे, जिसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने इन प्रदर्शनों को एक अंतरराष्ट्रीय साजिश भी बताया था. कई लोगों को गिरफ्तार भी किया गया था जिनमें एक पत्रकार और कुछ ऐक्टिविस्ट भी शामिल थे. इस बार भी उन्नाव की घटना को लेकर प्रदर्शन शुरू हो गए हैं. उन्नाव पहुंचे दलित नेता चंद्रशेखर आजाद ने घटना की निष्पक्ष जांच की मांग की है.
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