उत्तर प्रदेश: एक बार फिर दलित लड़कियों के साथ हिंसा
१३ अक्टूबर २०२०तीनों लड़कियां बहनें हैं और वारदात के समय अपने घर की छत पर सो रही थीं. हमलावरों की पहचान अभी तक नहीं हो पाई है. पुलिस ने बताया कि तीनों लड़कियों की उम्र 17,12 और 8 वर्ष है. सबसे बड़ी बहन का शरीर सबसे ज्यादा (35 प्रतिशत) जल गया है, जबकि उससे बहन को 25 प्रतिशत और सबसे छोटी बहन को पांच प्रतिशत जलने के घाव आए हैं. उन्हें एक सरकारी अस्पताल में भर्ती करा दिया गया है और अभी उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है.
पुलिस के अनुसार लड़कियों के पिता ने बताया कि तीनों रात के दो बजे दर्द से चीखती हुई दौड़ी दौड़ी छत से नीचे आईं और उसके बाद पता लगा कि उन पर तेजाब फेंका गया है. पुलिस के अनुसार परिवार को अभी तक किसी पर शक नहीं है. महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में दलित महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध अपने आप में एक गंभीर समस्या हैं.
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के अनुसार 2019 में अनुसूचित जनजातियों के लोगों के खिलाफ हुए अपराधों में 13.4 प्रतिशत मामले बलात्कार के थे. सबसे ज्यादा मामले (358) मध्य प्रदेश से थे और उसके बाद छत्तीसगढ़ से. 10.7 प्रतिशत मामले एसटी महिलाओं की मर्यादा के उल्लंघन के इरादे से किए गए हमलों के थे. बलात्कार के सबसे ज्यादा मामले राजस्थान में दर्ज किए गए (5,997), जिनमें से 554 मामले दलित महिलाओं के साथ बलात्कार के थे.
उत्तर प्रदेश में बलात्कार के कुल 3,065 मामले दर्ज किए गए और उनमें 537 मामले दलित महिलाओं के साथ बलात्कार के थे. हालांकि प्रति एक लाख आबादी पर दलित महिलाओं के साथ बलात्कार के मामलों की दर में 4.6 प्रतिशत के साथ केरल सबसे आगे है. उसके बाद 4.5 प्रतिशत के साथ मध्य प्रदेश और राजस्थान का स्थान है. तेजाब फेंकना भी अपने आप में एक बड़ी समस्या है. 2019 में पूरे देश में कुल 150 एसिड अटैक के मामले दर्ज किए, जिनमें से 42 उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए और 36 पश्चिम बंगाल में.
हाथरस में 14 सितंबर को एक दलित महिला के साथ कथित बलात्कार और हिंसा का मामला सामने आया था. महिला ने बाद में दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में दम तोड़ दिया था, लेकिन मरने से पहले अपने आखिरी बयान में ठाकुर समुदाय के चार पुरुषों पर उसके साथ बलात्कार और मार पीट का आरोप लगाया था. पुलिस चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है और अब सीबीआई इस मामले में जांच कर रही है. उत्तर प्रदेश पुलिस और प्रशासन पर पीड़िता के शव को जबरन आधी रात को उसके परिवार की मंजूरी के बिना दाह संस्कार कर देने का भी आरोप है.
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