ई सिगरेट की बिक्री बेतहाशा बढ़ी, चिंता भी
१० जनवरी २०११इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट की शुरुआत 2004 में चीन में हुई और इसके बाद यह बड़ी तेजी से लोकप्रिय होती गई. सिगरेट के लती लोगों के लिए यह सिगरेट पीने का ही अहसास देता है और इसमें निकोटीन भी डाला जा सकता है. पिछले तीन साल में इसकी बिक्री हर साल 30 फीसदी बढ़ रही है.
ऐसी सिगरेट बनाने वाली कंपनियों का दावा है कि यह सिगरेट पीने वालों या उनके आस पास रहने वाले लोगों के लिए नुकसानदेह नहीं होता लेकिन जानकारों का मानना है कि यह बात सही नहीं है. नवंबर में उरुग्वे में विश्व स्वास्थ्य संगठन की बैठक में एक प्रमुख तंबाकू विरोधी विशेषज्ञ एडुवर्डो बियान्को ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट की वजह से दुनिया भर में स्मोकिंग के खिलाफ चल रहे अभियान को धक्का पहुंचा है.
प्लास्टिक की बनी इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट से कृत्रिम धुआं निकलता है. इसे निकोटीन के साथ या निकोटीन के बिना पिया जा सकता है. एडसिल्वर जैसी कई कंपनियां ऐसी सिगरेट बना रही हैं. इसका सेवन करने वाले एक शख्स का कहना है, "मैं इसे पीकर बेहद खुश हूं. मैं सिगरेट पी सकता हूं लेकिन मुझे उसका नुकसान नहीं होता."
लेकिन फ्रांस में तंबाकू विरोधी राष्ट्रीय समिति के प्रोफेसर यावर मार्टिनेट का कहना है, "यह उत्पाद सिगरेट छोड़ने में कोई मदद नहीं देता है. कई देशों ने इस पर पाबंदी लगा दी है. अभी तक इस उत्पाद को वैज्ञानिक तरीके से परखा नहीं गया है."
फ्रांस में मेडिकल स्टोरों में इसकी बिक्री पर पाबंदी लगा दी गई है. जर्मनी, स्पेन और यूरोप के कई देशों में सार्वजनिक जगहों पर सिगरेट पीने पर पाबंदी लग गई है. इसके बाद से इलेक्ट्रॉनिक सिगरेटों की पूछ बढ़ गई है.
रिपोर्टः एएफपी/ए जमाल
संपादनः ओ सिंह